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क्यों याद आ गया प्याज यानी कांदा
दरअसल इन दिनों देवी अहिल्या के जीवन पर आधारित बहुचर्चित टीवी धारावाहिक में अहिल्या के ज्ञान की परीक्षा में कृष्णावल की जानकारी मांगी गई तो प्याज की याद आ गई, क्योंकि संस्कृत में प्याज को कृष्णावल कहा जाता है। वैसे आमतौर पर प्याज के नाम के रूप यह शब्द प्रचलन में नहीं है। तो प्याज ही कृष्णावल है तो इसकी जानकारी पाने को उत्सुकता जागी। सोचा क्यों ना आपके साथ भी इसकी जानकारी साझा की जाए। तो जानते हैं कि प्याज को क्यों कहते हैं कृष्णावल। दरअसल प्याज को वानस्पतिक नाम के अलावा हिंदी, अंग्रेजी के साथ विभिन्न भाषाओं में प्रचलित अलग अलग नामों से जाना जाता है।
दक्षिण भारत में खासकर कर्नाटक और तमिलनाडु के ग्रामीण क्षेत्रों में प्याज को आज भी कृष्णावल नाम से ही जाना जाता है।
इसे कृष्णावल कहने के पीछे यह कारण बताया जाता है कि, जब इसे खड़ा काटा जाता है तो वह शंख की आकृति सा यानी शंख के आकार में कटता है। वहीं जब इसे आड़ा काटा जाता है तो यह चक्राकृति यानी चक्र के आकार में कटता है।
यह सर्वविदित है कि, शंख और चक्र दोनों श्रीहरि विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण के आयुधों से संबंधित हैं और प्याज को खड़ा और आड़ा काटने से निर्मित शंख और चक्र की आकृति के कारण ही प्याज को कृष्णावल कहते हैं। कृष्ण और वलय शब्दों को मिलाकर बना है कृष्णावल शब्द है।
कृष्णावल कहने के पीछे सिर्फ यही एक कारण नहीं है बल्कि यदि आप प्याज को उसकी पत्तियों के साथ उलटा पकड़ेंगे तो वह गदा का भी रूप ले लेता है। यह भी रोचक है कि, बगैर पत्तों के वह पद्म यानी कमल का आकार लेता है। गदा और पद्म भी भगवान विष्णु चक्र और शंख के साथ धारण करते हैं और इसी आधार पर प्याज के नाम को कृष्णावल कहा जाता है।
उल्लेखनीय है कि, हाल ही है इस संबंध में यह जानकारी सोनी टीवी पर प्रसारित 'देवी अहिल्या' धारावाहिक में बताई गई है।
स्वाद व सेहत का रखवाला भी है प्याज
सामान्य रूप से हमारे जीवन में भोजन के साथ प्याज का जुड़ाव बहुत गहरा है। रोजाना व कभी कभार भी उपयोग में आने वाला प्याज प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप हमारे भोजन का स्वाद बढ़ाने के साथ ही हमारी सेहत का भी ख्याल रखता है। इस पर छुरी चलाने वाले के आंसू अगर यह निकालता है तो यह सरकार गिराने में भी अपनी भूमिका निभा चुका है। तो कभी अपनी अधिकता के कारण सड़कों पर भी बिछाया जा चुका है। कोरोना के प्रभाव को प्रभावित करने तक में इसके प्रयोग की सलाह भी सामने आ चुकी है। इतना ही नहीं देवी अहिल्या धारावाहिक में तो अहिल्या की परीक्षा लेने में भी यह एक प्रश्न के रूप में समाहित हो चुका है। वैसे तो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में जो सब्जियां उपयोग में आती हैं, सभी हमारी सेहत के लिए फायदेमंद होती हैं उन्हीं में से प्याज भी अपना एक विशेष स्थान रखता है।
सेहत की अगर बात करें तो प्याज एक औषधि का रूप भी है। प्राचीनकाल से ही औषधि तथा भोजन के घटक के रूप में इसका उपयोग किया जाता रहा है। प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसके गुण-धर्मों का वर्णन मिलता है। कई बीमारियों के लिए यह दवा का काम भी करता है।
वनस्पति नाम एलियम सीपा
