
बैठक में तय होगा कब शुरू होगी नहर
कूड़ा करकट ओर खरपतवार से भरी नहरे
माही की गूंज, बरवेट।
अबकी बार मानसून जाते-जाते रबी फसल उत्पादक किसानों पर कृपा बरसा गया। मानसून विदा होने से पहले हुई भारी बारिश से माही डेम में लबालब पानी आने से किसानों को गेहूं-चने के लिए भरपूर पानी मिल सकेगा। इस बार डेम से निकली नहर से सैकड़ों गांव के हजारों किसानों को सिंचाई के लिए मिलने वाला पानी 11 अक्टूम्बर को जिले में होने वाली जल संसाधन की बैठक में तय होगा। नहर में पानी की सप्लाई शुरू होने की तय तारिक के बाद किसान रबी बुआई का कार्य प्रारंभ कर देंगे। इधर, जल संसाधन विभाग पानी छोड़े जाने से पहले नहरों की सफाई करवाएगा।
दरअसल इस वर्ष औसत से अधिक बारिश होने से जिले के सभी जलस्रोत लबालब हो गए है। सोयाबीन की फसल लेने के बाद अब जल्द ही किसान गेहूं, चना, मटर आदि फसलों की बुआई के कार्य में जुटेंगे। जिले में इस बार बड़े पैमाने पर गेंहू चने की बुआई का कार्य किया जाएगा। पानी की उपलब्धता भरपूर होने से किसानों के चेहरे खिले हुए हैं।
अब किसानों को रबी फसल से उम्मीदें
इस बार मौसम की मार और प्रकृति के प्रकोप से सोयाबीन और हाइब्रिड टमाटर-मिर्च की खेती से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। ऐसे में किसान रबी की फसल से उम्मीद लगाए बैठे हैं। इसके लिए माही डेम से मिलने वाले पानी से अपने खेतों को सिंचित करेंगे। बरवेट से 15 किमी दूर माही नदी पर स्थित डेम अपनी पूर्ण क्षमता के साथ लबालब हो गया है। इसके चलते इस बार किसानों को सिंचाई के लिए पानी दिया जाने वाला है। डेम से जुड़ी सभी नहरों के माध्यम से क्षेत्र के करीब सैकड़ों गांव के हजारों किसानों को पानी मिलेगा। सोयाबीन फसल से निपटे किसानों को क्षेत्र के अन्य जलस्रोतों में भी भरपूर पानी होने से रबी फसलों की बुआई को लेकर काफी उम्मीदें हैं।
कूड़ा करकट ओर खरपतवार से भरी नहरे
माही डेम से कई गांवों से होते हुए निकली नहरों में झाड़ियां व खरपतरवार उग आई है। वहीं नगरीय क्षेत्र में लोगों द्वारा कूड़ा-करकट भी फेंका जाने के चलते इनकी सूरत ही बदल गई है। आगामी दिनों में किसानों को पानी भी नहरों से दिया जाना है। ऐसे में सिंचाई विभाग द्वारा नहरों की साफ-सफाई का काम शीघ्र ही शुरू करवाएगा। जानकारी के अनुसार जिला जल उपयोगिता समिति की बैठक में होना बाकी है। जिसकी बैठक 11 अक्टूबर को जिला मुख्यालय पर होगी। जिसमे पानी छोड़े जाने को लेकर विचार-विमर्श होगा। गत वर्ष 15 नवंबर से पानी छोड़ा गया था है। लेकिन अबकी बार बारिश की वजह से सोयाबीन की फसल से निपटने में लेट हो गए है जिसको देखते हुए नहरों में पानी 15 नवंबर तक छोड़े जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसे में नहरों से पानी 15 नवंबर के बाद सप्लाय दिए जाने का निर्णय लिया जा सकता है। इसीलिए नहरों की साफ-सफाई के कार्य में विभाग द्वारा शीघ्र ही करवाया जाएगा। विभाग को उम्मीद है कि एक नवम्बर के पहले नहरों की साफ-सफाई का काम पूरा कर लिया जाएगा।
फैक्ट फाइल
-बांध की क्षमता- 135.60 मिलीयन घन मीटर।
-माही नहरों की लंबाई-240 किमी।
-माही नहरों से सिंचित क्षेत्र-50 हजार हेक्टेयर भूमि।
कहां-कहां है नहर ओर कितने गांवों में पेयजल का पानी भी दे रहे
माही नहरों का लाभ बरवेट, बावड़ी, सारंगी, बोड़ायता, बैंगनबर्डी, मोहनपुरा, गुणावद, रामगढ़, करड़ावद, करवड़, घुघरी सहित क्षेत्र के बड़े हिस्से को मिल रहा है। इसमें 240 किमी क्षेत्र में फैली नहरों से लगभग 50 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि सिंचित होती है। वहीं नहरों का विस्तार करते हुए रायपुरिया, रूपगढ़, जामली, कोदली सहित अन्य क्षेत्र को लाभ भी मिलना प्रारम्भ हो गया है।
समय से पहले नहरो की सफाई की सफाई करवाई जाएगी
माही परियोजना पेटलावद के एसडीओ जय पल सिंह बिष्ट का कहना है कि, रबी सीजन के लिए किसानों को पानी देने के लिए विभाग द्वारा तैयारियां समय से पहले पूर्ण लर ली जाएगी। नहरों की साफ-सफाई का काम शुरू करवाया जाएगा, जो एक नवंबर के पूर्ण करवा लिया जाएगा। इसके बाद जिला जल उपयोगिता समिति को बैठक में किसानों को सिंचाई के लिए तारीख तय की जाएगी। वही किसानों की मांग के हिसाब से समय से पहले भी पानी नहरो में छोड़ा जा सकता है।