माही की गूंज, संजय भटेवरा।
झाबुआ। भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार प्रतिवर्ष पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर सुशासन दिवस मनाती है। वही भाजपा चुनावो में भी सुशासन देने का वादा करती आ रही है। लेकिन पिछले लगभग 11 वर्ष केंद्र में और 20 वर्ष राज्य में सत्ता में रहने के बाद भी भाजपा अपना सुशासन का वादा क्या पूरा कर पाई है...? क्या भाजपा सरकार का सुशासन दिवस मनाया जाना सार्थक हुआ है...? शायद नहीं। क्योंकि आए दिन भ्रष्टाचार की खबरें भाजपा सरकार के सुशासन के दावों की पोल खोलता नजर आ रहा है। यहां चपरासी से लेकर बाबू तक के पास करोड़ों रुपए बरामद हो रहे हैं और जो तथ्य सामने आ रहे हैं उसमें भी आम जनता समझ रही है कि, जितने हैं उनसे कई गुना ज्यादा कैस तो सामने ही नहीं आ पा रहे हैं। ये तो ठीक अब तो ऐसे कैस भी सामने आ रहे हैं जिसमें रक्षक ही भक्षक साबित हो रहे हैं या फिर यू कहे की बागड़ ही खेत खा रही है, तो फिर आम जनता किस पर विश्वास करें...?
क्या है मामला
ताजा मामला भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच करने वाली देश की सबसे बड़ी व विश्वसनीय एजेंसी सीबीआई से जुड़ा हुआ है जो जांच तो भ्रष्टाचार के खिलाफ करती है लेकिन वर्तमान में उसके अधिकारी खुद रिश्वत लेते पकड़े गए और सीबीआई की विश्वनियता पर प्रश्न चिन्ह लगा गए।
एनसीएल में कोयला उत्पादन के लिए लगाई मशीनों के स्पेयर पार्ट्स और कबाड़ में घोटाले की शिकायत की जांच जबलपुर सीबीआई की एसीबी यूनिट कर रही थी। एसीबी ने जांच डीएसपी जय जोसेफ दामले को सोंपी। एनसीएल के अधिकारी सन्देह के घेरे में थे और फ़सने वाले थे, डीएसपी दामले ने पुलिस सब इंस्पेक्टर कमल सिंह के साथ मिलकर भ्रष्टाचार दबाने और जांच रिपोर्ट दोषी अधिकारियों के पक्ष में देने की सॉंठ-गाँठ की। जिसमें सिंगरौली के संगम इंजीनियरिंग का डायरेक्टर रवि शंकर मध्यस्ता की भूमिका में था। उसने एनसीएल अधिकारियों से रकम एकत्रित करवाई और डीएसपी तक पहुंचाने का प्लान बनाया। जब इसकी भनक सीबीआई दिल्ली को लगी तो उन्होंने मोबाइल ट्रेस करवाना प्रारंभ किया। 17 अगस्त को उसने दामले को जबलपुर से पकड़ा।
3 महीने में दूसरा मामला
सीबीआई रिश्वत से जुड़ा यह पहला मामला नहीं था। तीन माह पूर्व भी इस तरह का मामला सामने आ चुका है, जब मई 2024 में सीबीआई के डीएसपी आशीष प्रसाद, इंस्पेक्टर राहुल राज, ऋषिकांत असाठे और सुशील कुमार मजोका को गिरफ्तार किया था। ये चारों अधिकारी नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े की जांच कर रहे थे और फर्जी कॉलेज को क्लीन चिट देने के लिए रिश्वत के रूप में एक बड़ी रकम वसूल कर रहे थे। उनके साथ ही 15 अन्य मध्यस्थों को भी गिरफ्तार किया था।
यदि देश की बडी एवं विश्वसनीय जांच एजेंसियां ही इस प्रकार भ्रष्टाचार करने लग जाए तो फिर आम जनता विश्वास किस पर करें...? चोरी से बचाव के लिए आम इंसान फरियाद लेकर पुलिस के पास इस विश्वास के साथ जाता है कि, वहां उसे न्याय मिलेगा लेकिन न्याय के मंदिर में ही जब भेड़िए मिल जाए तो फिर आम जनता कहां जाए...? छोटे-छोटे मामलों के साथ अब तो बात सीबीआई तक पहुंच चुकी है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि, देश में भ्रष्टाचार कितना अधिक बढ़ चुका है। वह भी उस पार्टी के राज में जो सुशासन का वादा करके सरकार में आई है और प्रतिवर्ष सुशासन दिवस मनाती आ रही है। क्या यही सुशासन है...?