
स्वास्थ्य विभाग पूरे मामले की करें जांच ...
माही की गूंज। संजय भटेवरा।
खवासा। खवासा के व्यवसायी मनीष रमेशचंद्र चैहान के सुपुत्र (12) की मौत से लोगों के जेहन में कोरोना संक्रमण की याद ताजा हो गई है। लोग एक अज्ञात डर महसूस कर रहे हैं ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि वो इस मामले का पूरा सच लोगों के सामने लाए और संक्रमण को लेकर ग्रामीणों में फैले डर को दूर करें। क्योंकि लोग अभी भी कोरोना संक्रमण को भूल नहीं पाए हैं।
क्या है मामलाः
खवासा निवासी लगभग 12 वर्षीय ऋषभ जो की ग्राम की सत्य साई कान्वेंट स्कूल की कक्षा 6 टी में अध्ययनरत था। परीक्षा के दौरान उसने पेपर भी दिए थे और उसकी तबीयत खराब हो गई तथा कोरोना से भी एक बड़े किसी अज्ञात संक्रमण ने मासूम ऋषभ को गिरफ्त में ले लिया और स्कूल से लेकर घर तक सबको हंसाने वाले ऋषभ की मौत चार दिनों में ही हो गई । लेकिन उसका शव संक्रमण के चलते घर पर ना लाकर रात भर गांव के सिवाडे ही चार पहिया वाहन में पड़ा रहा। और अलसुबह 7 बजे वाहन को घर लाया गया और विभत्स्स संक्रमण गाइडलाइन के साथ ही इसका अंतिम संस्कार किया गया।
माही की गूंज ने मासूम की मौत व संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए रोते-बिलखते पिता मनीष चैहान से विस्तृत जानकारी ली तो बताया, उनकी एक बड़ी पुत्री व एक पुत्र ऋषभ था। जो खवासा की सत्य साई कान्वेंट स्कूल की कक्षा 6 टी में पढ़ता था व परीक्षा के पेपर भी दिए। 27 मार्च को ऋषभ की तबीयत खराब हुई और ऋषभ ने बताया कि, मेरे हाथ-पैर व कमर में दर्द हो रहा है। 28 मार्च को खवासा के पाटीदार लैब में जांच करवाई तो वायरल फीवर बताया। स्थानीय डॉक्टर से उपचार करवाने के बाद स्थानीय डॉक्टर की सलाह पर पेटलावद में बच्चों के डॉक्टर अखिलेश सोराड़ा के पास उपचार हेतु 29 मार्च को ले गए। वही 29 मार्च को चेहरे पर माताजी निकलते हैं उस तरह की फुंसिया चेहरे पुरे शरीर पर उभर गई।
डॉक्टर सोराड़ा ने उपचार किया, बोतल चढ़ाई तो थोड़ी सी राहत होने पर छुट्टी दे दी। 30 मार्च को पुनः उपचार हेतु सुराना हॉस्पिटल ले गए। डॉक्टर सुराना ने 31 मार्च को घर पर ही बोतल चढ़ाने की सलाह दी व ट्रीटमेंट लिखकर दिया। 31 मार्च को खासी व सास में तकलीफ होने पर स्थानीय एक डॉक्टर ने तत्काल थांदला में बच्चों के डॉक्टर परस्ते को बताने तथा आगे ले जाने की सलाह दी। जिस पर मै तत्काल डॉक्टर परस्ते को चेकअप करवाने हेतु थांदला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ऋषभ को ले गया। डॉक्टर परस्ते ने उपचार करने के साथ उन्होंने तत्काल झाबुआ के लिए रेफर किया लेकिन ऋषभ को दाहोद ले जाया गया। जहां दो-तीन बच्चे के डॉक्टर को इमरजेंसी चेकअप करवाया। लेकिन दो-तीन डॉक्टरों ने वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं होने का कारण बताकर उपचार नहीं किया व बड़ौदा ले जाने का कहा।
ऋषभ का ऑक्सीजन लेवल भी 50 के अंदर हो गया था। एक डॉक्टर से मिन्नतें करने के बाद उपचार किया और तत्काल एंबुलेंस कर बड़ौदा के काशीबेन हॉस्पिटल ले गए जहां करीब डेढ़ घंटे उपचार किया, जांच की तो कोई गंभीर बीमारी के होने का बताया। तथा इसे तत्काल बड़ौदा के सियाजी अस्पताल ले जाओ कहा। सयाजी हॉस्पिटल के अलावा इसका उपचार बड़ौदा के कोई भी डॉक्टर नहीं करेंगे ये भी कहा।
