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माही की गूंज, थांदला।
शासकीय अस्पताल में वाहन चालक के रूप में 33 वर्षों का अपना सेवाकाल समाप्त कर जब वह अपने घर लौट रहे थे। तब उनके चेहरे पर सकून था सफल सेवाकाल का, खुशी थी परिवार के साथ समय बिताने की, दुख भी था अपने सहकर्मी को छोड़कर जाने का।
विदाई समारोह को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि 1991 में शासकीय सेवा में बतौर चालक के रूप में पदस्थ हुए शांतिलाल पडियार ने वाहन चालाक के रूप में अपनी सेवा ना केवल बखूबी निभाई। बल्कि अपनी जिम्मेदारियां से हटकर कई बार मानव सेवा की मिसाल भी पेश की। अपने सौम्य और सरल व्यवहार के कारण शांतिलाल अपने अधिकारियों के चहते बने हुए रहे। अपने सहयोगियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उनकी हर परेशानी में उनके साथ खड़े रहना शांतिलाल पडियार का व्यक्तित्व रहा। शांतिलाल को अस्पताल स्टाप में प्यार से शातुभाई कहकर बुलाते थे चाहे चिकित्सक हो या स्टाप को कोई भी व्यक्ति हो। विदाई समारोह के बाद जब शांतिलाल पडियार को उनके अधिकारियों, कर्मचारियों द्वारा पैदल उनके निवास तक छोड़ा गया तो हर किसी की आंखें नम हो गई। विदाई समारोह में बीएमओ बीएस डावर, चिकित्सक प्रदीप भारती, मनीष दुबे, शांतिलाल पडियार के परिजन सहित अस्पताल स्टॉफ उपस्थित रहा।