न्यायाधीश ने वन अधिकारी को लिखा पत्र, नगर परिषद से भी जताई कार्यवाही की उम्मीद
माही की गूंज, थांदला।
भीषण गर्मी में भूख प्यास से परेशान बंदरों ने राहगीरों पर निशाना बनाना शुरू कर दिया है। बंदर के आतंक से थांदला नगर का रिहायशी व्यस्ततम इलाकों में शुमार रामेश्वर मंदिर (सब्जी बाजार), अस्पताल चौराहा, पुलिस थाना परिसर ही नही अपितु निकट न्यायालय परिसर में भी परेशान है। पिछले दिनों ही बंदर के हमलें व उनके काटने से कुछ राहगीर यहाँ तक कि नगर परिषद में काम करने वालें कर्मचारी तक घायल हो चुके है बावजूद इसके बंदर के आतंक से निजात दिलाने के कोई प्रयास नही किये गए है। आदर्श आचार संहिता के चलते नगर परिषद प्रशासनिक व्यवस्था से चल रही है तो वह मण्डल के अधिकारी की उपस्थिति भी नगण्य ही रहती है।
बंदर के आतंक से परेशान जनता व न्यायालय परिसर में आने वालें वादी प्रतिवादियों पर हमलें की खबर से क्षुब्ध व्यवहार न्यायाधीश सचिन कुमार जाधव ने वन अधिकारी को पत्र लिखते हुए कहा कि, थांदला में जंगली बन्दरों का उत्पात बढ़ता जा रहा है व उनके व्दारा प्रतिदिन न्यायालयीन कर्मचारीगणों एवं पक्षकारगणों को काटा जा रहा है। ऐसे में न्यायालय परिसर में जंगली बन्दरों को पकडकर उन्हें जंगल में छोडे जाने की कार्यवाही की जावे। उन्होंनें यह पत्र नगर परिषद व अभिभाषक संघ थांदला को भी दिया जिसपर थांदला अभिभाषक संघ अध्यक्ष वीरेंद्र बाबेल, सचिव तुषार भट्ट, श्रीमंत अरोड़ा, नीलेश पावेचा सहित वकील दलों ने वन मण्डल, नगर परिषद व मीडिया से इस समस्या निवारण के लिए चर्चा की। समाधान में न्यायालय परिसर में बंदरों को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाया गया है लेकिन इसके इंतज़ाम नाकाफी नजर आ रहे है। जीवदया प्रेमी पवन चक्की नाहर, समकित तलेरा ने जनता से अपील की है कि, वे मूक पशु, पक्षियों व बंदरों के आतंक से सतर्क रहें व उनके लिए अपने घरों में आसपास दाना-पानी रखें ताकि वे भूख से क्षुब्ध किसी पर हमला नही करें व उनकी भी जान सुरक्षित रह सके। जीवदया अभियान द्वारा दाना-पानी के लिए सकोरें भी उपलब्ध करवाए जा रहे है इच्छुक व्यक्ति जीवदया अभियान सदस्यों से सम्पर्क कर निःशुल्क ले सकते है।