दर्जनभर नेता लगा रहे उम्मीद
माही की गूंज, थांदला।
मध्यप्रदेश में भाजपा के लिए मुसीबत बनी व वर्तमान में कांग्रेस के कब्जे वाली 39 सीटों पर अपने दावेदारों का एलान कर सबको चौका दिया है। जिसमें झाबुआ के साथ पेटलावद दोनों हारी हुई सीट पर भाजपा ने हार का सामना करने वालें उन्ही प्रत्याशियों को हिसाब बराबर करने का अवसर दिया है। लेकिन थांदला विधानसभा में वे ऐसी कोई रिस्क लेने को तैयार नही है। भाजपा हाई कमान पर थांदला की गुटबाजी के किस्से रोजाना पहुँच रहे है। ऐसे में वह गुटीय राजनीति से परे हटकर नया प्रयोग करने को भी तैयार नजर आ रही है। जिसमें वह क्षेत्रीय सांसद गुमानसिंह डामोर को टिकट देकर सबकों हैरान भी कर सकती है। तो नए चेहरें पर भी जोर आजमाइश कर सकती है।
थांदला विधानसभा में मेघनगर औद्योगिक क्षेत्र होने के बावजूद पलायन व दूषित जल जैसी ज्वलंत समस्याओं के साथ ही सड़क, बिजली, पानी व ट्रेचिंग ग्राउंड आदि की मूलभूत समस्याओं से भी जूझ रहा है जिसका कोई स्थायी हल किसी नेता के पास नही है। ग्रामीण अंचल में अधिकांश आबादी रहती है जिनकी अपनी समस्याएं है लेकिन उन समस्याओं पर भी महज राजनीति ही होती आई है। ग्रामीणों के हालातों में कोई ज्यादा सुधार देखने को नही मिलें है । ऐसे में भाजपा यहाँ से ऐसे स्थायी प्रतिनिधित्व को जिम्मा देना चाहती है जो यहाँ जनता की समस्याओं से अवगत भी हो व उसका निदान करने में सक्षम भी हो। वही सबसे बड़ी बात यहाँ गाँधी के नाम से प्रसिद्ध कांग्रेस विधायक विरसिंह भूरिया को हराने का दम भी रखता हो।
भाजपा इन सब पर विचार कर रही है तभी उन्होंनें यहाँ के स्थानीय नेता को विधानसभा का प्रभार दिया है । जिला प्रभारी मंत्री, पूर्ण कालिक संगठन मंत्री, विधानसभा प्रभारी व संयोजक के अलग-अलग दायित्वों से थांदला विधानसभा की जनता से उनका पक्ष जानने का प्रयास कर रही है। वही दावेदार नेताओं की जमीनी धरातल तलाश करने में भी लगी हुई है।
भाजपा की वर्तमान सर्वे रिपोर्ट, गोपनीयता से अपना काम कर रही है। वही नेताओं की धड़कन बड़ी हुई है कि किसे इस बार टिकट मिलेगा। इन सबके बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री का लाड़ली बहना व लाड़ली लक्ष्मी योजना के बाद महिलाओं को आगे लाने की योजनाओं से मिल रहा अपार जन समर्थन थांदला विधानसभा में भी एक बार फिर महिला नेतृत्व को लेकर जमकर चर्चा हो रही है। पिछली बार मेघनगर जनपद अध्यक्ष होनें के कारण सुशीला भाबर को विधायक का टिकट नही मिल पाया था, लेकिन इस बार फिर उनका नाम सुर्खियों में है।
वैसे तो दिलीप कटारा व कलसिंह भाबर गुरु-शिष्य की जोड़ी जबसे बिखरी है तब से ही थांदला विधानसभा के हर आयोजन अलग गुटों में बटकर रह गए है। ऐसे में भाजपा भी इन दोनों के अलावा तीसरा विकल्प तलाश रही है। जिसमें सबसे ऊपर मेघनगर के ही दो नाम प्रमुखता से सामने आ रहे है जिनमें एक महिला नेतृत्व की वकालत करते हुए सुशीला भाबर को प्राथमिकता दे रहा है, वही दूसरी तरफ रमसू पारगी को भी तवज्जों दे रहा है।
लेकिन भाजपा के दबंग नेता भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कैलाश विजयवर्गीय गुट का होना उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। वही सुशीला भाबर का जनपद अध्यक्ष रहते ग्रामीण अंचल में गहरी पकड़, थांदला-मेघनगर में है व महिलाओं के उत्थान में हमेशा सक्रिय योगदान उनकी ताकत रही है, मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की भी करीबी मानी जाती है। ऐसे में उनका महिला होना भाजपा के लिए झाबुआ ज़िलें की तीनों विधानसभा सीटों को साधने में काम आ सकता है। वैसे भी भाजपा ने निर्मला भूरिया को पेटलावद से दावेदार बनाया ही है। थांदला विधानसभा क्षेत्र से महिला नेतृत्व की मांग पूरी करते हुए यदि यहाँ से भी महिला नेतृत्व मिल जाता है, तो भाजपा के लिए महिलाओं के सम्मान की बात करना कागजी घोड़े दौड़ाने जैसा न होकर जमीनी हकीकत बन जाएगी। तथा स्थानीय नेताओं की गुटबाजी पर भी लगाम लगेगी। अब देखना यही दिलचस्प होगा कि, भाजपा दोनों में से किसे अपना उम्मीदवार बनाती है या फिर सासंद को ही उम्मीदवार बनाकर या इन सबसे परे कोई नया मोहरा लाकर शतरंज की बिसात में रोचकता लाती है।