करीबी मुकाबला होने की आशंका, रामा विकास खण्ड से बड़ी जीत दर्ज करने वाले को मिलेगी जीत
माही की गूंज, पेटलावद।
पेटलावद विधानसभा हर बार की तरह इस बार फिर मुकाबला बेहत ही नजदीकी होने की उम्मीद् है। मतदाता पुरी तरह मौन है, भाजपा और कांग्रेस के नेता अपनी-अपनी जीत के दावे खुल कर रहे हैं। भाजपा नेताओं के दावे को माने तो चार माह पूर्व प्रदेश में शुरू हुई लाडली बहना योजना के बाद महिलाओं ने भाजपा के पक्ष में बम्पर वोटिंग की है तो कांग्रेस प्रदेश में परिवर्तन की लहर और ओपीएस लागू करने के मुद्दे पर अपनी जीत का मजबूत जीत का दावा कर रही है। लगातार सर्वे के बाद भी फिलहाल एक दल के जीत के कयास नही लग पा रही है। यहां हर बार की तरह हार-जीत का अंतर फिर से बेहत कम होने की बात की जा रही है, हालांकि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही जीत का आंकड़ा इस बार 25 हजार होने के दावा कर चुके हैं ।
आप और बाप के वोट शेयर पर निकाले जा रहे हैं हार-जीत के समीकरण
पेटलावद विधानसभा में अधिकांश मुकाबला भाजपा-कांग्रेस के बीच सीधा ही रहा है। यहां बागी की उपस्थिति नए समीकरण बनाते हैं लेकिन इस बार दोनों ही दलों को बागी की चुनौती नही मिली। लेकिन जयस समर्थन में उतरी भारत आदिवासी पार्टी और केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की उपस्थिति के बाद चुनावी परिणाम इन दोनों दल के प्रत्याशी के प्रदर्शन पर निर्भर हो गए हैं। रामा क्षेत्र से आप पार्टी से मैदान में उतरे पूर्व मंत्री बापूसिंह डामोर के परिवार से कोमल डामोर ने पारा मण्डल में बड़ा नुकसान दोनों दलों को किया है। ईवीएम मशीन में एक नम्बर के बटन का लाभ भी मिलता दिख रहा है, जिससे हर बूथ पर मत मिलने की संभावना है। आप का वर्चस्व रामा विकास खण्ड तक ही सिमटा दिख रहा है। कुछ यही हाल बाप पार्टी के प्रत्याशी का भी है जयस के समर्थन के खड़े हुए प्रत्याशी का गढ़ सारंगी मण्डल माना जा रहा है। जहां से बड़ी बढ़त बनाने का दावा है जबकि पेटलावद मण्डल की कुछ पंचायते ओर रायपुरिया मण्डल का एक बड़ा हिस्सा जयस के प्रभाव में रहा है जहां से बाप पार्टी को उम्मीद् हैं। रामा विकास खण्ड में जाते हैं बाप का काफिला सिमटा हुआ लग रहा है हालांकि बाप के नेताओं ने रामा विकास खण्ड में भी काम किया है लेकिन कितना वोट अपनी तरफ ले पाते हैं ये बड़ा सवाल है। भाजपा और कांग्रेस के नेता जीत के समीकरण इन दोनों दलों के प्रदर्शन के आधार बनाने के प्रयास कर रहे है दोनों दल के नेता एक-दूसरे के वोट की कटिंग बताकर जीत के दावे कर रही हैं।
रामा विकास खण्ड की महत्त्वपूर्ण भूमिका
दो विकास खंडों में बटी पेटलावद विधानसभा में वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस को 17 हजार मतों की बड़ी बढ़त मिली थी। रामा विकास खण्ड में भाजपा ने जबरजस्त वापसी करते हुए कांग्रेस की लीड को तेजी से कम किया। लेकिन 4,500 सो वोटो से पीछे रह कर हार गई। इस चुनाव में रामा विकास खण्ड की भूमिका बढ़ गई है जहां से मिलने वाली बढ़त निर्णायक होगी। वर्तमान में पेटलावद विकास खण्ड में कांग्रेस को पिछले चुनाव की तरह बढ़त मिलती नही दिख रही, दोनों दलों के दावों ओर सर्वे को देखे तो पेटलावद विकास खण्ड में इस बार दोनों दलों के बीच मामूली वोटो के अंतर की संभावना हैं। बाप के दावे के मुताबिक अगर वोट मिला तो नये समीकरण बन रहे हैं जिसे कांग्रेस नेता ख़ारिज कर रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी रामा क्षेत्र से आते हैं जहां से दोनों को बड़ी उम्मीद् है कि, इस बार जनता उनको आशीर्वाद देगी। लगातार दोनों नेताओं को ही बड़े दलों से मौका मिलने के कारण विरोध और गुटबाजी की स्थिति है और जो इस गुटबाजी से निपटने में कामयाब रहा है उसे बढ़त मिलना तय है।
मतदाता मौन, लाडली बहना ओर परिवर्तन की लहर पर जीत के दावे
पेटलावद विधानसभा को लेकर भले दोनों दल के नेता जीत का दावा कर रहे हैं लेकिन जनता पूरी तरह से मौन धारण करते हुए किसी भी दल के पक्ष में मतदान का दावा नही कर रही। प्रत्याशियों की और से कोई बड़ा बयान या जीत के दावों के कोई बयान नही आये हैं। भाजपा की चुनावी तैयारी और वोटो की गिनती पूरी तरह से लाडली बहना पर अटकी है अगर भाजपा का ये तीर फेल हुआ तो कांग्रेस को बड़ा लाभ मिलना तय है। वही लाडली बहना उम्मीद् के मुताबिक चली तो कांग्रेस के परिवर्तन के दावों की हवा निकल सकती है। हालांकि कांग्रेस के ओल्ड पेंशन लागू करने के दावे ने कांग्रेस को सीधा ओर बड़ा लाभ पहुँचाया है।
अंत मे ....
3 दिसम्बर को चुनावो के परिणाम आना है जिसका इंतजार आम जनता और प्रत्याशियों को बेसब्री से है। परिणाम के पहले दौर में पोस्टल मतों की गिनती होनी है जिंसमे कांग्रेस को कही न कही खुशी मिल सकती है। नगर सहित पूरे क्षेत्र में जगह-जगह लोगो के झुंड में खड़े होकर चुनाव परिणामो की समीक्षा करते देखे जा रहे हैं।