विरोध से बचने के लिए आचार सहिंता के बाद ही टिकिट की घोषणा करने की थी कांग्रेस की योजना
समय से पूर्व टिकिट जारी होने के बाद भी नही बना भाजपा प्रत्याशी का माहौल
माही की गूंज, पेटलावद।
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता लागू कर दी गई है। निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार पूरे प्रदेश में एक ही चरण में चुनाव होंगे, प्रदेश में 17 नवंबर को वोटिंग और 3 दिसम्बर को परिमाण घोषित किये जाना है। बात करे भाजपा की तो भाजपा की भाजपा ने समय से काफी पहले प्रदेश में कई सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए। जिंसमे पेटलावद विधानसभा क्रमांक 195 भी शामिल हैं। दूसरी और कांग्रेस के लिए मैदान में प्रत्याशी को उतारना ही टेडी खीर बन कर रह गया है जिस कारण कांग्रेस अब तक एक भी सूची जारी नही कर पाई। पेटलावद विधानसभा को लेकर कांग्रेस के लिए बीते 20 वर्षो में पहली बार इतनी बड़ी परेशानी देंखने को मिली कि, यहाँ प्रत्याशी तय करने को लेकर अब तक एक राय बनती नही दिख रही।
पहली सूची में भी संभावना कम, होल्ड पर रह सकती है पेटलावद विधानसभा
आचार सहिंता लगने के बाद कांग्रेस की सूची का सब को इंतजार है जो नवरात्रि के शुरुआत में आने की पूरी सभावना है लेकिन जिस तरह से पेटलावद विधानसभा में उठापटक चल रही है कांग्रेस के लिए प्रत्याशी के नाम पर मुहर लगाना सबसे मुश्किल नजर आ रहा है। बीते कई वर्षों में कांग्रेस के लिए पेटलावद विधानसभा में ऐसी परिस्थिति नही बनी है जो कि इस बार बन गई है। प्रदेश में होने वाले चुनाव में भाजपा-कांग्रेस के मध्य 2018 चुनाव की तरह मामला कसमकस होने की उम्मीद् है। इसलिए हर सीट पर उम्मीद्वार को लेकर गहन चिंतन जारी है। कांग्रेस आखिर में जितने वाला प्रत्याशी मैदान में उतारना चाहती हैं फिर उसके लिये वर्तमान विधायक या किसी बड़े नेता का टिकिट काटना भी क्यो न पड़े। वर्तमान में पेटलावद विधानसभा में जो परिस्थिति बन रही है उससे यही कहा जा सकता है कि, कांग्रेस भले दो-चार दिन में अपनी पहली सूची जारी कर दे, उसमे पेटलावद विधानसभा का नाम होने की उम्मीद् कम है। बताया जा रहा है, यहां की टिकिट होल्ड की जा सकती है और अंत तक बी फार्म लाने तक मामला जा सकता है। मतलब टिकिट के सभी दावेदारो को नामांकन भरने तक का भी इंतजार किया जा सकता है ।
विधायक मेड़ा के लिए रास्ता मुश्किल, जयस-बाप पार्टी से पार पाने की रणनीति
तीन बार इस सीट से चुनाव लड़ कर दो बार विधायक रहे वालसिंग मेड़ा के लिए इस बार राह आसान नही है। हालांकि सिटिंग विधायक होने के चलते उनकी टिकिट तय मानी जा रही है लेकिन अन्य दावेदारो से या खासकर जिला पंचायत उपाध्यक्ष मालू अकमाल डामोर से कड़ी टक्कर मिल रही है। विधायक वालसिंग मेड़ा की टिकिट से लेकर हार और जीत तक मालू की चुनाव में उपस्थिति तय करेगी। आम आदमी पार्टी, भारत आदिवासी पार्टी, सहित जयस तथा अन्य दल और निर्दलीय प्रत्याशी हर बार की तरह कमजोर प्रदर्शन वाले मैदान में नही होगी। इस बार जो भी उतरने की तैयारी में है अपना-अपना वोट बैंक लेकर उतर रहे हैं। किस प्रत्याशी का वोट किस पार्टी को नुकसान करेगा ये भविष्य की गर्त में है। लेकिन बाप पार्टी और जयस सीधा कांग्रेस को नुकसान करेगी ऐसा माना जा रहा है, जिसके पार पाने की रणनीति के साथ ही कांग्रेस प्रत्याशी तय करेगी।
भाजपा अब तक नही बना पाई माहौल, दबी जुबान से जारी विरोध
कांग्रेस के मुकाबले भाजपा टिकिट देने में जरूर आगे रही लेकिन भाजपा को इसका कोई खास लाभ होता नही दिख रहा। लगभग दो माह पूर्व पेटलावद विधानसभा से भाजपा ने पूर्व विधायक निर्मला भूरिया को प्रत्याशी घोषित कर दिया। प्रत्याशी घोषित होने के बाद मिले इतने समय के बाद भी भाजपा अपने पक्ष में माहौल नही बना पाई। निर्मला भूरिया का खुलकर कोई विरोध देंखने को नही मिला लेकिन खुलकर समर्थन भी किसी ने नही किया। क्षेत्र में दौरों के दौरान कार्यकर्ताओ की कमी, स्वागत में अनदेखी ओर सोशल मीडिया पर न के बराबर समर्थन भाजपा और निर्मला भूरिया के लिए चिंता का विषय बन हुआ है। कार्यकर्ताओ से दूरी और लगातार भाजपा की और से मैदान में उतरने के चलते दूसरे आदिवासी नेताओं का खत्म होता राजनीतिक केरियर बड़ी परेशानी भाजपा के लिए खड़ी कर रहा है। भाजपा कार्यालय के उद्घाटन को लेकर किसी प्रकार का कोई बड़ा आयोजन नही होना बता रहा है कि, कार्यकर्ता और पदाधिकारी फिलहाल भाजपा के टिकिट घोषणा से खुश नही है ।
अंत मे...
क्षेत्रीय पार्टी, संगठन और आम आदमी पार्टी की उपस्थिति से ये चुनाव रोचक होने वाला है। इस बार विधानसभा में त्रिकोणीय मुकाबला भी देखने को मिल सकता है। एक ओर भाजपा चाहती हैं कि, ज्यादा से ज्यादा प्रत्याशी मैदान में उतरे वही कांग्रेस को जीत का मंत्र एकजुट होकर मैदान में उतरने का लग रहा है। कांग्रेस के प्रत्याशी तय होने के बाद विधानसभा के आंकड़े तेज़ी से बदलते दिखाई देंगे। साथ ही परिमाण की धुंधली तस्वीर थोड़ी-थोड़ी साफ दिखने लगेगी। किसी भी प्रत्याशी की हार और जीत का फर्क हर बार की तरह मामूली रहने के कयास लगाए जा रहे हैं।