12 लाख नवकार महामंत्र की हो रही आराधना
माही की गूंज, थांदला।
धर्म नगरी थांदला में जिन शासन गौरव जैनाचार्य पूज्य श्री उमेशमुनिजी म.सा. "अणु" के अंतेवासी शिष्य बुद्धपुत्र आगम विशारद प्रवर्तक पूज्य श्री जिनेंद्रमुनिजी म.सा. की आज्ञानुवर्ती साध्वी पूज्या श्री निखिलशीलाजी म.सा. आदि ठाणा - 4 के भव्य चातुर्मास में धर्म आराधना की गंगा बह रही है। उनके सानिध्य में आज 80 तप आरधकों ने वरण, उड़द, आयम्बिल व निवि आदि विविध तप के माध्यम से नवपद ओलीजी आराधना प्रारंभ की। आज नवकार महामंत्र के पहले पद के रूप में अनन्त गुणों के धारक अरिहन्त प्रभु परमात्मा के मुख्य 12 गुणों का स्मरण करते हुए 12 वंदना, 12 लोगस्स, 12 णमोत्थुणम का ध्यान किया।
जानकारी देते हुए संघ के प्रवक्ता पवन नाहर व ललित जैन नवयुवक मंडल अध्यक्ष रवि लोढ़ा, सचिव संदीप शाहजी ने बताया कि नवपद ओलिजी आराधना के दौरान विराजित महासतियाजी द्वारा प्रतिदिन प्रवचन में गुरु गुणानुवाद व मोक्ष जाने के 23 बोलों के विवेचन के साथ नवपद ओलिजी की आराधना के लिए प्रतिदिन एक-एक पद की विशेषताओं व गुणों का स्मरण करते हुए आराधकों को आराधना की विधि करवाई जाएगी। सभी ओलिजी तप आरधकों के लिए आयम्बिल निवि का लाभ तारादेवी सुंदरलाल भंसाली परिवार द्वारा लिया गया है। श्रीसंघ अध्यक्ष भरत भंसाली ने इस दौरान सभी आरधकों व 25 अक्टोबर को क्रियोद्वारक जैनाचार्य पूज्य श्री धर्मदासजी म.सा. की दीक्षा जयंती व नवपद ओलिजी के अंतिम दिवस 28 अक्टोबर पर पक्खी पर्व होने पर संघजनों से अधिकाधिक संख्या में आयम्बिल तप आराधना करने का निवेदन किया है।
12 लाख नवकार महामंत्र के जाप गतिमान
श्रीसंघ में पूज्या महासतियाजी की प्रेरणा पाकर नौ दिवसीय 12 लाख नवकार महामंत्र के जाप किये जा रहे है। 15 अक्टोबर से प्रारंभ नवकार महामंत्र जप में 145 श्रावक-श्राविकाओं द्वारा प्रतिदिन स्थानक में आकर मौन पूर्वक पंच परमेष्ठी मंत्र की 11-11 माला गिनी जा रही है। नवकार महामंत्र जप में भाग लेने वालें आराधकों की प्रभावना का लाभ राजलदेवी कनकमल गादिया परिवार ने लिया है।