वैसे तो रंग व आकार में प्याज की कई प्रजातियां होती हैं। लेकिन दो प्रजातियाँ होती हैं।लेकिन यह मुख्य रूप से लाल और सफ़ेद दो ही रूप में अधिक प्रचलित है। औषधि के रूप में सफ़ेद प्याज को उत्तम माना गया है। यह विटामिन ‘ए’ का अच्छा स्रोत है। एक वनस्पति के रूप में प्याज को अलग-अलग स्थानों पर अलग नामों से संबोधित किया जाता है। प्याज लिलिएसी कुल का पौधा है और इसका वानस्पतिक (वैज्ञानिक) नाम ऐलियम सीपा है। जंगली प्याज को वनस्पति विज्ञान में अर्जिनिया इंडिका कहते हैं। सामान्य प्याज को अंग्रेजी में गार्डेन ओनियन और कॉमन अनियन जैसे नामों से भी जानते हैं। हिंदी में प्याज, अंग्रेजी में बल्ब आनियन, आनियन, गार्डन आनियन, कॉमन ऑनियन, अरेबिक में बस्ल, बेसल। पर्सियन में प्याज, संस्कृत में पलाण्डु, यवनेष्ट, दुर्गन्ध, मुखदूषक, राजपलाण्डु, उर्दू में प्याज, कोंकणी में कान्दो, कन्नड़ में नीरूल्लि, गुजराती में डूंगरी व कांदो, तमिल में वेंगयम व वेंकायाम, तेलगु में नीरुल्लि व उल्लिपया, बंगाली में पेयाज, नेपाली में प्याज, मराठी में कांदा या कांदो, पंजाबी में गण्डा, पियाज, मलयालम में बवंग व कुवन्नुल्ली नाम से जाना जाता है।
एक औषधि के रूप में, आंखों के रोग में
प्याज के रस में हल्की मात्रा में सेंधा नमक मिलाकर, छानकर आँख में 2-2 बूँद डालने से रतौंधी में लाभ मिलता है। कुछ मामलों में चिकित्सक से परामर्श जरूरी है। प्याज के 5-10 मिली रस में बराबर मात्रा में शहद मिलाकर आँखों में लगाने से आँखों की ज्योति बढ़ती है।
नाक के रोग में प्याज के 10-20 मिली रस में 1 चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो-तीन बार चाटने से नजला मिटता है। खून का थक्का जमाने का प्याज के औषधीय गुण होता है। नाक से खून आने की हालत में प्याज के पत्तों का 1-2 बूँद रस नाक में डालने से खून बहना बंद हो जाता है।
कान में सूजन होने की स्थिति में अलसी को प्याज के रस में पकाकर छान लें। इस रस को गुनगुना कर कान में इसकी 4 से 8 बूँद डालें। इससे कान में दर्द, सूजनकी समस्याएँ दूर होती हैं।
दांतों में दर्द या मसूड़ों के फूलने की स्थिति में प्याज और कलौंजी को बराबर मात्रा में लेकर चिलम में रख दें। धीरे धीरे उसके धुएं का सेवन करें। ऐसा करने से मसूड़ों की सूजन दूर होती है और दांतों का दर्द भी मिट जाता है।
गले के रोग में
प्याज को सिरका के साथ पीसकर इसका नियमित सेवन करने से कंठ रोग की बहुत-सी समस्याएँ दूर होती हैं। छोटे बच्चों में कफ से होने वाले रोगों में प्याज के 5-10 मिली रस में 10 ग्राम चीनी मिलाकर पिलाने से कफ दूर होता है। छोटे बच्चे की माताओं को कफ की हालत में 1-2 प्याज को पानी में उबाकर पीने से लाभ होता है। वात व पित्त भी बाहर निकल जाता है।
दमा के रोगी को प्याज का काढ़ा बनाकर 40-60 मिली की मात्रा में लेने व इसकी जड़ के रस का सेवन करने से तेज हिचकी तथा दमा में लाभ होता है।
प्याज के रस के सेवन से या कच्चा प्याज खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है और कमजोर पाचन के कारण होने वाली बीमारियां दूर होती हैं। प्याज के 20 मिली रस में 125 मिग्रा हींग और 1 ग्राम काला नमक व नींबू का रस मिला लें। इसे दिन में तीन बार पिलाने से पेट के दर्द में लाभ होता है।
प्याज के 1-2 नग को 50 मिली सिरका के साथ मिलाकर खाने से आमाशय को बल मिलता है और पाचन ठीक होता है।
बवासीर में उपयोगी
बवासीर में खून आने की स्थिति में सफेद प्याज के 20-30 मिली रस का सेवन करना अच्छा होता है। दिन में दो-तीन बार करने से खून आना बंद हो जाता है।
सफेद प्याज का छाछ के साथ सेवन करने से और भी ज्यादा लाभ होता है। इसके अलावा शरीर की ऐंठन, पेचिस, पीलिया, गुर्दे की पथरी, यौन रोग, मिर्गी व महिलाओं को कच्चे प्याज का नियमित सेवन करने से मासिक चक्र भी नियमित होता है। इसके अलावा गठिया, कमर दर्द, पक्षाघात (लकवा) तथा तंत्रिकाओं में दर्द आदि की स्थिति में प्याज का सेवन करने से लाभ होता है।
प्याज के छिलके वाली कहावत तो आप जानते ही होंगे ठीक उसी प्रकार ना जाने कितने ही रोगों में प्याज उपयोगी है।
लेखक- निशिकांत मंडलोई
सत्यदेव नगर, इंदौर