विष्णु के सहारे छत्तीसगढ़ और राजस्थान गायेगा भजन
माही की गूंज, संजय भटेवरा
झाबुआ। तमाम अटकलो को खारिज करते हुए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने तीनों राज्यों में गहन विचार विमर्श करने के बाद चैंकाने वाले फैसले लिए हैं। हालांकि मोदी और शाह की जोड़ी द्वारा इस प्रकार के फैसले लेना कोई नई बात नहीं है। कई ऐसे मौके आए जब इस जोड़ी ने कई अप्रत्याशित फैसले लिए है। हालांकि इन फैसलों को लेने में भाजपा नेतृत्व ने समय अवश्य लिया लेकिन उसके बाद भी कई कोई असंतोष के स्वर न सुनाई देना कहीं न कहीं भाजपा आलाकमान के होने का अहसास करवा रहा है। आलाकमान ने जो नाम तय करके भेजें विधायक दल ने उन्हीं का सर्वसम्मति से अनुमोदन किया है और इस सर्वसम्मति से चुने गए नेताओं की जिम्मेदारी को बढ़ा दिया है। इतने बड़े बहुमत को साथ लेकर चलना इन नेताओं के लिए चुनौती होगा। मध्य प्रदेश में यह चुनौती और भी बढ़ जाती है जहां दो तिहाई बहुमत के साथ ही केंद्रीय मंत्री तथा सांसद तक विधायक चुने गए हैं।
मध्य प्रदेश की कमान डॉक्टर मोहन यादव, छत्तीसगढ़ की विष्णु देव साय व राजस्थान की कमान भजनलाल शर्मा को दिए जाने के बाद राजनीतिक कई विश्लेषक इसे सोशल इंजीनियरिंग तो कोई 2024 का लोकसभा चुनाव तो कोई इसे जातिगत संतुलन को देखकर जोड़ रहा है। लेकिन मोदी के मन में क्या है...? यह तो मोदी ही बतला सकते हैं। इतना तो तय है कि मोदी के इस फैसले ने कांग्रेस को भी यह सोचने पर मजबूर अवश्य कर दिया है कि, उसे अब क्या करना है। क्या नई पीढ़ी को जिम्मेदारी देना या अनुभव को तरहिज़ देना है। मोदी के फैसले के बाद भाजपा लोकसभा चुनाव की तैयारीयो में अन्य दलों से एक कदम आगे हो गई है। अब कांग्रेस को अपनी रणनीति तय करना है, जबकि भाजपा की रणनीति स्पष्ट हो चुकी है कि, एमपी के मन में मोदी, मोदी के मन में मोहन, विष्णु, भजन।