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केबिनेट मंत्री भूरिया के विधानसभा क्षेत्र में हो रहे भ्रष्टाचार के बड़े मामले उजागर
Report By: राकेश गेहलोत 18, Apr 2025 1 day ago

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रामा की तरह पेटलावद जनपद की जांच जरूरी, यहां भी हो रहा फर्जी बिलो का खेल

माही की गूंज , पेटलावद। 

    आदिवासी बाहुल झाबुआ जिले में विकास के नाम पर करोड़़ो रूपये सरकार खर्च कर रही है लेकिन जमीनी स्तर पर विकास के नाम पर खुला भ्रष्टचार किया जा रहा है। जिससे प्रदेश व जिले की साख के साथ-साथ स्थानीय नेताओं की साख पर बट्टा लग रहा है। यहां प्रदेश सरकार की केबिनेट मंत्री निर्मला भूरिया की विधानसभा क्षेत्र के रामा विकास खण्ड की जनपद पंचायत में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला उजागर हुआ है। मामला जनपद सीईओ और कम्प्यूटर ऑपरेटर, लेखापाल की मिलीभगत से करोड़ो रूपये के फर्जी भुगतान का है जिसके सामने आने के बाद प्रशासन के हाथ-पैर फूल गए और ताबड़तोड़ मामले की जांच के लिए जिला कलेक्टर ने जांच दल गठित कर दिया।

पेटलावद जनपद की जांच हो तो रामा से बड़ा भ्रष्टाचार होगा उजागर

    रामा विकास खण्ड का भ्रष्टाचार आखिर कैसे बहार आया ये विचारणीय है, क्योकि लगातार शिकायतो के बाद भी भ्रष्टाचार की शिकायतों को हवा में उड़ाने वाले प्रशासन को कैसे इस भ्रष्टाचार को उजागर करना पड़ा। रामा की तर्ज पर पेटलावद विकास खण्ड की जनपद पंचायत की जांच की भी आवश्यकता है। बिना कमीशन के खेल के यहां कोई भुगतान नही होता और कमीशन की बंदर बाट ऊपर तक होने की बात कही जाती है ओर वसूली की जाती है।

    माही की गूंज की कलम विगत 6 वर्षों से जनपद पंचायत में होने वाले खुले भ्रष्टाचार को उजागर करती आ रही है। ज्यादातर मौकों पर शिकायत की जांच में शिकायत सही पाई गई और अब तक अलग-अलग पंचायतों से लाखों रुपये की वसूली के आदेश भी हुए जो आदेश आज भी ऑफिसों में धूल खा रहे है। पेटलावद जनपद में सबसे ज्यादा ऐसे मामले उजागर हूए है जिंसमे बिना कार्य करे ही पूरी की पूरी राशि फर्जी बिलो के माध्यम से आहरण कर ली गई। लेकिन जिम्मेदारो ने एक भी पुलिस प्रकरण नही बनवाना तथा भ्रष्टाचार में उनकी खुली संगलिप्ता का जीवित प्रमाण है।

फर्जी बिलो का भुगतान, सब की अपनी-अपनी फर्म

    जनपद पंचायत पेटलावद में फर्जी बिलो के भुगतान का बड़ा खेल चल रहा है। सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक से लेकर इंजीनियर, लेखपाल, कम्प्यूटर आपरेटर सहित पेटलावद और जिले के अधिकारियों के कमीशन फिक्स है। लगभग सभी की सेटिंग किसी न किसी फर्म से है ओर उन फर्मों के फर्जी बिल लगाए जाते है। भुगतान होने के बाद फर्म मालिक टेक्स के नाम पर भुगतान की गई रकम  पर मोटा कमीशन लेकर बाकी का भुगतान सम्बंधित को कर देते है।

    पेटलावद जनपद के रिकॉर्ड की बात करे तो यहा ऐसी पचासो फर्म से भरा पड़ा है जो ज़मीनी स्तर से गायब होकर केवल बिलो के रिकॉर्ड पर संचालित है। ज्यादातर फर्मों के बताए गए पतो पर या तो फर्म की कोई दुकान नही है या फिर बिल में बताया गया मटेरियल ही इस दुकान में नही है। पंचायतो में होने वाले किसी भी कार्य के भुगतान में सबसे पहले सभी कमीशनखोरो के बिलो के भुगतान उनके कमीशन के हिसाब से होता है। फर्जी बिलो का भंडाफोड़ जांच में केवल उसी से हो जाएगा कि, कई फर्म उस पंचायत से कई किलोमीटर दूर है जहां से माल मटेरियल को लाना, लेजाना तक भारी पड़ जाता है। तो कई फर्म अन्य जिलों तक कि है जहाँ से माल खरीदी पुरी तरह से फर्जी है।

जनपद में अवैध रूप से काम कर रहा आखिर कौंन है यह पवन गांधी...?

