इस समय देवास और देवास की जनता सहमे हुए हैं। चारों ओर हताशा का माहौल है, जो नेता, जो छुटभय्ये अपनी-अपनी बीवियों, माताओं-बहनों, को महापौर, पार्षद बनवाने के लिए सोशल मीडिया पर ले आए थे, वे सब तथाकथित जनप्रतिनिधि गधे के सिर से सिंग की तरह गायब है। वह तो भला हो उच्च शिक्षित, संवेदनशील, आम आदमी के बीच से निकले सांसद, महेंद्र सिंह सोलंकी का, जिन्होंने सांसद निधि से 30 लाख की सहायता अपने संसदीय क्षेत्र को प्रदान कर अनुकरणीय काम किया। उन्हें देखकर,या कहें उनसे प्रेरणा ग्रहण कर अन्य समाजसेवी आगे आए और सहायता प्रदान करने लगे। अभी भी नगर के धन्ना सेठों से, नगर तथा नगरवासियों को उम्मीद है कि, वे मानव जाति को बचाने के लिए अपनी गांठ ढीली करेंगे। प्रशासन अपने स्तर पर काम कर रहा है, लेकिन उसे जनसहयोग की अत्यंत आवश्यकता है और यह हम सबको दिखाई दे रहा है। जिनकी चमड़ी चली जाए, लेकिन दमड़ी नहीं जाने देते, ऐसे लोगों से उम्मीद करना भी बेकार और उनकी बात करना भी बेकार। चारों तरफ हताशा का माहौल है, नगर जिनको नेता के रूप में जानता था, भुगतता था, वे सब जनता के बीच से नदारद है। विरोधी नेता सहयोग नहीं करते, बल्कि कोरी बयानबाजी कर शासन और प्रशासन के कामकाजों में मीनमेख निकालने की कोशिश कर, मानवता को शर्मसार कर रहे हैं। एक विरोधी नेता राजनीति में इतना मशगूल हो गया, कैमरा देखकर इतना पगला गया कि, उसने सेना बुलाने की बात कह दी।अब इसमें सेना क्या करेगी? भले मानुष यह ऐसी जंग है, जो मिल-जुलकर लड़ना पड़ेगी, इसमें सेना कुछ नहीं कर सकती।
इस समय अस्पतालों में बिस्तर, आक्सीजन, दवाईयों का अभाव है, मानवता कराह रही हैं और रोज दो-चार प्रियजनों के दुनिया से गुजर जाने की खबर से करीब-करीब हर कोई दो-चार हो रहा है। ऐसे समय में हर कोई शासन-प्रशासन को सहयोग का भाव रखे तो ही हम कोविड से जंग जीत सकते हैं, इसे हरा सकते हैं, आम नागरिक स्व प्रेरणा से नियमों का पालन करें और दानदाता खुले मन से दान दें।
शासन-प्रशासन ने औद्योगिक इकाइयों से भी निवेदन करना चाहिए कि, वे आगे आएं और देवास की स्वास्थ्य सेवाओं को चाक-चौबंद करने में मदद करें। यदि ऐसे समय में भी ये औद्योगिक इकाइयां आगे नहीं आती है तो इनका देवास में होने का औचित्य क्या? कहने को देवास प्रदेश का दूसरे नंबर का औद्योगिक क्षेत्र है, पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र विकसित होने से पहले तक तो देवास के पास प्रदेश का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र होने का तमगा हुआ करता था, यह तमगा देवास से क्यों छीन गया? इस पर जनप्रतिनिधियों से फिर कभी सवाल जवाब करेंगे, अभी तो यह कहेंगे कि देवास में राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर की दर्जनों औद्योगिक इकाइयां स्थापित हैं, ये क्या कर रही है देवास की मानव सम्पदा बचाने के लिए? ये अभी तक आगे क्यों नहीं आई? नहीं आई तो शासन-प्रशासन ने इनको आगे आने के लिए अब तक कहा क्यों नहीं? चाहे तो ये कंपनियां एक रात में सारी व्यवस्थाएं कर सकती हैं और देवास की मानव जाति को राहत पहुंचा सकती हैं। इन कंपनियों का एक फंड होता है सीएसआर (कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी)फंड का उपयोग अब तक कहां होता रहा और कहां हो रहा है? यह तो देवास के नागरिकों को पता चले। देवास के नेताओं को हम देख ही रहे हैं, वे कितनी योग्यता रखतें हैं? कितने नेताओं ने सीएसआरफंड को लेकर इन औद्योगिक इकाइयों से सवाल किए और कितने नेताओं ने यह फंड देवास की जनता पर खर्च कराने का उपक्रम किया? पीछे क्या हुआ, उस पर खाक डालो, कम से कम ऐसे समय में तो इन कंपनियों से कहा जाए कि, वे आगे आएं और देवास की मानव संपदा बचाने के लिए मदद के हाथ बढ़ाएं।
लेखक - पं. प्रदीप मोदी
देवास