
गरीब को हटाकर, मार्केट बनाने की योजना, सांसद के पत्र को मज़ाक बनाकर उड़ाया हवा में
माही की गूंज, पेटलावद।
कांग्रेस सरकार में चली अतिक्रमण मुहिम में कई लोगो को बेघर और बेरोजगार करने वाली नगर परिषद में बैठे दलालो और भूमाफिया की काली नजर अब गरीब की बेशकीमती जमीन पर पड़ गई है, इसलिये भूमि को हतियाने के लिए नए नए हथकंडे अब अपने पद का दुरुपयोग कर येन-केन प्रकारेण जमीन कब्जाने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि पेटलावद के रायपुरिया रोड पर बना बरवेटा का बीज का कारखाना पेटलावद पुलिस थाने की भूमि में बना हुआ पाया गया हैं, वही थांदला रोड़ पर बने प्रेमसागर गार्डन में शासकीय नाले की भूमि को अब तक पूरी तरह से सुरक्षित नही किया गया उल्टा लेन-देन कर गॉर्डन के लिए शासकीय भूमि में रास्ता दे दिया गया, बरवेट रोड पर बरवेटा द्वारा काटी गई फर्जी कॉलोनी पर अतिक्रमण हटाने गई राजस्व की टीम बेज्जत हो कर उल्टे पाव लौट चुकी है , आफ दी रेकॉर्ड नगर परिषद में दर्ज कांजी हाउस आज निजी हाथों में चला गया हैं ऐसे कई गंभीर मामले अतिक्रमण मुहिम के दौरान सामने आए जिन्हें कहि नोटो तो कही न्यायालय के नाम पर फाइलों में दबा दिया गया और आज भी अथा संपत्ति के मालिक आज शासकीय भूमि पर कब्जा करके बैठे हैं लेकिन नगर परिषद की नजर केवल स्टेट बैंक के पास की भूमि पर है जहाँ एक गरीब परिवार आज प्रशासन की दबंगई के कारण बिना छत के रहने पर मजबूर हैं, लेकिन नगर परिषद को ये भी रास नही आ रहा है और अब यहाँ नगर के करोड़पति सेठो के लिए मार्केट बनाने की योजना बना रही है, जिसके लिए बार-बार पीड़ित को परेशान किया जा रहा है । वेसे तो शासन का नियम है कि यही किसी शासकीय भूमि पर लम्बे समय से कब्जा है तो उसे पट्टे ओर मालिकाना हक प्रावधान हैं ऐसे कई वचिंत ओर गरीब परिवारों को पट्टा दिया जाना है लेकिन पेटलावद में ऐसे एक नही कई उदाहरण मिल जायेगा जिनके पास लाखों की सम्प्पत्ति होने के बाद भी सरकारी भूमि पर लीच ओर पट्टे करवा कर सरकार की भूमि गलत तरीके से हतियाकर आलीशान बंगले ओर मार्केट बना दिये वही आज एक गरीब परिवार छत के लिए मोहताज़ हो गया ,पेटलावद निवासी राधाकिशन गुर्जर का परिवार लगभग 40 वर्षो से अधिक समय पर सर्वे नबर 1105 पर रहता आया है पूर्व में भी अतिक्रमण बताकर हटाया गया था लेकिन न्यायालय में जाने के उक्त भूमि का पट्टा राजीव गांधी आवास योजना में पट्टा दिया गया, नगर परिषद में 1982 तक टेक्स के पैसे भी जमा करवाये गए लेकिन भ्रष्टो ने अपने काले कारनामे छुपाने के लिए नगर परिषद के पुराने रेकार्ड गायब कर दिए और अब नगर परिषद हमारे पास रेकॉर्ड नही होने का हवाला देकर राधाकिशन को भूमि से हटा रही है । अतिक्रमण मुहिम के दौरान नगर परिषद में बैठे कुछ भ्रष्टो की नजर इस भूमि पर ऐसी पड़ी की यहाँ एक बार तो बनी चद्दर पोश दुकानों को अतिक्रमण बताकर तोड़ा गया और फिर 15 दिन बाद पूरे मकान की योजनाबद्ध तरीके से तोड़ा गया अब लॉकडाउन से स्थिति सामान्य होने के बाद फिर से नगर परिषद दुकाने बनाने के नाम पर टूटा हुआ आशियाना भी छीनना चाहती है। राधाकिशन ने अनुविभागीय अधिकारी और नगर परिषद में आवेदन देकर शिकायत दर्ज कराई हैं कि, भूमि पर वर्षो से कब्जा होकर उक्त भूमि का पट्टा दिया गया हैं ।
सांसद के पत्र को हवा में उड़ाया
नगर परिषद और सांसद के बीच चल रही आपसी खींचतान कोई नई नही है अतिक्रमण मुहिम में राधाकिशन का मकान तोड़ने के बाद राधाकिशन के परिवार ने सांसद गुमानसिह डामोर को गुहार लगाई थी जिसके बाद 27 फरवरी 2020 को एक पत्र अनुविभागीय अधिकारी को लिख कर राधाकिशन के परिवार को राजीव गांधी आश्रय योजना में पट्टा देने को कहा था, उक्त पत्र के माध्यम से राधाकिशन नगर परिषद में भी गुहार लगा चुके हैं लेकिन अब तक कोई सुनवाई नही हुई है, गत दिनों उक्त भूमि की नपती के लिए पहुँचे नगर परिषद के अमले जिसमे अध्यक्ष मनोहर लाल भटेवरा भी मौजूद थे,राधाकिशन के पास रखे कागज और सांसद का पत्र भी दिखाया लेकिन अध्यक्ष द्वारा सांसद के पत्र को हवा में उड़ा कर अनदेखा कर कह दिया सांसद क्या करे यहाँ हमारा राज़ हैं । कोरोना संकट में लॉकडाउन ओर बीमारी से जूझ रहे बेरोजगार गरीब परिवार के साथ हो रहे व्यवहार को देखकर शासकीय व्यवस्था और नगर परिषद पर थू-थू कर रहे हैं ।
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