19 पीछी संतों के साथ धर्म धरा पर एक साथ थांदला माटी के 5 रत्नों का होगा आगमन
माही की गूंज, थांदला।
पुण्य धरा थांदला के वीर माता-पिता गुणवंती बहन व पन्नालाल मेहता की कुक्षी से जन्में महान संत 108 आचार्य वर्धमानसागरजी महाराज के प्रभावी शिष्य वात्सल्यमूर्ति 108 श्रीपुण्यसागरजी महाराज का मंगल पदार्पण 19 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद इसी माह अप्रैल के अंत में होने के संकेत मिलते ही थांदला दिगम्बर समाज सहित अन्य समाज में भी अपार उत्साह देखने को मिल रहा है। पूज्यश्री के साथ में उनके शिष्य व भाई मुनि तपस्वी सम्राट 108 श्रीमहोत्सवसागरजी महाराज एवं एवं 108 उपहारसागरजी महाराज तथा थांदला माटी के दो अन्य रत्न क्षुल्लक पूर्णसागरजी एवं आर्यिका माताजी 105 उपसममति माताजी सहित 19 पीछी संतों का आगमन हो रहा है। जानकारी देते हुए संघ अध्यक्ष अरुण बाला कोठारी, प्रवक्ता संजय कोठारी व महावीर मेहता ने बताया कि, यह पहला अवसर है जब डूंगर मालवा के थांदला अंचल में एक साथ इतने संतों का आगमन हो रहा है। थांदला से संसार त्याग कर आत्म साधना करते हुए पूज्यश्री के सानिध्य में वर्ष 2005 में दहशरा मैदान में पंचकल्याणक महोत्सव के बाद आपने भारत के मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, शीखरणी, बुन्देलखण्ड, झारखंड, सोनागोरी आदि अनेक राज्यों में पैदल यात्रा करते हुए धर्म का प्रचार किया। इस दौरान आपके द्वारा करीब 80 संतों आत्माओं को समाधि भी दी गई जो किसी भी संत के लिए उसकी साधना का उत्कर्ष फल है। उल्लेखनीय है कि पूज्यश्री सहित समस्त संत संघ का मध्यप्रदेश के भोपाल के आसपास विहार चल रहा है, आपके साथ विहार चर्या में संघ संचालिका वीणा दीदी (घाटोल) एवं विकास भैया (थांदला) भी पैदल चल रहे है।