माही की गूंज, झाबुआ।
भारतीय संस्कृति में गुरु और शिष्य की परंपरा आदिकाल से चली आ रही है। कालांतर में गुरु शिक्षक हो गए और शिष्य शिक्षार्थी हो गए। लेकिन आज भी गुरु या शिक्षक को समाज में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। यह वह देश है जहां एकलव्य जैसे शिष्य ने गुरु द्वारा ठुकराए जाने के बावजूद गुरु की प्रतिमा बनाकर धनुष विद्या ग्रहण की और गुरु दक्षिणा के रूप में अपना अंगूठा देने में संकोच नहीं किया।
गुरु के सम्मान में प्रतिवर्ष 5 सितम्बर को देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर राधाकृष्णन की जयंती पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। लेकिन रतलाम जिले में शिक्षक दिवस के दिन ही शिक्षक की मर्यादा को तार-तार करने वाला वीडियो वायरल हुआ जिसके बाद हड़कंप मचा और संबंधित शिक्षक को निलंबित कर उस पर प्राथमिकी दर्ज करने की कार्यवाही प्रचलन में है।
मामला रतलाम जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित गांव सेमलखेड़ी का है जहां के प्राथमिक स्कूल में पदस्थ शिक्षक वीरसिंह मईडा का है। जिनका एक वीडियो 5 सितंबर शिक्षक दिवस के दिन वायरल हुआ। जिसमें वे शराब के नशे में धुत होकर स्कूल में पढ़ने वाली एक छात्रा के कैची लेकर बाल काटते हुए नजर आ रहे हैं। यही नहीं वे गंदी गालियो के साथ शाला में ही अपशब्दों का प्रयोग करते हुए वीडियो बनाने वाले के साथ ही पूरी प्रशासनिक व्यवस्था को चुनौती देते नजर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि, यह वीडियो एक दिन पूर्व यानी 4 सितंबर का है। इस तरह का यह पहला मामला नहीं है आए दिन छात्र-छात्रा और शिक्षकों के बीच अभद्रता के वीडियो वायरल होते रहते हैं और प्रशासन कार्यवाही के नाम पर संबंधित को निलंबित कर अन्य जगह अटैच कर देता है और कुछ समय बाद संबंधित व्यक्ति पुनः बहाल होकर नौकरी करने लग जाता है। एक वीडियो कुछ दिनों पूर्व खवासा क्षेत्र की प्राथमिक स्कूल का भी वायरल हुआ था, जिसमें शिक्षक शाला समय में शराब के नशे में गहरी निंद्रा में सोए हुए थे और ग्रामीण ने उनका वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। जिसके बाद तत्काल प्रशासन हरकत में आया और संबंधित शिक्षक को निलंबित कर दिया। शिक्षक द्वारा शराब पीकर शिक्षा के मंदिर में प्रवेश करना किसी भी दृष्टि से सही नहीं कहा जा सकता है। जिस मंदिर में बैठकर देश का भविष्य शिक्षा ग्रहण करता है उसे इस प्रकार दूषित किया जाना गलत है। शासन और प्रशासन को चाहिए कि, वो इनके लिए कड़े नियम बनाएं तथा उल्लंघन होने पर कड़ी सजा का भी प्रावधान किया जाना चाहिए। शिक्षक और शिक्षार्थी के बीच एक पवित्र रिश्ता होता है भारतीय संस्कृति में तो गुरु को गोविंद के समान कहा गया है। अतः शिक्षकों को भी चाहिए कि, वो ऐसा कोई कार्य न करें जिससे शिक्षकीय मर्यादा तार-तार हो। शिक्षक और विद्यार्थी के बीच की पवित्रता बनी रहे और विद्यार्थी शिक्षक के मार्गदर्शन में नई मंजिलें प्राप्त करें यही हर शिक्षक का उद्देश्य होना चाहिए। तथा इस पेशे से जुड़े लोगों को चाहिए कि, वे इस पद की गरिमा को बनाए रखें तथा ऐसा कोई कार्य न करें जिससे यह पवित्र पैसा कलंकित हो। वर्तमान सोशल मीडिया के दौर में अन्य त्योहारो के साथ ही शिक्षक दिवस के मजाक उड़ाने वाले भी कई रील्स वायरल हो रहे हैं जो की सही नहीं है, रील्स का बनाने का उद्देश्य शिक्षा देना होना चाहिए उपहास उड़ाना नहीं।
हास-परिहास के लिए अन्य कई विषय है, शिक्षक और शिक्षा को इससे नहीं जोड़ा जाना चाहिए। सरकार को चाहिए कि, वो सोशल मीडिया पर भी लगाम लगाए और अनावश्यक तथा तर्कहीन मीम्स व रील्स पर प्रतिबंध लगाएं। शिक्षा को केवल शिक्षा ही रहने दिया जाए। क्योंकि स्कूल के क्लास रूम में बच्चा जो बातें सिखता है या ग्रहण करता है वो अन्य किसी जगह नहीं सीख सकता है।