Thursday, 23 ,January 2025
RNI No. MPHIN/2018/76422
: mahikigunj@gmail.com
Contact Info

HeadLines

सोमाजी प्रजापत जाजपर का निधन | श्रीराम जन्मभूमि पर श्री विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की मनाई पहली वर्षगांठ | सम्पूर्ण बाईबल पाठ का आयोजन सम्पन्न | भगवान श्रीराम की अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा की मनाई वर्षगांठ | दूसरी बार दुकानों की नीलामी निरस्तः आखिर ग्राम पंचायत करें तो क्या करें...? | बदलेगा राज... या कायम रहेगा रिवाज... फैसला 8 फरवरी को | क्या हम बांग्लादेश से ऊपर उठकर एक ही धर्म के व्यक्तियों को जातिवाद के आधार पर अल्पसंख्यक बनाना चाहते हैं...? | सुरेशचंद्र पुरणमल जैन, जिनेन्द्र बाफना सुप्रीम कोर्ट के आदेश से भी बड़े, जिला परिवहन अधिकारी और रेलवे सब इनके सामने नतमस्तक | अजब एमपी के गजब मंत्री... लाचार मंत्री... | कुछ... यादें... बहुत सी उम्मीदो.. के साथ नूतन वर्षाभिन्दन | ग्राम पंचायत खवासा में 4 दुकानों की नीलामी 8 जनवरी को, विज्ञप्ति एवं नियम शर्ते पढ़े | एसडीएम के विरूद्ध एक के बाद एक कई विभाग हुए नाराज, लिखित में दर्ज करवाई शिकायत | हिंदूसिंह चौहान का निधन | सुने घर को चोरों ने बनाया निशाना, नगदी-रकम सहित जरूरी सामान ले गए | करवड़ प्रीमियर लिग का हुआ शुभारंभ | आक्रोश सही पर आतंक फैलाना गलत... | जब तक सूरज चांद रहेगा मामा जी का नाम रहेगा... | धूमधाम से मनाया जाएगा क्रिसमस पर्व | खनीज विभाग ने पकड़ा अवैध रेत से भरा ट्राला | नये अधिकारी, नए नियम, आम जनता की फजीयत... |

दीक्षार्थी की जयकारों से गुंजा शहर
15, Dec 2023 1 year ago

image

संयम मार्ग पर आरूढ़ संयमी आत्मा अविश कर्नावट व श्रुति मूणत का  संघ ने किया बहुमान

गुणों के प्रति बहुमान के भाव आत्मा की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते है- सनयतमुनि

माही की गूंज, थांदला। 

         भौतिक सम्पन्नता का त्याग कर जिन शासन में समर्पित होकर एकांत आत्म लक्ष्य मोक्ष के शाश्वत सुख को पाने संयम मार्ग पर आरूढ़ होने वालें अविश  भाई कर्नावट (कोद) व श्रुति बहन मूणत (रतलाम) की भव्य जयकार यात्रा स्थानक वासी जैन श्रावक संघ द्वारा निकाली गई। जयकार यात्रा के पूर्व सभी श्रावक श्राविकाओं के लिए महावीर भवन पर नवकारसी का आयोजन रखा गया उसके बाद यात्रा नगर के विभिन्न मार्गों में दीक्षार्थी भाई के गगनभेदी जयकारों के साथ निकली जिसमें दीक्षार्थी भाई बहन पैदल ही आगे आगे चल रहे थे वही उनके पीछे संघ समुदाय एक जैसे ड्रेस कोड में थे। जयकार यात्रा पौषध भवन पर दीक्षार्थी की गुणानुवाद सभा के रूप में परिवर्तित हुई जहाँ जिन शासन गौरव जैनाचार्य पूज्य श्री उमेशमुनिजी म. सा. "अणु" के अंतेवासी शिष्य अणु वत्स पूज्य श्री संयतमुनिजी म.सा. ने वीर प्रभु महावीर की अंतिम देशना उत्तराध्ययन के 8वें अध्ययन की पहली गाथा का आलम्बन लेते हुए उपस्थित परिषद से कहा कि इस अध्रुव अशाश्वत दुःख की प्रचुरता वालें संसार में जीव ऐसा क्या करें कि वह नरक तिर्यंच आदि दुर्गति का मेहमान न बने व उसे देव मनुष्य जैसी उच्च गति मिले। वह मनुष्य जन्म में भी ऐसा क्या करें कि उसे सिद्ध का सुख मिल सके। गुरुदेव ने फरमाया कि दुर्लभ मनुष्य के 10 बोल में से अधिकांश बोल मिल जाने पर भी यदि अभी भी यह चिंतन नही जगा तो मनुष्य भव हार जाएंगे इसलिए मगरमच्छ से भरें तालाब में व हिंसक जानवरों से युक्त जंगल रूपी संसार में जाने से कोई लाभ होने वाला नही है अपितु संयम का आचरण करते हुए इसमें से निकलने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंनें कहा कि दीक्षार्थी श्रुति व अविश ने यह समझ लिया है व वे इससे निकलने के लिए अपने कदम बढ़ा रहे है। उपस्थित परिषद को सम्बोधित करते हुए कहा कि संसार के प्रवाह में बहने वालें ज्यादा ही होते है और उनसे बचने का पुरुषार्थ थोड़े ही कर पाते है लेकिन जो पुरुषार्थ करते है उनके व अन्य गुणीजनों के गुणों का स्मरण करने से भी हम मोक्ष के अभिलाषी बन सकते है। इस अवसर पर चिंतक मनीषी रवि मुनिजी ने कहा कि देवों में भी सर्वार्थसिद्ध के वैमानिक देव जिनकी दो करवट में 33 सागरोपम का सुख दिखाई देता है लेकिन वहाँ भी कषाय समुद्घात होने से दुःख तो है ही इसलिए संसार की चारों गति में भगवान ने दुःख बताया है जिससे बचने का एक मात्र उपाय धर्म है। उन्होंनें कहा कि हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है जब तक राग भाव मन में भरा हुआ है तब तक प्रिय वस्तु के भोग में भी उसकी समाप्ति का दुःख ही दिखाई देता है। अंतर्मन के परिणामों को बदलते हुए इस राग रूपी बाधा से पार होकर संवेग - निर्वेग की समझ को विकसित करते हुए वैराग्य भाव को जगाता है। फिर उसे संसार के भोग, हुड़दंग व आसक्ति से अरुचि हो जाती है व वह अपने आत्मोत्थान में लग जाता है। दीक्षार्थी भी इस बात को समझ चुके है कि भोग व राग भाव के कारण तो छः खण्ड के अधिपति चक्रवर्ती भी सुखी नही होकर अंततः नरक गति के मेहमान बन जाते है इसलिए राग से वैराग्य कि ओर कदम बढ़ाते हुए मोह घटाने का पुरूषार्थ कर रहे है उनका यह पुरुषार्थ सबके लिए अनुकरणीय बने व सभी जीवों के प्रति यही मंगल भावना व्यक्त की। धर्म सभा में पूज्या श्री दीप्तिश्रीजी ने भी सम्बोधित करते हुए सबसे प्रश्न किया कि संसार में सार है या आसार लगता है या फिर यह आग लगता है या बाग लगता है ..? वस्तुतः जब संसार कि असारता व इसके दुःख दावानल की आग लगने लगते है तब जीव मनुष्य भव का सार संयम को समझते हुए उस पर चलने का प्रयास करता है। पूज्याश्री ने कहा कि जिस कार में रफ्तार नही उसमें कोई बैठता नही, जिस द्वार पर मनुहार नही वहाँ कोई जाता नही वैसे ही संयमी आत्मा को संसार में सार नही लगता है। संयम सुख की कल्पना करते हुए पूज्याश्री ने स्तवन के माध्यम से कहा कि खुशियां ही खुशियां है न गम है इसी का नाम संयम है। 

