
मॉनिटरिंग करने वाले विभागीय अधिकारियों की लापरवाही कहें या उदासीनता, ग्रामीणों को गर्मी में पानी के लिए होना पड़ रहा है परेशान
माही की गुंज, खवासा
जल संवर्धन योजना व जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीणों के घरों में शुद्ध पानी पहुंचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार अथक प्रयास कर रही है। लेकिन धरातल पर ठेकेदार पद्धति व निर्माण एजेंसी की लापरवाही के कारण 2 साल बाद भी ग्रामीणों को पानी नसीब नहीं हो पाया है।
बताते हैं, झाबुआ जिले की प्रत्येक ग्राम पंचायत में जहां पानी नहीं है, वहां पाइपलाइन और टंकियों का निर्माण किया जा रहा है। निर्माण एजेंसी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग है, और कार्य ठेकेदारों के माध्यम से करवाया जा रहा है। लेकिन ग्रामीण अंचलों में कार्य कछुआ गति से चलने के कारण योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है।
ऐसा ही एक मामला माही की गुंज को प्राप्त जानकारी के अनुसार सामने आया है, जिसमें थांदला जनपद की तलावड़ा ग्राम पंचायत के राजस्व गांव सादेड़ा का उल्लेख है। वहां तालाब किनारे एक समवेल टंकी का निर्माण किया गया है। निर्माण के बाद टंकी का कोई रखरखाव नहीं हुआ, जिससे टंकी लावारिस अवस्था में दिखाई दे रही है। टंकी के ऊपर कई प्रकार के पत्थर और कूड़ा-करकट जमा है। ग्रामीणों को शुद्ध पानी अब तक टंकी से नहीं मिल पाया।
बताया गया है कि कार्य करने वाली कंपनी प्रगति कंस्ट्रक्शन कंपनी, नई दिल्ली है, जिसने यह कार्य किया है। कार्य की गुणवत्ता निम्न व घटिया स्तर की है, साथ ही कार्य की गति भी अत्यंत धीमी है। पाइपलाइन की खुदाई भी मानकों के अनुरूप नहीं की गई है। यहां एक कुएं का निर्माण भी प्रस्तावित था, लेकिन ठेकेदार की लेटलतीफी और विभागीय अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण अब तक कुएं का निर्माण कार्य शुरू ही नहीं हुआ है।
माही की गुंज जब मौके पर पहुंचा तो पाया कि टंकी में काफी अनियमितताएं हैं और कार्य घटिया किस्म का किया गया है। जिन अधिकारियों की निगरानी में यह कार्य होना था, वे केवल कार्यालय में बैठकर औपचारिकताएं निभा रहे हैं। अब तक कार्य अधूरा है और ग्राम पंचायत को योजना हस्तांतरित भी नहीं की गई है।
ग्रामीणों का कहना है कि, दो साल हो गए हैं, टंकी जैसी बनी थी, वैसी ही है। ठेकेदार कभी आया ही नहीं और अधिकारियों ने भी यहां आकर देखने की जरूरत नहीं समझी। केंद्र सरकार जहां एक ओर योजना का प्रचार-प्रसार कर शुद्ध पानी पहुंचाने का दावा कर रही है, वहीं धरातल पर अधिकारी और ठेकेदार शासन के पैसों की बंदरबांट में लगे हैं।
पिछले कुछ अंकों में माही की गुंज ने जल जीवन मिशन से संबंधित प्रमाणिक खबरें प्रकाशित की थीं, लेकिन अधिकारियों ने अब तक कोई संज्ञान नहीं लिया। सवाल यह उठता है कि ग्रामीण अंचलों में इस प्रकार की योजनाओं में भ्रष्टाचार क्यों हो रहा है और देखने वाला कोई क्यों नहीं है?
कई स्थानों पर ठेकेदारों ने कार्य निम्न गुणवत्ता का किया है, लेकिन थांदला और झाबुआ जिले में किसी भी कंपनी को पीएचई विभाग द्वारा ब्लैकलिस्ट नहीं किया गया है, न ही कभी जांच की गई। इसी कारण अब भी अनियमितताएं जारी हैं, और अधिकारी कमीशनखोरी के चलते ठेकेदारों को संरक्षण दे रहे हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि तलावड़ा में यह योजना कब तक सुचारू रूप से शुरू हो पाती है।
विशाल लोवंशी, सब इंजीनियर, प्रगति कंस्ट्रक्शन कंपनी, नई दिल्ली का कहना है कि, वहां पाइपलाइन के साथ कनेक्शन तो दिए गए हैं। लागत कितनी है, यह तो देखकर ही बता पाऊंगा, लेकिन वहां कार्य बंद है। ग्राम पंचायत ने हमें कुएं के लिए जगह उपलब्ध नहीं करवाई थी, इस वजह से कार्य बंद है। बाकी कार्य शुरू किया जाएगा।
राहुल सोलंकी, एसडीओ, पीएचई विभाग, थांदला का कहना है कि, वहां का मामला दिखवाता हूं। सादेड़ा में ग्राम पंचायत द्वारा हमें जगह नहीं दी गई थी कुएं के लिए। अब हमें जगह दी गई है, तो कार्य शुरू किया जाएगा। मेरी जानकारी में है, और मैं मैडम से पूछकर आपको जानकारी दूंगा।
कमलेश गेहलोत, सरपंच प्रतिनिधि, तलावड़ा ग्राम पंचायत का कहना है कि, कार्य काफी समय से बंद है। मेरे द्वारा कई बार सूचना दी गई, लेकिन ठेकेदार ने कोई ध्यान नहीं दिया। कार्य जल्द से जल्द शुरू होना चाहिए – यह हमारी भी मांग है, ताकि ग्रामीणों को पानी मिल सके।