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आत्मनिर्भरता से ही स्वाभिमान बना जा सकता है
Report By: पाठक लेखन 13, May 2020 4 years ago

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कोरोना संक्रमण रोकने के एक मात्र उपाय के कारण 24 मार्च से लॉकडाउन में रह रहे हर इंसान को अब केवल लॉकडाउन से निजात का इंतजार है। हमें इस बात को स्वीकार करना ही पड़ेगा कि, लॉकडाउन का खात्मा कोरोना संक्रमण का खात्मा नही है। लॉकडाउन के दौरान हमने जिस संयम का परिचय दिया ऐसे ही संयम का हमें आगे भी लंबे समय तक पालन करना होगा। अब हर देशवासी को यह निश्चित करना होगा कि, कोरोना को अगर हम खत्म नही कर सकते तो उससे बचाव तो कर ही सकते है। इसके लिए हमें अपनी इच्छाशक्ति को मजबूत करना होगा। लॉकडाउन लंबे समय तक रखा भी नही जा सकता क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था को भी ध्यान में रखना है। 

मंगलवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने जो बातें कही उसके क्या मायने हैं।

क्या आपने कभी ये विचार किया कि इस दुनिया में आपकी तकदीर कौन और कैसे बदल सकता है? कौन है जो आपके चेहरे पर मुस्कुराहट ला सकता है? कौन है जो आपके जीवन को सुखी और आनंदमय बना सकता है? और कौन है वो जो आपकी हर समस्या का हल ढूँढ सकता है एवं आपके जीवन को एक आदर्श जीवन बना सकता है..?

कभी आपके सामने ये समस्त प्रश्न उपस्थित हो जायें तो धीरे से उठकर आइने के सामने चले जाना आपको स्वतः इन सभी प्रश्नों का उत्तर प्राप्त हो जायेगा। 

इस पूरी दुनिया में केवल एक ही इन्सान आपकी तकदीर बदल सकता है। इस पूरी दुनिया में केवल एक शख्स ही आपके हर प्रश्न का उत्तर और हर समस्या का समाधान हल निकाल सकता है और वो है केवल और केवल आप।

आपके जीवन में बतौर मार्गदर्शक बहुत सारे मील के पत्थर खड़े मिल जायेंगे मगर लक्ष्य तक गति आपको स्वयं ही करनी पड़ेगी। नीति शास्त्रों का वचन है कि, दूसरों पर भरोसा करके हजारों योजन की दूरी तय करने की क्षमता रखने वाला गरुड़ भी बैठ जाने पर एक मील भी गति नहीं कर सकता मगर स्वयं पर भरोसा रखकर निरंतर गतिमान चींटी भी बड़ी लम्बी दूरी तय कर लेती है। आलसी गरूड़ बनने से कई गुना श्रेष्ठ है निरंतर गतिमान चींटी बनना। जो देर से सही मगर एक दिन अपने लक्ष्य तक पहुँच अवश्य जाती है।

हमारे  प्रधानमंत्री ने अपने मगलवार के उद्बोधन में जो कहा उसे मैनिट भोपाल के मैकेनिकल विभाग के  प्रोफेसर डॉ आर, के, मंडलोई ने वह सब अपनी कविता के माध्यम से कुछ दिन पहले बताया था, आपके अवलोकनार्थ प्रस्तुत;


देशहित में युवा इंजीनियर, वैज्ञानिक,तकनीशियन,कारीगर और नवनिर्माण से जुड़े सभी कामगारों को समर्पित उद्गार,

"आत्मनिर्भर बनना है स्वाभिमान बढ़ाना है"

उठो जागो युवा अभियंताओं, वैज्ञानिकों और कारीगरों, समय आ गया जब हमको, मिलकर देश बनाना है, दुष्ट करोना से प्रभावित आर्थिक मंदी संवारना है, देश को उठाना है, 

आत्मनिर्भर बनना है, स्वाभिमान बढ़ाना है।

अनदेखी तो बहुत हुई, अब दुनिया को दिखाना है, नई तकनीकों को लेकर नवनिर्माण कराना है, देश को नया बनाना है, 

आत्मनिर्भर बनना है, स्वाभिमान बढ़ाना है।

सपनों को साकार करो अब, इनोवेशन दिखाना है, बहुत कुछ नया बनाना है, रोज़गार बढ़ाना है, स्वनिर्माण कराना है, 

आत्मनिर्भर बनना है, स्वाभिमान बढ़ाना है।

गांव हमारे बांट देखते, आधुनिक उन्हें बनाना है, शहरों में काम बढ़ाना है, औघोगिकी नई बनाना है, कल-पुर्जे सब नए, हमें स्वयं बनाना है, 

आत्मनिर्भर बनना है, स्वाभिमान बढ़ाना है।

गांवों में तकनीक पुरानी, नया विज्ञान सिखाना है, नई यांत्रिक लाना है, उत्पादन बढ़ाना है, 

आत्मनिर्भर बनना है, स्वाभिमान बढ़ाना है।

दिल में जो विज्ञान तुम्हारे, तकनीकों में लाना है।

घर से लेकर कारखानों तक, सुदृढ़ माल बनाना है,

आत्मनिर्भर बनना है, स्वाभिमान बढ़ाना है।

जन्म लिया इस देश में हमने, ज्ञान भी यहीं बढ़ाया है, फिर हम परदेश क्यों संवारे, जब भारत देश बनाना है,

आत्मनिर्भर बनना है, स्वाभिमान बढ़ाना है।

बहुत हुआ विदेशी परचम, अब अपना ध्वज फहराना है, देश में बिकता विदेशी उत्पाद, उसकी छाप हटाना है, अपना माल बनाना है, बेहतर सामान बनाना है।

आत्मनिर्भर बनना है, स्वाभिमान बढ़ाना है।

तकनीकी हम सभी जानते, उसको उपयोग में लाना है, जन-जन तक पहुंचाना है, सशक्त समाज बनाना है।

आत्मनिर्भर बनना है, स्वाभिमान बढ़ाना है।

सुई से लेकर कार बनाते, पर तकनीक विदेशी अपनाते, इसे पूर्ण स्वदेशी बनाना है, मुद्रा विनिमय घटाना है, आर्थिक लाभ बढ़ाना है। 

आत्मनिर्भर बनना है, स्वाभिमान बढ़ाना है।

युवा कौशल तुम खूब जानते, बस तकनीक सिखाना है, स्वरोजगार अपनाना है आत्मविश्वास जगाना है, सक्षम देश बनाना है, 

आत्मनिर्भर बनना है, स्वाभिमान बढ़ाना है।

जब सरकार है साथ तुम्हारे, संस्थान भी हैं मदद को आतुर, फिर देर है किस बात की, हो जाओ तुम तैयार चातुर्य, भारत का मान बढ़ाना है, विश्व गुरु उसे जो बनाना है।

आत्मनिर्भर बनना है, स्वाभिमान बढ़ाना है।

और इस सबके लिए प्रधानमंत्री ने आज 20 लाख करोड़ रुपये का एक पैकेज भी जनता के समक्ष पेश किया। 

तो आओ देश को हम सक्षम

बनाने के लिए स्वयं को तैयार करें।

           

                                पाठक लेखन    
              निशिकांत मंडलोई इंदौर(म.प्र.)  





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