माही की गूंज, बनी
अंतराज्यीय बस सेवा के नाम पर कोरोना संक्रमण विकराल रूप ले लेगा, इसकी पूरी संभावना दिख रही है। रायपुरिया से सूरत तक चलने वाली बसों में भारी मात्रा में सवारी बे रोक-टोक भरी जा रही है, कोरोना अब शहर से निकल कर ग्रामीण इलाको से फलियो तक पहुच गया हैं, जहा से बड़ी संख्या में ग्रामीण मजदूरी के लिए अन्य राज्यो में जाते हैं। लगातार ग्रामीण इलाकों से मजदूरो का आना-जाना लगा रहता है, खास कर महाराष्ट्र और गुजरात जहां कोरोना का संक्रमण बहुत ज्यादा है। वर्तमान में संक्रमण को देखते हुए रेल सेवा को सरकार ने लगभग बन्द कर रखी है, ऐसे में बड़ी संख्या में मजदूर इन बसों के द्वारा अन्य राज्यो में जा रहे हैं और वहाँ से आ भी रहे हैं, शासन ने नियम व शर्तों के साथ इन बस संचालको को बस संचालन की अनुमति दी गई, लेकिन सभी नियमो को ताक में रख कर बस में ठूस-ठूस कर सवारियां भरी जा रही है और बस में सवारी को बिना किसी सोशल डिस्टन्सिंग और शासन के मापदंडों को धयान रखे बसे संचालित की जा रही हैं, कुछ बसों का संचालन इस तरह से पुलिस प्रशासन के सामने ही किया जा रहा है, रायपुरिया थाने के पास बाईपास मार्ग पर ऐसी स्थिति रोज देखी जा सकती है, जहाँ बसों में क्षमता और नियम से अधिक सवारी लाई व ले जाइ जा रही है ।
किसी की जांच की कोई व्यवस्था नही
गुजरात और महाराष्ट्र की ओर से आने-जाने वाले मजदूरों की किसी प्रकार की जांच नही हो रही है, जिससे बहार से आने वाले मज़दूर कोरोना संक्रमण का शिकार होकर अगर आ जाते हैं तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी, क्योकि कल्याणपुरा के पास के गाँव में बहार से आए मजदूर कोरोना संकृमित निकल चुके हैं और ग्रामीण इलाकों में कई ऐसे मामले आये है जिनकी कोई कोरोना के संपर्क वाली ट्रेवल हिस्ट्री नही है फिर भी कोरोना से संकृमित पाये गए हैं।
पूरा खेल बन्दी का
बसों के नियमो को ताक में रखकर हो रहे संचालन के पीछे पूरा खेल बन्दी का है, क्योंकि ये बसे हजारों किलोमीटर का सफर कई बेरियर, चेक नाके ओर पुलिस थाने आते हैं लेकिन इन बसों को कही दिक्कत नही आती न कोई रोक-टोक होती है, जिसके पीछे की कहानी को आसानी से समझा जा सकता हैं जो जवाबदार केवल अपने कमीशन के चक्कर मे लापरवाही बरत कर जिले में कोरोना के संक्रमण को बढ़ाने में अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग दे रहे हैं।