मन्दिरो में होने वाली चोरियों को पुलिस कर देती है नजरअंदाज
माही की गूंज, कुंदनपुर।
अपराध तो अपराध ही होते है चाहे वह शुक्ष्म हो या बड़ा। पुलिस की कार्यप्रणाली कई बार देखने मे आती है कि क्षेत्र में छोटे-बड़े अपराध हो या चोरी उसे नजर अंदाज कर देती है। जिसके चलते ऐसे अपराध में मामला दर्ज तो करती नही वहीं ऐसे मामलों में पुलिस कभी भी संवेदनशील नही रहती है। लेकिन ऐसे छोटे-बड़े अपराध व चोरी के मामले ही बड़े अपराध के रूप में तब्दील हो जाते है जिसे नकारा नही जा सकता है। अगर बीती रात की ही बात करे तो शीतला माता मन्दिर और सिधेश्वर महादेव मंदिर में असामाजिक तत्वों ने ताले तोड़कर मन्दिर के अंदर सजावट को क्षतिग्रस्त करने का प्रयास किया व दान में आई राशि को असामाजिक तत्व चुराकर ले गए। सिधेश्वर मन्दिर में भगवान गणेश व भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा पर लगा कांच फोड़कर छतिग्रस्त कर दान की राशि लूट ली। उक्त मामले भी कहने व सुनने में तो छोटे है और पुलिस ऐसे ही मामलों को छोटा मानकर नजरअंदाज कर देती है। नतीज़न बड़े अपराधों को पुलिस बढ़ावा देती है। कुछ बुद्धिजीवियों का कहना है कि, मन्दिरो में इस तरह के अपराध कर असामाजिक तत्व क्षेत्र की शांत फिजा को बिगाड़ने का प्रयास करते है। ऐसे असामाजिक तत्व क्षेत्र में चल रहे नशाखोरी के आदि होकर एक से अधिक सामुहिक रूप से ऐसे असामाजिक तत्व जिन्हें यह मालूम होता है कि मंदिर में चोरी करने के दौरान मिलेगा तो कुछ भी नही लेकिन क्षेत्र का वातावरण अवश्य बिगड़ेगा ओर पुलिस की सक्रियता व निष्क्रियता का जायजा लेने हेतु असामाजिक तत्व ऐसे अपराधों को अंजाम देते है। वहीं पुलिस की निष्क्रियता के साथ बड़े अपराधी क्षेत्र में बड़े अपराध को अंजाम देते है।