Sunday, 22 ,December 2024
RNI No. MPHIN/2018/76422
: mahikigunj@gmail.com
Contact Info

HeadLines

नये अधिकारी, नए नियम, आम जनता की फजीयत... | भाजपा संगठन पर्व 2024... | नवीन संकुल केंद्र पर शिक्षकों की बैठक संपन्न | मोहन सरकार का 1 वर्षिय कार्यकाल पूर्णः सभी 29 सिटे जितना उपलब्धि | एसपी ने पुलिस थाना का किया निरीक्षण | जयेश और दिव्यांशी का क्रिकेट कोचिंग के लिए हुआ चयन | समाज सेवा संस्थान के एक दिवसीय आयोजन में 150 से अधिक महिलाओं ने ली सहभागिता | सट्टा खेलते महिला आरोपिया को पुलिस ने किया गिरफ्तार | सहकारी संस्था में यूरिया खाद नहीं, बाजार में मिलता है ऊंचे दामों पर | पुलिस की पोल: हेलमेट ताक पर, तीन व्यक्ति से सवार बाइक ने मारी महिला को टक्कर, चार जख्मी | उपचुनाव जीत के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह | निर्दयी माँ ने अविकसित बच्चे को फेंका कचरे की तरह | डिजिटल अरेस्टः सरकार इतनी असहाय क्यों...? | कृषि मंत्री की मौखिक घोषणा के झांसे में आए किसान को लगी 25 हजार चपत | जनजातीय गौरव दिवस विशेष: धरती आबा भगवान "बिरसा मुंडा" | गौसेवा ही नारायण सेवा है- आचार्य डॉ. देवेन्द्र शास्त्री | आज दिपावली पर पति-पत्नी की अंतिम यात्रा निकलेंगी एक साथ | शिक्षक की सेवानिवृत्ति पर आयोजित हुआ विदाई समारोह | पुलिस का खुफिया तंत्र और स्थानीय प्रशासकीय तंत्र पूरी तरह फैल या मामला साठ-गाठ का....? | शिक्षा के मंदिर को शर्म सार करने वाली अधिक्षिका का विडियो वायरल |

माँ के हाथ का हलवा
Report By: पाठक लेखन 16, May 2021 3 years ago

image

     माँ के हाथ में वैसे भी जादू होता है, उनका ममतामयी चमत्कार स्नेहाशीष बनकर सर्वथा अपनी संतानों के लिए समर्पित रहता है। इन पंक्तियों को संजीदा करती हमारी यह रचना "माँ के हाथ का हलवा" जिसको मैंने तब पंक्तिबद्ध किया था.. जब थका, हारा घर पर पहुँचते ही मैंने माँ से कहा था कि, आज सूजी का हलवा खाने का मन है, बहुत जोरों की भूख लगी है। मेरे अक्षरश: शब्दों की ध्वनि जैसे ही माँ के कानों में गई तत्क्षण माँ ने हलवा बनाना शुरू कर दिया। तत्पश्चात मैं जितनी देर हलवे की प्रतीक्षा में आत्ममंथन करने में लगा था, तभी माँ ने मेरे समक्ष हलवा भी लाकर रख दिया। मेरी भूख का वेग इतना अधिक था, कि तुरंत ही हलवे पर टूट पड़ा। मेरे खाने की तीव्रता देख माँ भी अचरज में पड़ गयी। उन्होंने मुझसे प्रश्न भी किया खाते वक़्त कि, कैसा बना है हलवा? पर मैं तो तन्मयता से खाने में लगा था। और अंततः एक समय आया जब मैंने पूरा हलवा खा लिया था। तभी मैंने माँ से कहा कि, तुम्हारे इस प्रश्न का उत्तर मैं बोल कर नहीं, लिख कर दूंगा! आज वही पंक्तियाँ मैं आप सभी स्वजनों के स्नेह एवं आशीष हेतु प्रस्तुत कर रहा हूँ..!! 

ये जो माँ के हाथ का बना हलवा है,
इसका भी अलग ही एक जलवा है। 

पहले सूजी को अच्छे से साफ़ करती हैं,
किसी भी घुन को नही माफ़ करती हैं। 

फिर स्टोव पर कढ़ाई को चढ़ाती हैं,
भूरा लाल होने तक सूजी को पंकाती हैं। 

भीनी भीनी खुशबू आनी शुरू हो जाती है,
माँ फिर से रसोई घर की गुरु हो जाती हैं। 

पानी, घी सूजी में अच्छे से मिलाती हैं,
स्टोव को धीमी आंच में जलाती हैं। 

तब तक बादाम किशमिश भी काट लेती हैं,
गरी के खोपे को भी अच्छे से छांट लेती हैं। 

किशमिश बादाम को अच्छे से मिलाती हैं,
गरी से हलवे को फिर अच्छे से सजाती है। 

हलवा कटोरी में फिर हलवा परोस लाती हैं,
सबसे वाह मजा आ गया का घोष पाती हैं। 

सुबह हो या शाम हलवा जब मिल जाता है,
आत्मा होती है तृप्त और दिल खिल जाता है। 

माँ की बेमिसाल रसोई फिर से छा जाती है,
हलवे की आखिरी सूजी तक भा जाती है। 

ये जो माँ के हाथ का बना हलवा है,
इसका भी अलग ही एक जलवा है।। 

प्रफुल्ल सिंह "बेचैन कलम"
युवा लेखक/स्तंभकार/साहित्यकार
लखनऊ, उत्तर प्रदेश


माही की गूंज समाचार पत्र एवं न्यूज़ पोर्टल की एजेंसी, समाचार व विज्ञापन के लिए संपर्क करे... मो. 9589882798 |