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गणतंत्र दिवस ओर किसान कानून
Report By: पाठक लेखन 18, Jan 2021 3 years ago

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    गणतंत्र दिवस भारत की जनता के लिए ऐतिहासिक और राष्ट्रीय गौरव का दिवस है, इस दिन भारत का संविधान लागू हुआ था। गणतंत्र दिवस पर ही देश अपने संविधान से शासित होना शुरू हुआ था। भारत देश में दो प्रमुख राष्ट्रीय पर्व है, स्वंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस मसलन अंग्रजो से आजादी के बाद भी पूर्ण आजादी गणतंत्र दिवस को ही मिल पाई थी, जब भारत का संविधान लागू हुआ था।

    गणतंत्र दिवस करीब है और दिल्ली की सीमाओं पर अपनी मांगों के समर्थन में देश के किसान आंदोलन कर रहे है,  इस आंदोलन को सात सप्ताह से अधिक का समय बीत गया है।  केंद्र सरकार और किसान आंदोलनकारियों के मध्य अनेकों दौर की बैठके हो चुकी है, जिसका कोई भी नतीजा अब तक नही निकल पाया है। सरकार का कठोर रुख दिखाई दे रहा है,ओर किसान भी तीनो कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर अड़े हुए है। सरकार और किसान आंदोलनकारियों के बीच अगली बैठक 19 जनवरी को प्रस्तावित है, बैठक का यह दौर बेहद महत्वपूर्ण रहने की संभावना है, जिस पर सारे देश की निगाहें भी लगी हुई है। वह इसलिए कि किसान संगठन द्वारा तीनो कानूनों के रद्द किए जाने की मांग पूरी नही होने की दशा में गणतंत्र दिवस पर दिल्ली की सड़कों पर ट्रैक्टर परेड निकाले जाने की घोषणा की है। वैसे गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में किसानों की ट्रैक्टर परेड पर किसान नेताओं का कहना है कि, यह परेड पूरी तरह अनुशासित होगी, जो भारत के गौरव को बढाने वाली होगी।

     गणतंत्र दिवस को पूर्ण गौरव के साथ मनाने का प्रत्येक भारतीय को हक़ है, किसानों को भी यह हक प्राप्त है कि, वें अपने टैक्टरों पर तिरंगा लहराते हुए राष्ट्र की जयघोष करते हुए इस महत्वपूर्ण दिन जब देश के राष्ट्रपति तीनों सेनाओं से सलामी ले रहे हो, तब देश के अन्नदाता भी इस अवसर के साक्षी बन सकें।

    गणतंत्र दिवस पर भारत राष्ट्रीय रंग में रंगा हुआ रहता है। इस दिन देश की राजधानी दिल्ली में विशेष आयोजन होते है, जिसमे विदेशी मेहमान भी शामिल होते है। इस  वर्ष गणतंत्र दिवस पर सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिकाप्रसाद संतोखी मुख्य अतिथि के रूप में  शामिल होंगे। दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर होने वाला गरिमामय आयोजन जिसमे भारत की सैन्य शक्ति अपने शौर्य का प्रदर्शन करती है, विभिन्न प्रान्तों की झांकियां भारत की विविधता ओर एकता का सुंदर चित्र उकेरती है। राजधानी का यह आयोजन राष्ट्रीय गौरव ओर अभिमान का विषय होने से इसके इंतजाम काफी पूर्व से शुरू हो जाते है, इस कार्यक्रम में आमंत्रितों को विशेष पास जारी किया जाता है, जिससे आयोजन की व्यवस्था सुचारू बनी रहें, तो क्या किसानों की ट्रेक्टर परेड  निकलने से गणतंत्र दिवस पर दिल्ली के यातायात सहित अन्य व्यवस्थाएं प्रभावित होगी? जो गणतंत्र दिवस की गरिमा के अनुरूप नही होगा ?  क्या किसानों के इस प्रदर्शन से देश की राष्ट्रीय ख्याति प्रभावित होगी ?  यह सही है कि,  देश के किसानों को गणतंत्र दिवस पर दिल्ली की सडको पर ट्रैक्टर परेड निकालने का संवैधानिक अधिकार है, किन्तु किसानों का बड़ी संख्या में टैक्टरों के साथ दिल्ली में प्रवेश, दिल्ली की व्यवस्थाओं को बिगाड़ सकता है, गणतंत्र दिवस पर ऐसी अप्रिय स्थितियों से बचा जाना चाहिए इससे पूर्व ही कोई निराकरण होना चाहिए।

    गणतंत्र दिवस पर जब हम संविधान से शासित होने की शपथ लेते है तो हमे केंद्र द्वारा पारित तीनों किसान कानूनों को संवैधानिकता की कसौटी पर भी कसना होगा, इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी का कहना है कि, केंद्र सरकार ने जो कानून बनाया है, उसमें कई ऐसे मुद्दे है जो संवैधानिक है। संविधान के तहत कृषि राज्य सरकार का विषय है और राज्य सरकार इस पर कानून बना सकती है, लेकिन इस मामले में केंद्र सरकार ने संसद के जरिए कानून बनाया है जो सुप्रीम कोर्ट के सामने चुनोती का विषय हो सकता है, क्योंकि यह संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है।

     बेशक गणतंत्र में संविधान के शासन का महत्व है, जब देश का किसान अपने ऊपर लागू होने वाले कानूनों को लेकर सन्तुष्ट नही है ओर कृषि के बारे में कानून बनाने का अधिकार राज्यो का है, तब केंद्र सरकार का सख्त रुख उचित नही जान पड़ता है। आशा की जाना चाहिए कि, गणतंत्र दिवस के पूर्व सरकार और किसान बातचीत से  इन समस्याओं का हल निकाल लेंगे, जो संविधान की विजय का प्रतीक होगा, न्याय पाने का हक किसानों को संविधान के द्वारा प्रदत्त है।


लेखक नरेंद्र तिवारी एडवोकेट

7, शंकरगली मोतीबाग सेंधवा जिला बड़वानी (म-प्र-)


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