माही की गूंज, पेटलावद।
पैसा एक्ट लागू कर सरकार द्वारा बड़े-बड़े दावे किए गए कि, अब ग्राम पंचायते अपने निर्णय स्वयं ले सकेगी। लेकिन जब धरातल पर इसकी परख करने की बारी आती है तो पैसा एक्ट के बाद भी ग्रामीण खुद को ठगा महसूस करता है। मामला पेटलावद विकास खण्ड का है जहां लगभग सात पंचायतों में अनाज वितरण की दुकानों को अलग कर नए सिरे से दुकाने आबंटित करने की विज्ञप्ति जारी नियमानुसार पोर्टल पर की गई । पोर्टल पर आवेदन के लिए जब स्थानीय समूह ने जब आवेदन के लिए पोर्टल पर प्रयास किया तो आवेदन नही हो पाया और विधानसभा झाबुआ के पिटोल क्षेत्र के डॉक्टर भीमराम अम्बेटकर समहु के नाम से टेंडर हुआ । बताया जा रहा कि सातों नई दुकानें इसी समूह के टेंडर हुवे। इसके पूर्व भी पेटलावद विधानसभा में इस समहू व अन्य विकास खंडों में भी इस समूह द्वारा कई और पंचायतों में इस समूह की दुकान संचालित की जा रही है ।
ग्राम पंचायत को जानकारी नही
उक्त विज्ञप्ति को लेकर ग्राम पंचायत को जानकारी तक नही न इसकी विज्ञप्ति को ग्राम पंचायत में चस्पा तक नही की गई । कहने को जिले में पैसा एक्ट लगा हुवा है क्षेत्र के स्थानीय लोगो को रोजगार के अवसर दिए जाने और ग्राम पंचायत क्षेत्र में होने वाले कार्यो का निर्णय भी ग्राम पंचायत की पैसा एक्ट समिति ओर उसके ठहराव-प्रस्ताव का होना भी आवश्यक है लेकिन इस मामले में ग्राम पंचायत या पैसा एक्ट समिति से किसी प्रकार की अनुमति की जानकारी सामने नही आई है । पूरे मामले को देखते हुवे पैसा एक्ट सवाल खड़े हो रहे हैं ।
समूह संचालक ने दिया एसडीएम को दिया आवेदन
इस सम्बंध में ग्राम करमदीखेड़ा ग्रास पंचायत बोडयता के माँ पार्वती स्व सहायता समूह संचालक द्वारा एसडीएम राजस्व को इस सम्बंध आवेदन पेश किया है जिंसमे स्थानीय समूह को दुकान संचालन का कार्य देने की मांग की है । समूह संचालक में आवेदन में बताया कि पोर्टल पर आवेदन करने का प्रयास किया लेकिन एक आवेदन के किसी का भी आवेदन जमा नही हुवा । समूह संचालक ने बताया कि एसडीएम द्वारा आवेदन खाद्य विभाग की भेजा गया जहां से बताया गया कि ये ऑन लाइन प्रक्रिया से हुवा है इसमें कुछ भी नही किया जा सकता।
मामले की जांच जरूरी, हो सकता बड़ा खुलासा
पूरे मामले को देख साफ है की जिले में चल रही अनाज वितरण की दुकानों में भारी धांधली हो रही है। एक ओर पैसा एक्ट की बात की जा रही है दूसरी ओर जिस ग्राम पंचायत का मामला उससे किसी प्रकार की जानकारी या प्रस्ताव-ठहराव तक नही लिया गया। सरकारे स्थानीय समूह को काम देने का दावा भी कर रही है जो केवल मध्यान भोजन तक सीमित किये जा रहे हैं । यहां एक आवेदन के बाद दूसरे आवेदन के लिए पोर्टल पर आवेदन नही होना भी कही न कही सवाल खड़े हो रहे हैं । जिस संस्था या समूह को इन पंचायतों के उचित मूल्य दुकान आबंटित हुई है उसके पास पूर्व से कितनी दुकान का संचालन है । यदि इस मामले की जांच की जाती है तो बड़ा अनाज घोटाला सामने आ सकता है । जिले में अनाज घोटाले के पहले भी कई प्रकरण सामने आ चुके हैं । इस संबंध में ग्राम पंचायत सरपंच दिनेश गणावा ने बताया इस सम्बंध में हमको कोई जानकारी नही है हमारे फूड अधिकारी को आपत्ति भी दर्ज करवाई गई थी लेकिन हमको कलेक्टर का आदेश बता कर रवाना कर दिया। हमारे द्वारा किसी नई दुकान कि मांग तक नही की गई।