स्वास्थ्य विभाग बरत रहे लापरवाही
माही की गूंज, बनी।
जब-जब मौसम की मार पड़ती है तब उसके विपरीत प्रभाव से किसान के साथ-साथ आम आदमी के जीवन में विपरीत प्रभाव पड़ता है। ऐसा ही मौसम के परिवर्तन से गांव बनी में बुखार के मरीज की भरमार सी दिखाई देती है। पूरे गांव में बुखार, सर्दी, खांसी के मरीज की संख्या सर्च करने पर जानकारी से अधिक पाई जा सकती है। गांव बनी के दिनेश अंबाराम पाटीदार को जब तेज बुखार आया तब उन्होंने तत्काल जाकर रायपुरिया के निजी डॉक्टर को बताया और डॉक्टर द्वारा ब्लड की जांच करवाई गई, जिसमें डेंगू बुखार होना पाया गया। उन्होंने तत्काल निजी चिकित्सक से अपना इलाज शुरू करवाया और वर्तमान में भी अभी इलाज चालू है।
कुछ वर्षों पूर्व पूरा गांव चिकनगुनिया बुखार के चपेट में आ गया था और प्रिंट मीडिया ने कुम्भकर्णी नींद में सोए स्वास्थ्य विभाग को जगाया, तब जाकर स्वास्थ्य विभाग की नींद खुली और स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारी और कलेक्टर मैडम कियावत और तो और स्वास्थ्य मंत्री महेंद्र सिंह हडिया को भी इस गांव में आकर स्थिति का जायजा लेना पड़ा था। तब जाकर डॉक्टरों की टीम ने चिकनगुनिया पर काबू पाया था। आज भी समय रहते स्वास्थ्य विभाग की नींद नहीं खुली तो पूरा गांव डेंगू बुखार की चपेट में आ सकता है।
बनी गांव में उप स्वास्थ्य केंद्र व आयुर्वेदिक औषधालय जैसे दो संस्थाएं हैं मगर इनके द्वारा कोई सर्च ऑपरेशन नहीं चलाया गया है। गांव बनी की स्थिति आज भी अवैध झोलाछाप बंगालियों के भरोसे चल रही है और इन्होंने अपना पूर्णता साम्राज्य स्थापित कर रखा है। वर्तमान स्थिति में बंगालियों के क्लीनिक पर मरीजों की भीड़ लगी हुई है और यह झोलाछा बंगाली बिना डिग्री के भोले-भाले लोगों की जेब काटने में लगे हुए हैं। इन अवैध झोलाछाप बंगालियों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग के छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों को भी मालूम है। मगर आज तक इन अवैध झोलाछाप बंगालियों के ऊपर कार्रवाई नहीं करते या लक्ष्मी पुत्रों के प्रति उचित कार्यवाही करना नहीं चाहते हैं। यह एक चिंता का विषय है।