माही की गूंज ,मुंबई।
उक्त आयोजन मुंबई के विशाल राजभवन में किया गया। गुजरात एवं महाराष्ट्र के राज्यपाल आचार्य देवव्रत , पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया तथा महाराष्ट्र सरकार के कैबिनेट मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।
बतादे कि,म.प्र. के पश्चिमीछोड पर स्थित आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र झाबुआ जिले के थांदला के गौरव है। आप सन 1875 में झाबुआ जिले के थांदला नगर में जन्मे। पूज्य आचार्य श्री जवाहरलाल जी महाराज साहब ने अहिंसा, सत्य और संयम के आदर्शों को अपने जीवन में उतारकर देश की आजादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके इसी अद्वितीय राष्ट्रसेवा भाव को नमन करते हुए भारत सरकार ने यह स्मारक सिक्का एवं डाक टिकट जारी किया है।
विमोचन समारोह में राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि, इस संसार में सत्य ही स्थायी है, असत्य से दुनिया कभी नहीं चल सकती। अहिंसा का पलड़ा हमेशा भारी रहा है, यदि मानव ने हिंसा अपना ली, तो संसार का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। सत्य और अहिंसा को अपनाकर ही सुख-शांति का मार्ग मिलता है। आगे कहा कि, पूज्य श्री ने अहिंसा के पथ पर चलकर देश की स्वतंत्रता में अमूल्य योगदान दिया।
पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि, आचार्य श्री जवाहरलाल जी महाराज साहब का संपूर्ण जीवन तप, त्याग और संयम का प्रतीक था। उन्होंने युवा पीढ़ी को संदेश दिया कि राष्ट्र के बिना धर्म की साधना संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि, इस वर्ष राष्ट्र जैनाचार्य जवाहरलाल जी महाराज और जनजाति नायक बिरसा मुंडा—दोनों महापुरुषों की 150वीं जयंती मना रहा है। जिन्होंने आजादी की क्रांति में सक्रिय भूमिका निभाई।
गरिमामयी आयोजन जसकरण बोथरा फाउंडेशन के सिद्धार्थ बोथरा के नेतृत्व में सम्पन्न हुआ। श्री बोथरा पिछले 2004 से इस कार्य को साकार करने हेतु प्रयासरत थे। उन्होंने केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का विशेष आभार व्यक्त किया, जिन्होंने डाक टिकट जारी करने की मांग को स्वीकृति प्रदान की।
समारोह में देशभर से आचार्य श्री के अनुयायी, दिगंबर परंपरा, तेरापंथ सभा तथा मंदिरमार्गी समाजजन ,अन्य विशेष अतिथि उपस्थित रहे।
थांदला से आचार्य श्री जवाहरलाल जी महाराज साहब का परिवार भी विशेष रूप से उपस्थित था। समारोह के पश्चात पूरे देश में उत्साह एवं गौरव का वातावरण व्याप्त है।
एक महान संत का राष्ट्रीय गौरव
पूज्य आचार्य श्री जवाहरलाल जी महाराज साहब ऐसे अद्वितीय जैनाचार्य थे जिनके सत्संग एवं प्रवचनों से महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, लोकमान्य तिलक, विनोबा भावे सहित अनेक राजा-महाराजा प्रभावित थे।
राजभवन में सम्पन्न यह कार्यक्रम उनकी राष्ट्रीय सेवा, सत्य, अहिंसा और तप की महान परंपरा को समर्पित रहा।
यह आयोजन न सिर्फ जैन समाज बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए गौरव का विषय बन गया।

