माही की गूंज, पेटलावद।
इंसानियत से बढकर कोई धर्म नही है। हम सभी गंगा-जमुनी तहज़ीब के साए में जीते हैं। यह तहज़ीब हमें आपसी भाईचारे, विश्वास के साथ प्रत्येक व्यक्ति से प्रेम करने का मार्ग दिखाता है। इस लिए हमें जाति, धर्म से ऊपर उठकर मानवता के रास्ते पर चलना चाहिए। ईद पर हर शक्स एक-दूसरे को जो मुबारकबाद देता है वह इस बात का सबूत है कि हम धर्म के साथ अपने वतन से भी प्यार करें और अच्छे इंसान बनें। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, यह सब अलग-अलग मजहब है, लेकिन उसके पहले हम सब भारतीय है, यदि हम सब मिलकर रहेंगे तो दुनिया की कोई ताकत हमें तोड़ नहीं सकती।
यह बाते शहर के इमाम मोलाना हसरत रजा साहब ने ईद के दौरान तकरीर में समाजजनो के बीच कही। वह ईदगाह में ईद की नमाज के दौरान हुई तकरीर में समाजजनो के बीच बोल रहे थे।
मुस्लिम समाजजनों ने भी ईद का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया। ईद की नमाज तय समय में ईदगाह में सामूहिक रूप से अदा हुई। नमाज इमाम साहब ने अदा करवाई। ईदगाह में जगह कम पड़ी तो कुछ लोगों ने ईदगाह के बाहर नमाज अदा की। ऐसा माना जाता है कि, ईद की नमाज खुले आसमान के नीचे पढ़ने का हुक्म है। विशेष परिस्थितियों में ही छत के नीचे नमाज अदा की जाती है। परंपरा के अनुसार ईद के मौके पर लोगों ने दो रकाअत वाजिब नमाज अदा की। इसके बाद खुतबा पढ़ा गया। इसके बाद दुआ हुई और फिर सभी ने एक दूसरे से गले मिलकर ईद में मुबारकबाद दी।
ईमाम साहब ने तकरीर में आगे कहा, ईद-उल-फ़ित्र अल्लाह की बंदगी में एक नया जीवन शुरू करने का दिन है। ईद हमें आपसी सौहार्द तथा मिल्लत व मुहब्बत का पैग़ाम देता है। सभी ग़म व पुरानी रंजिश को भुला कर प्यार के साथ एक-दूसरे से मिलकर रहने की सीख हमें ईद से मिलती है। रोज़ा और ईद हमें डिसिप्लिन, समय का पाबंद होना, दया और सहानुभूति का पाठ भी सिखाती है।
नमाज के बाद सेवईयां का दौर चला। सभी ने एक-दूसरे को ईद की बधाई दी। इसी के साथ मुबारकबाद का दौर दिनभर घर-घर बाजार में चलता रहा। अधिकांश नमाजी वहां से अपने पूर्वजों की कब्र पर गए और वहां फातिहा पढ़कर उनके लिए अल्लाह पाक से दुआएं की। ए अल्लाह हमारे मादरे वतन हिन्दुस्तान में अमन-चैन आपस में मोहब्बत, भाईचारा और खुशहाली पैदा फरमा। ए अल्लाह हमारे मुल्क की दुश्मनों की नजर से हिफाजत फरमा और मुल्क के शरपसंद लोगों से महफूज रख। लोगों की जान-माल को खतरा पैदा करने वाले लोगों से निजात दिला। हमारे मुल्क के अमन और भाईचारे को किसी की नजर न लगे, ऐ अल्लाह रहमत वाली बारिश नाजिल फरमा.., ऐसी दुआ ईद की नमाज के बाद मौजूद मुस्लिम समाजजन ने अल्लाह से मांगी। नमाज के समय पुलिस ओर प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारी पूरे समय निगरानी रखते हुए अलर्ट रहे। इसी के साथ ईद की नमाज होते ही सभी अधिकारियों ने मुस्लिम समाज के पदाधिकारियों और समाजजनों को ईद की मुबारकबाद दी।