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15 वर्षीय तपस्वी सुश्री ऐनी पंकज पटवा का हुआ तप अभिनन्दन
माही की गूंज, पेटलावद।
तपस्या अनन्त कर्मो को क्षय कर, आत्मा में बसे अंतर गुणों की साधना है, आराधना है। तपस्या दुख की आ तापना लेकर आत्म सुखों की साधना है। तपस्या करने से न सिर्फ आत्मा निर्मल होती है बल्कि कितने ही अनन्त कर्मो का क्षय होता है। वो भाग्यशाली होते है जो तपस्या के अमृत का रसपान करते है और आत्मा को निर्मल कर चंदन की भांति पावन हो जाते है। कहते है कि, जिनकी आराधना सच्ची होती है और भाव निर्मल होते है देवगण भी उनके घर चंदन की बरसात करते है ओर तपस्वी की जय जय कार करते है, तभी तो तपस्या को जिनशाशन में ऊंचा दर्जा दिया गया है। यह विचार युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री मुनि सुव्रत स्वामी जी ने स्थानीय तेरापंथ भवन में 15 वर्षीय सुश्री ऐनी पंकज पटवा के 11 की तपस्या के उपलक्ष्य में आयोजित तप अभिनन्दन समारोह में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये।
उन्होंने आगे कहा कि, तप के सेवन से ही देह की ममता का त्याग तथा रसना व कषाय जय से कर्म क्षय होता है। कर्म क्षय से आत्मा शुद्व आत्मा बन अजरामर मुक्ति प्राप्त करती है। उक्त गरिमामय तप अभिनन्दन समारोह में तप की महिमा गरिमा की अभिव्यक्ति देते हुए मुनि श्री मंगल प्रकाश जी ने कहा कि तप का जीवन मे बहुत बड़ा महत्व है।
भगवान ने कर्म निर्जरा के अनेक उपाय बताए है जिसमे तप सबसे उत्तम उपाय है। मुनिश्री ने इस अवसर पर आचार्य श्री महाश्रमण जी के पूर्ण होने जा रहे 50 वें दीक्षा दिवस के उपलक्ष्य में कम से कम 50 जोड़े या उससे अधिक तेले कि तपस्या हो इस हेतु सभी को प्रेरित किया। तप अभिनन्दन समारोह में मुनि श्री शुभम कुमार जी ने कहा की तपस्या करने के लिए संकल्प बल, मनोबल, धृतिबल आत्मबल की अपेक्षा होती है। तप ज्योति है, तप साधना है, तप उपासना है, तप औषधि है और तप मोक्ष मंदिर का सोपान है। तप अभिनन्दन कार्यक्रम में महासभा आंचलिक प्रभारी दिलीप भंडारी, ज्ञानशाला प्रशिक्षिका रेखा पालरेचा व फूलचंद कांसवा ने भी अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। इस अवसर पर तपस्वी सुश्री ऐनी पटवा ने भी अपने विचार रखे।
तेरापंथी सभा अध्यक्ष मनोज गादिया ने सभा की ओर से तपस्वी के तप की अनुमोदना करते हुए तप अभिनन्दन पत्र का वाचन किया। तप अभिनन्दन समारोह में स्थानीय तेरापंथी सभा के अलावा ज्ञानशाला परिवार की ओर से भी तपस्वी का अभिनन्दन पत्र व साहित्य से सम्मान किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत नमस्कार महामंत्र से हुई। इस अवसर पर तपस्वी के तप की अनुमोदना में पारिवारिक बहनों ने सामूहिक गीतिका के माध्यम से अपनी सुंदर प्रस्तुति प्रदान की। अभिनन्दन समारोह में उपस्थित पारिवारिकजनों व समाजजनों ने तपस्वी के तप के बहुमान में विभिन्न त्याग, प्रत्याख्यान का संकल्प लिया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाएं विशेष रूप से उपस्थित थे। आभार पंकज जे पटवा ने माना।