चिंता: कोरोना काल में ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए, हर युवा को 'बद्रू बा' बनने कि आवश्यकता, युवा पीढ़ी को जाग्रत करना आवश्यक तभी प्रकृति हरी-भरी रह पाएगी
एक पर्यावरण प्रेमी ऐसा भी जो समय से रोज पोधो को पानी देता है। जी हां हम बात कर रहे है 80 वर्षीय बद्रू बा की, जैसे हर व्यक्ति अपने ऑफिस टाइम का ध्यान रखता है वैसे ही बद्रु बा पोधों को पानी पिलाना नहीं भूलते है। 80 वर्षीय बद्रू बा पैदल-पैदल जाकर आज भी इनके द्वारा जो पोधे लगाए गए है ओर जो भी पोेधे आज वृक्ष का रूप ले चुके है उनको पानी पिलाना नहीं भूलते। इनके पर्यावरण प्रेम को देखकर ग्राम का हर व्यक्ति अपने आपको गौरवान्वित महसूस करता है और बद्रू बा का नाम लेकर कहते है कि, इन पोधो को बद्रू बा ने बड़ा किया है बद्रू बा ने स्वयं कि पहचान वृक्ष प्रेमी के नाम से बना ली है, यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है। विरले लोग ही वृक्ष प्रेमी के नाम से जाने जाते है, गांव का हर व्यक्ति बद्रू बा का पर्याय वृक्ष प्रेमी के नाम से जानने लगे है। चाहे हनुमान जी मंदिर पेटलावद, रोड सारंगी रोड हो इनके समय अनुसार वह पोधों की सेवा करते हुए दिखाई देते है। आज भी 80 वर्ष की उम्र में भी ज्जबा वही है, कितनी भी गर्मी हो बद्रू बा किसी भी तरह पेड़ की सेवा करते है। अपने जीवन के 55 वर्ष बद्रू बा ने वृक्ष को दे दिए है इस व्यक्ति ने वृक्ष के लिए अपना जीवन खपाया जो आदर्श का उदाहरण है। सूर्योदय से दिनचर्या कि शुरुवात बा वृक्ष को पानी पिलाने से शुरू करते है जो सूर्यास्त तक यह क्रम चलता रहता है।
लेखक- जगदीश प्रजापत, बरवेट