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भारत मे पड़ोसी मुल्क की जिंदाबाद असहनीय
27, Aug 2021 2 years ago

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    भारत एक विशाल प्रजातांत्रिक देश है। यहां सभी धर्मों को राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक स्वतंत्रता संविधान द्वारा प्रदत्त है। देश मे किसी के साथ धर्म जाति लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। सभी को अपनी जीविका अर्जित करने शिक्षा, स्वास्थ्य सहित मूलभूत सुविधाओं को पाने का अधिकार है। धार्मिक रीतिरिवाज का पालन करने, त्यौहारों को आयोजित किए जाने की स्वतंत्रता है। इस मुल्क की आजादी से लगाकर प्रगति के पथ पर तेजी से बढ़ रहे आधुनिक भारत के निर्माण में सभी धर्म, जाति, प्रांत, भाषा के अनुयायियों का योगदान रहा है। विविधता भारत की खूबी रही है। तमाम विविधताओं के बावजूद भारत निरंतर प्रगति पथ पर बढ़ रहा है। ऐसे में भारत की भूमि पर अपने धुर विरोधी पड़ोसी मुल्क के जिंदाबाद के नारे मन को विचलित कर रहें है। एक सच्चा भारतीय इन नारों को सुनकर बेशक क्रोधित भी होगा, अपना आपा भी खो देगा। उसका गुस्सा फूट पड़ेगा। एक आम भारतीय नागरिक के लिए यह नारे श्रवण योग्य नहीं है। भारत विरोधी यह सुर अनेकों बार विभिन्न प्रान्तों से सुनाई दिए है। यह स्वर खतरनाक है। इन्हें बर्दास्त नहीं किया जा सकता। भारत मे राष्ट्र को धर्म से बड़ा दर्जा दिया गया है। किसी भी धर्म, जाति, प्रान्त ओर भाषा के अनुयायियों को यह इजाजत नही है कि, वह भारत के विरोधी स्वर का अलाप करें या पड़ोसी मुल्क की जयकार करने की हिमाकत करें।

    म.प्र. के उज्जैन में धार्मिक जुलूस के दौरान किया गया यह कृत्य घोर निंदनीय है। प्रशासन इस संदर्भ में अपनी न्यायसंगत कार्यवाहीं को अंजाम दे रहा है। इन नारों में लिप्त तथाकथिक लोगो को कानूनी प्रक्रिया का सामना भी करना पड़ेगा। यह गुस्ताख़ गिरफ्तार भी होगें ओर सलाखों के पीछे भी जाएंगे। किन्तु यह सवाल एक आम भारतीय के जहन में रह-रहकर आ रहा है कि आखिर यह जघन्यतम अपराध किस नियत से किया गया है। वह कौन लोग है, जो भारत मे रहकर भी किसी दूसरे देश की जय-जयकार करने की हिमाकत कर रहें है। भारत के खून में देश के प्रति प्रेम, प्यार और अगाध श्रद्धा की भावना विद्यमान है। राजनैतिक दुराभाव के परिणामस्वरूप किसी पड़ोसी दुश्मन मुल्क की जिंदाबाद करने का हक किसी को नहीं है। देश सबको समान अवसर देता है। संविधान धर्म, जाति, भाषा के आधार पर कोई भेद नहीं करता सबको अपने धार्मिक आयोजनों को सम्पादित करने का अधिकार है। शिक्षा, न्याय ओर मूलभूत सुविधाएं सबके लिए हैं। यह देश सबका है। सबको गौरवशाली जीवन का अधिकार संविधान देता है। फिर इस देश मे दूसरे देश की जय-जय कार क्यों की जा रहीं है? आखिर क्या कमी रह गयी है? हमारे ही बीच के लोग किसी पड़ोसी देश की जिंदाबाद के नारे को बुलन्द कर रहें है। यह विषय गम्भीर है। आक्रोश, पीड़ा, दुख का कारण भी है। समाज के अनपढ़ जाहिल ओर धर्मभीरु कुछ लोगो के मूर्खतापूर्ण कृत्य पर पर्दा डालने की बजाय उन्हें बेपर्दा किया जाना चाहिए। उनसे यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि, आपको पड़ोसी मुल्क से इतनी मोहब्बत क्यो है? इस  देश की आजादी के 75 वर्षो में ऐसी कौनसी चूक हो गई कि, आपके मन में स्वदेश से अधिक पड़ोसी मुल्क के प्रति प्रेम जागृत होने लगा।

