न भूतों... न भविष्यति श्री राम भी आए... दिवाली भी मनाई
माही की गूंज, संजय भटेवरा।
झाबुआ। इस वर्ष की मकर संक्रांति का सूर्य उत्तरायण होना पूरे देश में एक अलग उत्साह और उमंग लेकर आया। सरयु के तट की उठी लहर ने पूरे देश को भक्ति के रंग में सराबोर कर दिया।
मकर संक्रांति से ही पूरे देश में भक्ति का एक अलग ही माहौल था जिसे शब्दों में बयां करना संभव नहीं है और यह उत्साह उस वक्त अपने चरम पर पहुंच गया जब 140 करोड लोगों के प्रतिनिधि के रूप में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हेतु गर्भ ग्रह पर प्रवेश किया। पूरा देश उस 84 सेकंड के अभिजीत मुहूर्त का बेसब्री से इंतजार कर रहा था। घड़ी की सुई अपने नियम से चल रही थी और ठीक 12ः29ः08 से 12ः30ः32 बजे पूरे देश के मंदिरों में शंख और घड़ियाल की ध्वनि के साथ ही आतिशबाजी के साथ करतल ध्वनि के बीच रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के समय देश का प्रत्येक नागरिक भाव विभोर होकर अपने आराध्य प्रभु श्री राम का पलके बिछाकर स्वागत कर रहा था।
अद्भुत... अविश्वसनीय... अकल्पनीय...
पूरे देश में श्री राम के आगमन को लेकर जो उत्साह था वह अद्भुत... अश्वनीय... और अकल्पनीय... था जिसे शब्दों की माला में पिरोना संभव नहीं है। श्री राम की भक्ति क्या बड़ा... क्या छोटा... क्या जवान... क्या वृद्ध... क्या बच्चे... क्या बूढ़े... क्या पुरुष... क्या महिलाएं... सभी एक रंग में डूबे थे सभी के मन में केवल रामभक्ति ही थी। जाति पंथ और संप्रदाय की खाई को मिटाकर पूरा देश केवल और केवल राम भक्ति में लीन था। ऐसे नजारे की न किसी ने कल्पना की थी और न ही कोई भविष्य में ऐसा देख पाएगा। जब सारा देश, देश के मुखिया के हाथों हो रही प्राण प्रतिष्ठा को अपने हाथों से हो रही प्राण प्रतिष्ठा मान रहा था और अपने नगर, अपने मोहल्ले और अपने गांव को ही अयोध्या मानकर अपने नजदीकी मंदिर में प्रभु की भक्ति में लीन था।
कोरोना की हताशा से लेकर प्राण प्रतिष्ठा के उत्साह तक...
2014 में पूर्ण बहुमत की सत्ता संभालने वाले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में देश की जनता ने कई उतार-चढ़ाव देखे, आपदा देखी लेकिन फिर भी देश पिछले 9 वर्षों से मोदी के हर फैसले के साथ खड़ा है। चाहे नोटबंदी हो.. जीएसटी लागू करना हो... कश्मीर में 370 हटाना हो... जनता कर्फ्यू हो... थाली या ताली बजाना हो... लॉकडाउन के नियमों का पालन करना हो... भारी आपदा के बीच जब चारों और हताशा और निराशा का भाव था, चारों तरफ हाहाकार मचा था रोज मरने वालों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा था। तब भी मोदी की एक आवाज पर पूरा देश दीपक की लो से जगमगा गया था। फिर टिका करण की खुशी आयी, सबने अपनी बारी का इंतजार किया और नियमानुसार टीकाकरण करवाया लेकिन कभी भी प्रधानमंत्री के फैसलों पर संदेह व्यक्त नहीं किया।
यह सब जनता के विश्वास से ही संभव हो पाया कि, आज देश नव्य और भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का साक्षी बनने पर प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देकर अपने आप को भाग्यशाली समझ रहा है।
गांव और शहरों में एक जैसा माहौल
मकर संक्रांति से ही पूरे देश में प्रभात फेरी और संध्या फेरी निकलना प्रारंभ हो गई थी और हर घर की साज सज्जा और सफाई हो गई थी। प्रभात फेरी में बड़ी संख्या में लोग शामिल होकर राम नाम जप रहे थे भजन कर रहे थे, कीर्तन कर रहे थे। सबसे बड़ी बात की यह क्रम शहरों और गांवो में एक समान था। प्रतिदिन बड़ी संख्या में नए लोग जुड़ते जा रहे थे। मेरा गांव मेरी अयोध्या की तर्ज पर लोगों ने मेरा मोहल्ला मेरी अयोध्या से लेकर मेरा घर मेरी अयोध्या तक कर लिया था। 22 जनवरी को पूरे देश में जो शोभायात्रा निकाली गई वह अद्भुत और अविस्मरणीय थी और जो उत्साह देखा गया वह अकल्पनीय था।
70 दिनों बाद फिर दिवाली
आमतौर पर दीपावली 1 वर्ष में एक बार मनाई जाती है। लेकिन इस बार रामलला के आगमन को लेकर लोगों ने 70 दिनों बाद ही फिर से दिवाली मना ली और यह दीपावली उस दीपावली से भी बढ़कर थी। हर घर पर भगवा लहरा रहा था, हर मोहल्ला तोरण द्वारों से सजा हुआ था, हर घर पर श्री राम के स्वागत के लिए रंगोली बनी थी, दीपक जले थे, आतिशबाजी की गई थी और पूरा देश उत्साह और उमंग की लहरों पर सवार था। हर मुंह पर एक ही शब्द था श्री राम आएंगे और 22 जनवरी को श्री राम आए भी, दीपक भी जलाए गए... दीपावली भी मनाई गई...।