अपना जीवन भी नाव की तरह है, ओर हम उसके केवट है- पंडित श्रीचतुर्वेदी
माही की गूंज, बरवेट।
भगवान भी एक केवट है जो भक्तों को भव से पार लगाते है, यह बात ग्राम बरवेट में चल रही भागवत कथा के चौथे दिन भगवान श्री कृष्ण जन्म के अवसर पर भागवत वक्ता पंडित केशव चतुर्वेदी ने कही। चौथे दिन भागवत कथा में भगवान श्री कृष्ण का जन्म बहुत ही धूमधाम से मनाया। भगवान के जन्म होने पर ग्वाल बाल की टोली ने मटकी भी फोड़ी। कथा श्रवण करने वाले श्रद्धालुओ ने खूब नृत्य किया। श्रीकृष्ण जन्म की कथा सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। उन्होंने कहा कि, जिस समय भगवान कृष्ण का जन्म जेल में हुआ, जेल के ताले टूट गये, पहरेदार सो गये। वासुदेव व देवकी बंधन मुक्त हो गए। प्रभु की कृपा से कुछ भी असंभव नहीं है। कृपा न होने पर प्रभु मनुष्य को सभी सुखों से वंचित कर देते हैं। भगवान का जन्म होने के बाद वासुदेव ने भरी जमुना पार करके उन्हें गोकुल पहुंचा दिया। वहां से वह यशोदा के यहां पैदा हुई शक्तिरूपा बेटी को लेकर चले आये। कृष्ण जन्मोत्सव पर नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की ओर ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमो के जय कारो के साथ गीत पर भक्त जमकर झूमे।
इससे पहले पंडित श्रीचतुर्वेदी कहा कि, अपना जीवन भी नाव की तरह है, ओर हम उसके केवट है। जिस प्रकार केवट नाव में बिठाकर नदी पार कराता है उसी प्रकार हमारी जीवन रूपी नाव को प्रभु की भक्ति करके भव से पार लगा सकते है। क्योकि भगवान भक्तों के केवट है जो भक्ति करने वाले को भव से पार लगाते है। पंडित श्रीचतुर्वेदी ने प्रवचन के दौरान राम और केवट के संवाद को बहुत ही शानदार तरीके से सुनाया।
प्रवचन में केवट भोई वंश का था। और वह मल्लाह का काम करता था। केवट रामायण का एक खास पात्र है, जिसने प्रभु श्रीराम को वनवास के दौरान माता सीता और लक्ष्मण के साथ अपनी नाव में बिठा कर गंगा पार करवाया था। निषादराज केवट का वर्णन रामायण के अयोध्याकाण्ड में किया गया है। राम केवट को आवाज देते हैं - "मागी नाव न केवटु आना। कहइ तुम्हार मरमु मैं जाना॥ चरन कमल रज कहुं सबु कहई। मानुष करनि मूरि कछु अहई॥
श्रीराम ने केवट से नाव मांगी, पर वह लाता नहीं है। वह कहने लगा- मैंने तुम्हारा मर्म जान लिया है। तुम्हारे चरण कमलों की धूल के लिए सब लोग कहते हैं कि वह पत्थर को नारी बना देने वाली कोई जड़ी है। आप मेरी नाव को भी नारी बना दोगे। फिर मेरे परिवार का भरण पोषण कैसे करूंगा। पहले आप पांव धुलवाओ, फिर नाव पर चढ़ाऊंगा।
केवट प्रभु श्रीराम का अनन्य भक्त था। अयोध्या के राजकुमार केवट जैसे सामान्यजन का निहोरा कर रहे हैं। यह समाज की व्यवस्था की अद्भुत घटना है।
केवट चाहता है कि वह अयोध्या के राजकुमार को छुए। उनका सान्निध्य प्राप्त करें। उनके साथ नाव में बैठकर अपना खोया हुआ सामाजिक अधिकार प्राप्त करें। अपने संपूर्ण जीवन की मजदुरी का फल पा जाए। राम वह सब करते हैं, जैसा केवट चाहता है। उसके श्रम को पूरा मान-सम्मान देते हैं।
सगे भाई बहन के रिश्तो में बढ़कर होता है धर्म कर भाई बहन का पवित्र रिश्ता निभाइये
इससे पहले श्रीचतुर्वेदी ने वामन अवतार को विस्तार पूर्वक समझाते हुए कहा कि इस संसार मे सगे भाई बहन से भी बढ़कर है धर्म की भाई बहन का पवित्र रिश्ता होता है। अगर किसी को धर्म की बहन बनाया है तो उस रिश्ते में कभी भी खटास नही आने देना चाहिए। क्योकि भगवान भी धर्म के भाई बहन के रिश्तों को जन्म द्वापर युग से आज तक निभा रहे है। भगवन वामन जब राजा बली के यहां यज्ञ संस्कार में गये थे तब राजा बलि की पत्नी गुंजावती ने मनमोहन भगवान वामन को भाई बनाया था। ओर आज तक वह भाई बहन का रिश्ता निभाते आ रहे है। राजा बलि की पत्नी ने भगवान वामन को भाई बनाकर वादा किया था कि आप साल भर में चार माह मेरे घर पर आना पड़ेगा। तब भगवान वामन ने अपनी धर्म की बहन से वादा किया कि देव शयनी एकादश से देव उठनी एकादशी तक भगवान पाताल लोक में चार महीने के लिए रहते है। जो कि आज तक हम उसका अनुसरण करते है।
कथा के चौथे दिन भागवत कथा आयोजन करता पूनमचंद पाटीदार परिवार ने आरती उतारी ओर प्रसादी वितरित की। इस अवसर पर ग्राम बावड़ी जामली बरवेट ओर आसपास के सेकड़ो ग्रामीण कथा श्रवण करने पहुच रहे है।