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अतिथियों की दिवाली बिना वेतन वाली
22, Oct 2025 9 hours ago

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अतिथि शिक्षको को दीपावली पर्व पर भी नहीं मिल पाई सैलरी

माही की गूंज, पेटलावद।

          अतिथि देवों भवों की बात हमारे देश में की जाती है लेकिन अतिथियों की हालत पेटलावद खराब हो गई। शिक्षा व्यवस्था को सुचारू रूप से चला कर सरकार की नाक कटने से बचाने वाले अतिथि शिक्षको की दिवाली विभागीय लापरवाही की वजह से काली हो गई। विगत वर्षों से बेरोज़गारी का दंश झेल रहे अतिथि शिक्षक मामूली वेतन पर अपनी सेवाए देने का काम कर रहे है। विभागीय लापरवाही की वजह से अतिथि शिक्षको की नियुक्ति भी लेट हुई। 

          हम बात करे कि, इस दीपोत्सव के पर्व पर हर कर्मचारी के परिवार में त्योहार मनाने और खुशियों मनाने के लिए अर्थ याने सैलरी का इंतजार होता है और खास कर अल्प वेतन पर कार्य कर रहे अतिथियों को तो एक यही आस रहती हैं कि शासन-प्रशासन दीपावली पर्व पूर्व वेतन जरूर देगा। शासन-प्रशासन कोशिश भी करता है कि हर घर दीप जले और घर रोशन हो, पर कुछ अधिकारियों को इसमें भी अपना निजी स्वार्थ आड़े आ जाता है और अमावस्या की इस काली रात को भी काली करने से बाज नहीं आते। खुद के घर रोशन और दूसरों के घर अंधेरा कर दिया जाता हैं। ऐसा ही हुआ है झाबुआ जिले के पेटलावद तहसील में... 

         पूरे जिले में अतिथि शिक्षकों का वेतन मिल गया परन्तु पेटलावद में इस अधिकारी ने ग़रीब अतिथि शिक्षकों को दीपावली पर ही दीपक जलाने लायक भी नही छोड़ा, अतिथि शिक्षकों को उधार की दीपावली मनाने पर मजबूर होना पड़ा। पेटलावद विकास खंड के अतिथि शिक्षको के वेतन का भुगतान नहीं हो पाया जिस वजह से अतिथि शिक्षको के घर की दिवाली फीकी रही। इधर खंड शिक्षा अधिकारी देवेंद्र ओझा ने इसके लिए संकुल से उपस्थिती लेट आने ओर लगातार अवकाश होने की बात कहते हुए पल्ला झाड़ लिया।

        ओझा साहब ने बताया कि, बिल जनरेट भी हो चुके हैं लेकिन ट्रेज़री बंद होने के कारण भुगतान नहीं हो पाया है। जिले के दूसरे विकास खंडों में अतिथियों के वेतन का भुगतान होने की जानकारी देने पर ओझा साहब निरुत्तर हो गए। बोले, छुट्टियां खत्म होते ही अतिथियों का वेतन तो आ जायेगा। लेकिन ज्यादातर अतिथि शिक्षक इस वेतन के भरोसे थे जिनके चेहरों पर मायूसी रही ओर उधार की दिवाली बनाने पर मजबूर हुए। इस प्रकार की लापरवाही के जिम्मेदार अगर संकुल प्राचार्य हो या विकास खंड के अधिकारी इन पर कार्यवाही होनी चाहिए ताकि इस प्रकार की लापरवाही के चलते बड़े त्योहारों पर किसी की खुशियां इस प्रकार खत्म न हो।


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