मनीष चैहान ने डॉक्टर को यहां तक कहा कि, साहब पैसा जितना भी लगे में खर्च करने को तैयार हूं आप या कोई भी डॉक्टर इसका उपचार अच्छे से कर मेरे बेटे को सही कर दे।
काफी संवाद के बाद काशीबेन हॉस्पिटल के डॉक्टर ने 108 एंबुलेंस बुलावाकर सयाजी हॉस्पिटल भेजा और तत्काल उपचार शुरू कर 31 मार्च की शाम को तमाम तरह की जांचे की गई और कुछ ऑक्सीजन लेवल में भी सुधार हुआ था। लेकिन यहां के डॉक्टर ने स्पष्ट कहा कि, इसकी जांच रिपोर्ट 24 से 48 घंटे में आएगी। उन रिपोर्ट के आधार पर उपचार किया जाएगा लेकिन 24 घंटे बच्चे के लिए गम्भीर है।
ऋषभ को वेंटिलेशन पर रख उपचार जारी रहा लेकिन 1 अप्रैल को करीब साढ़े12 बजे ऋषभ हम सबको छोड़कर चला गया।
मनीष चैहान ने बताया कि, डॉक्टर ने हमें पहले शव देने से मना कर दिया और कहा कि, यह कोई बड़ा संक्रमण है ऐसा मरीज 15 से 20 वर्ष पूर्व सामने आया था। ऋषभ का अंतिम संस्कार यहां की मुंशी पार्टी ही करेगी। बड़ी मिंन्नतो के बाद व संक्रमण की गाइडलाइन के साथ अंतिम संस्कार करने की बाद कही, जिसके बाद हॉस्पिटल प्रबंधन ने शव को डबल कवर में पैक कर न खोलने की हिदायत दी व मास्क व सैनिटाइजर का उपयोग के साथ अंतिम संस्कार के दौरान कोई भी ज्यादा व्यक्ति पास में न हो कहकर शव को परिजनों को सोपा।
रात 8 बजे एंबुलेंस से मासूम ऋषभ के शव को लाया गया। जहां एक अन्य वाहन में शव रख एंबुलेंस चली गई। अन्य वाहन में शव गांव के सिवाडे ही रखा गया और बुधवार को अल सुबह 7बजे बालक ऋषभ का अंतिम संस्कार खवासा के मुक्तिधाम पर किया गया। लेकिन शव यात्रा में संक्रमण को लेकर तरह-तरह की चर्चा होती रही।
इस संबंध में पेटलावद के डॉक्टर अखिलेश सोराड़ा से बात की गई तो बताया, ऋषभ को माताजी के दौरान जो फुंसिया होती है वह पूरे शरीर में थी जब मेरे पास उपचार हेतु आए थे। एवं लेब की रिपोर्ट भी लाए थे जिसमें सभी सामान्य था और सामान्य उपचार बुखार व फुंसियों को कम करने का किया गया था, हमें किसी संक्रमण का अंदेशा नहीं लगा।
सत्य साईं स्कूल के संचालक राजेश व्यास से बात की तो बताया, हमारी स्कूल में कक्षा 6टी में पढ़ता था और बहुत ही सीधा लड़का था। मौत की सूचना मिलने के बाद पूरी स्कूल में शोक व्याप्त है। उसे माताजी निकले थे, यह जानकारी थी। स्कूल में अन्य कुछ बच्चों को भी माताजी वाले बीमार बच्चे थे, जिनके शरीर में फुंसियां निकली हुई थी। उन बच्चों को स्कूल आने पर अलग कक्षा में बिठाकर पेपर दिलवाए थे। लेकिन ऋषभ की मौत किसी अज्ञात एवं बड़े संक्रमण के कारण होना बताया जा रहा है इसलिए एतिहात के तौर पर स्वास्थ्य विभाग में लिखित या मौखिक मांग करूंगा कि, अन्य किसी को संक्रमण से कोई खतरा न हो इसलिए स्वास्थ्य अमला, स्कूल स्टाॅफ, बच्चों एवं परिजनों का परीक्षण आकर करे।
संक्रमण को लेकर स्वास्थ्य विभाग स्थिति स्पष्ट करें
पूरे मामले को लेकर गांव में एक अज्ञात डर का माहौल है जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग के साथ ही प्रशासन को स्थिति स्पष्ट करना चाहिए। अगर संक्रमण भयावह है तो बालक के संपर्क में आए सभी लोगों की जांच की जानी चाहिए। साथ ही अगर संक्रमण भयावह नहीं है तो भी पूरा मामला विभाग को आम जनता के सामने रखना चाहिए।
अज्ञात संक्रमण से मासुम ऋषभ की हुई मौत।