दीक्षार्थी भाई बहन ने अपने भावों से अवगत करवाते हुए दीक्षा में आने का दिया आमंत्रण

          दीक्षार्थी अभिव्यक्ति में अविश भाई व श्रुति बहन ने संसार की असारता का परिचय करवाते हुए अपने माता-पिता व बचपन में संत समागम को वैराग्य पुष्ट करने का श्रेय देते हुए कहा कि सिद्ध जैसा ही जीव है बस कर्मों का आवरण इसे अलग बनाता है इसलिए आत्मा को पूर्ण शुद्ध करने संयम से कर्मों को रोकने व तप से कर्मों को नष्ट करने मुक्ति मंजिल की चाहना ने संयम लेने के लिए अग्रसर किया। दोनों ने कहा कि सभी जानते है कि संसार छोड़ने जैसा ही है लेकिन संयम में वे दुःख मानते है इसलिए छोड़ने में भय लगता है हिम्मत नही जुटा पाते है हमनें यह हिम्मत की है आप सभी दीक्षा में आकर हमें मंगल आशीर्वाद देकर उसे पुष्ट करने की भावना भाना। उल्लेखनीय है कि अविश भाई के परिवार से बरवाला सम्प्रदाय के महान साधक पूज्य श्री सरदारमुनिजी म.सा., मंगलाश्रीजी म.सा., सारिकाजी महासती व सद्गुनाश्रीजी म.सा. जैसी 4 महान आत्माओं ने पहले ही इस मार्ग पर चल रहे है उन्ही में से पूज्य श्री सरदारमुनिजी म.सा. उन्हें बड़ौदा में दीक्षा प्रदान करते हुए धर्मदास गण नायक बुद्धपुत्र प्रवर्तक पूज्य श्री जिनेन्द्रमुनिजी म. सा. के शिष्य के रूप में घोषित करेंगे वही श्रुति बहन को प्रवर्तक देव आने वाले समय में दीक्षा प्रदान करेंगे जो मधुर व्याख्यानी पूज्याश्री मधुबालाजी म.सा. की शिष्या बनेगी।

संघ ने दीक्षार्थी भाई बहन के साथ वीर-माता पिता का किया बहुमान

          स्थानकवासी जैन संघ कि ओर से सभी निवृत्तमान अध्यक्ष, पदाधिकारियों व धर्मलता महिला मंडल पदाधिकारियों ने दोनों मुमुक्षु आत्माओं का संघ की ओर से शाल-माला पहनाते हुए अभिनन्दन पत्र भेंट करते हुए बहुमान किया वही वीर माता-पिता का भी पूर्व में संयम अंगीकार कर चुके वीर माता-पिता, परिजनों द्वारा संघ की शाल माला पहनाते हुए सम्मान किया गया। इस अवसर पर संघ अध्यक्ष भरत भंसाली ने दोनों आत्माओं के प्रति संघ कि मंगल कामना अभिव्यक्त की गई सचिव प्रदीप गादिया ने सभा का संचालन किया उक्त जानकारी संघ प्रवक्ता पवन नाहर ने दी।


माही की गूंज समाचार पत्र एवं न्यूज़ पोर्टल की एजेंसी, समाचार व विज्ञापन के लिए संपर्क करे... मो. 9589882798 |