    मिली जानकारीनुसार पेटलावद जनपद में पवन गांधी नाम का व्यक्ति लगभग 2012 से कम्प्यूटर ऑपरेटर के रूप में बिना किसी आदेश के काम कर रहा है और इस व्यक्ति का विकास खंड की सभी पंचायतों मे सेटिंग है। या यूं कहें कि, अधिकारियों का व्यक्तिगत अनाधिकृत एजेंट है जो ग्राम पंचायतों के सरपंच, सचिव ,रोजगार सहायक के आईडी पासवर्ड को संचालित कर भुगतान के लिए बिल अपलोड करने का काम करता है। विगत एक दशक से अधिक वर्षो से जनपद में जमा हुआ पवन गांधी का रिकॉर्ड खंगाला जाए तो पेटलावद जनपद में चल रहे फर्जी बिलो के भुगतान का बड़ा भांडाफोड़ होना तय है। जनपद के कर्मचारियों तक को जनपद ओर जिले के अधिकारीयो से पवन गांधी की सेटिंग समझ नही आ रही है।

एएस,टीएस से लेकर निर्माण करने, मूल्याकंन होने तक कमीशन, चैक डेम योजना में हुआ बड़ा भ्रष्टाचार

    जनपद पंचायत पेटलावद के माध्यम से होने वाले किसी भी कार्य के लिए यहां काम करने में लगे अघोषित ठेकेदारों की बड़ी भूमिका है। जो काम स्वीकृत करवाने के नाम पर ग्राम पंचायत से निर्माण का ठेका लेते है और कार्य की एएस से लेकर टीएस और कार्य के मूल्यांकन और बिलो के भुगतान तक सभी को कमीशन बाट कर काम करते है। निर्माण पर होने वाला स्टीमेट इस तरीके से तैयार किया जाता है कि, सभी को पेट भर कर कमीशन मिल जाए। विगत दो वर्ष पूर्व जनपद पेटलावद के माध्यम से किये गए चैक डेम निर्माण में भारी धांधली उजागर हुई थी, जिसके प्रमाण आज भी घटिया चैक डेम के रूप में मौजूद है। जहां चेक डेम बनने के बाद से एक बूंद पानी नही रुका, न उस क्षेत्र का जल स्तर बढ़ा, न ही आसपास के किसानों को कोई फायदा मिला। लापरवाही और भ्रष्टाचार का आलम ये है कि, लाखों रुपये खर्च कर बनाये गए चैक डेम में कई जगह गेट तक नही लगे।  कार्य मे मनरेगा से लेकर मटेरियल के भुगतान तक फूल कमीशन से कार्य किए गये। जिसकी जांच की जाये तो भ्रष्टाचार के नए आयाम पेटलावद जनपद में सामने आ सकते है।

मंत्री जी की साख पर लग रहा बट्टा, शिकायतों पर नही होती कार्रवाई

    पेटलावद विधानसभा की विधायक और प्रदेश सरकार में महिला बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया की साख पर बट्टा लग रहा है। उनके विधानसभा क्षेत्र में बड़े-बड़े भ्रष्टाचार उजागर हो रहे है। विधानसभा क्षेत्र में जल जीवन मिशन की खराब हालत हो या चैक डेम या निर्माण स्थल से गायब हो निर्माण या वर्षो से अधूरे पड़े घटिया निर्माण लापरवाही और भ्रष्टाचार की हदे पार कर रहे है। कई पंचायतों की शिकायते जन सुनवाई, सीएम हेल्पलाइन या अन्य शिकायती तरीको से सामने आई है। तो मीडिया के माध्यम से भी भ्रष्टाचार उजागर हुए लेकिन जिम्मेदार अधिकारीयो ने शिकायतो की जांच के लिए उसी एजेंसी या अधिकारी को नियुक्त किया जो खुद भ्रष्टाचार में लिप्त है। ग्रामीणों ओर शिकायकर्ताओ की उपस्थिति में कई बार जांच दल मौके से जांच करने के भ्रष्टाचार होने का आधा अधूरा प्रमाण जुटा कर इतिश्री कर लौट जाते है। अधिकारी अपने जांच प्रतिवेदन में भ्रष्टाचार पर पुलिस प्रकरण की अनुसंसा न करते हुए केवल वसूली जैसे हथकण्डे उपयोग कर प्रतिवेदन आगे बढ़ा देते है। जिसके आधर पर जिले के अधिकारी भी खानापूर्ति पर सम्बंधित पंचायत से वसूली के आदेश जारी कर शिकायत कर्ताओं को संतुष्ट कर देते है। शिकायत के बाद होने वाली जांच के बाद भ्रष्टाचार पाये जाने पर अगर कड़ी कार्रवाई हो जाती तो काफी हद तक भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सकती थी। लेकिन शायद जिम्मेदार ऐसा नही चाहते क्योकि सिस्टम की शुरुआत जिम्मेदारो के कमीशन से शुरू होकर शिकायत की जांच में कार्रवाई नही करने के नाम पर वसूली तक बात जाती है और इतिश्री हो जाता है।



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