    सवाल बहुत से है। जहां देश के प्रति आवाज उठेंगी वहां आक्रोश जन्म लेगा, सवाल भी उठेंगे। आखिर 75 वर्षो में भारत की व्यवस्थाओं में कहा चूक हो गई। इस अमन पंसद ओर सारे जहाँ से अच्छे प्रजातांत्रिक मुल्क की जयकार करने के बजाए पड़ोसी मुल्क की जिंदाबाद के स्वर चिंताजनक दिखाई पड़ रहे है। बेशक इस मुल्क में राजनैतिक विरोधाभास है। वैचारिक प्रतिस्पर्धा भी है। यह राजनैतिक विचारधाएँ संविधान के झंडे तले ही संचालित की जा सकती है। देश के विभिन्न प्रदेशों में अलग-अलग दलों की सरकारें है। सबकी अपनी नीति है, अपने सिद्धान्त है। सामाजिक, धार्मिक विविधताओं के बावजूद भी भारत एक राष्ट्र है। वैश्विक पटल पर जगमगाते भारत की एकता अंखडता को विखण्डित करने के अनेको षड्यंत्र हुए किन्तु इन षडयंत्रो के बावजूद भारत ने हर बार डटकर इन षडयंत्रो का जवाब दिया है। विविधता भारत की ताकत है। इस ताकत को कोई खत्म नहीं कर सकता। भारत मे पड़ोसी मुल्कों की जय-जयकार कुछ जाहिल अनपढ़ ओर धर्मभीरु लोगों का मूर्खता पूर्ण कृत्य है। इसकी आलोचना चारो तरफ से हो रही है। होना चाहिए इसमे कैसा पर्दा जो घुमा फिरा कर बात कर रहें है। उन्हें माफ नही किया जा सकता है। देश सबसे बड़ा है। धर्म देश के बाद है। देश गांधी का भी है। मौलाना आजाद का भी, देश अटल बिहारी वाजपेयी का है तो डॉ अब्दुल कलाम का भी है। राष्ट्र की आजादी से लगाकर नव निर्माण में सभी का योगदान रहा है। व्यवस्थाओं से नाराजगी हो सकती है। अन्याय के प्रति गुस्सा हो सकता है। होना भी चाहिए न्याय सबके लिए है। किंतु देश विरोधी स्वर असहनीय है। भारत की प्रगति इसमे निवासरत धर्मो,जातियों,नागरिकों की प्रगति में छुपी हुई है।

    पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा था। "हम पूरी दुनिया को एक परिवार की तरह देखते हैं, और सभी की खुशी और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं। हमारी राष्ट्रीय पहचान आपसी मेलजोल, स्वीकार्यता और सह-अस्तित्व की लंबी प्रक्रिया से गुजरती हुई बनी है। संस्कृति, आस्था और भाषा की बहुलता ही भारत को विशेष बनाती है।" विविधता भारत की मजबूती का आधार है। भारत की एकता अखण्डता की विशेषता को यह कौनसी ताकतें है जो विरोधी देश की जयकार कर विखण्डित करना चाह रहीं है। इन ताकतों का पुरजोर विरोध होना चाहिए। ऐसी आवाजों को बलपूर्वक दबाने की आवश्यकता है। यह सभी धर्मों, जातियों, नागरिकों का  दायित्व है कि, वह राष्ट्र के अंदर पल रहें। भारत विरोधी स्वरों को बेनकाब करें।


नरेंद्र तिवारी 'पत्रकार'

सेंधवा, जिला बड़वानी (म.प्र.)


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