इस बार टिकिट के लिए करना पड़ेगी कड़ी मशक्कत, गुजरात पैटर्न लागू हुआ तो इस बार मुश्किल में रहेगी निर्मला भूरिया
माही की गूंज, पेटलावद।
जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है, वैसे-वेसे राजनीति के नए-नए समीकरण बन रहे है। पेटलावद विधानसभा से दावेदारों की फेरिस्ट अब लंबी होने लगी है। इस सीट से मुख्य दावेदार रही निर्मला भूरिया के इस बार का सफर भी पिछली बार की तरह काटो भरा है। वर्ष 2018 में मिली हार के बाद से असक्रिय निर्मला भूरिया जिले में लागू पैसा एक्ट के बाद सक्रिय हुई और अपने पिता स्व.दिलीप सिंह भूरिया के पैसा एक्ट के लागू करवाने के योगदान के दम पर अब क्षेत्र में सक्रिय होकर अपनी दावेदारी मजबूत करने का प्रयास कर रही है ।
2018 की हार के बाद जड़े नही जमा पाई निर्मला भूरिया, दो-चार नेता के बीच रहना आज भी जारी
बमुश्किल मिली 2018 में टिकिट के बाद निर्मला भूरिया को हार का सामना करना पड़ा और उसके बाद से असक्रिय रही। विधायक से सांसद बने डामोर ने पेटलावद विधानसभा से टिकिट नही मिलने के बाद भी सांसद के रूप में लगातार इस क्षेत्र में सक्रिय रहे। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में निर्मला भूरिया मानो गायब सी हो गई और आम जनता के लिए मैदान में नही आई। कोरोना काल मे सिविल हॉस्पिटल पेटलावद में लगे ओक्सिजन प्लांट में किसी प्रकार का सहयोग नही करने पर राजनीति विराम की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया। कोरोना काल मे उनके कई करीबी भाजपा नेताओं को बडी त्रासदी से गुजरना पड़ा, उनके यहां स्वांतना तक देने नही जा सकी। निर्मला भूरिया पर कुछ लोगो से घिरे होने के आरोप शुरू से लगते रहे है, जो चुनाव के ठीक पहले उनके लिए सक्रीय हो जाते है। वर्तमान में पार्टी द्वारा दिये जा रहे कार्यक्रमो में निर्मला भूरिया अपने करीबियों को ही जिम्मेदारिया दिलवाती रही, जिससे जमीनी स्तर पर कार्य कर रहे नेताओं ने निर्मला का मौन विरोध शुरू कर दिया है।
गुजरात पैटर्न पर बूथ मैनेजमेंट के दम पर उतरी भाजपा तो मिलेगा नया चेहरा
गुजरात चुनाव में बूथ लेवल और सोशल मीडिया की तैयारियो के अनुसार चुनाव लड़ा गया। जिंसमे भाजपा को बम्पर सफलता मिली ओर उसी सफलता से प्रेरित भाजपा मध्यप्रदेश लेवल पर बूथ लेवल से तैयारियों में जुटी है। अगर प्रदेश में चुनाव में प्रत्याशी के चयन गुजरात पैटर्न पर हुआ तो इस बार भाजपा स्थानीय नेतृत्व से दम पर नही बल्कि खुद की संगठन की व्यवस्था अनुसार नए चेहरे को मैदान में उतार सकता है। जिले की तीन विधानसभा सीटो में से पेटलावद के मुकाबले दो अन्य सीट थांदला-झाबुआ भाजपा के लिए मुश्किल सीट है, इनमें से एक पर निर्मला को शिफ्ट करने की भी चर्चा है।
सांसद भी पेटलावद से मैदान में उतरने की जुगाड़ में, युवा नेतृत्व भी तैयार
विधायक से सांसद बने गुमानसिंह डामोर एक बार फिर विधायकी चाहते है और लगातार इस ओर तैयारी में जुटे है। भाजपा अगर सांसदो को विधानसभा का टिकिट देती है तो रतलाम-झाबुआ के सांसद का मैदान में उतरना तय है और उनकी पहली पसंद पेटलावद विधानसभा होगी ये भी तय है। गत दिनों हुए भाजपाई सर्वे में कार्यकर्ताओं ने निर्मला ओर गुमानसिंह दोनों को पूरी तरह नकारते हुए नए युवा चेहरे की मांग की थी ओर विधानसभा में युवा नेतृत्व पूरी तरह से तैयारी में जुटा है। पेटलावद विकास खण्ड से अजजा मोर्चे के जिलाध्यक्ष अजमेर सिंह भूरिया, पेटलावद जनपद अध्यक्ष रमेश सोलंकी और रामा क्षेत्र से अजजा मोर्चे के महामंत्री वालसिंह मसानिया की टिकिट की दावेदारी हो सकती है। संगठन और संघ से निकले कई पैराशूट नेता भोपाली स्तर पर टिकिट का दावा कर रहे है ।
सोशल साईड पर भी नही मिल रहा निर्मला को समर्थन, पैसा एक्ट के नाम पर आदिवासी संगठनो के समर्थन का दावा
संकल्प एप के जरिये भाजपा ने बूथ लेवल से लेकर प्रदेश स्तर तक के नेताओं को सोशल मीडिया से जोड़ दिया है। हर कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर सक्रिय है लेकिन निर्मला भूरिया के पक्ष में सोशल मीडिया में भी कोई हलचल नही है। वरिष्ठ ओर पुरानी नेता होने के बाद भी उनके कार्यकर्ताओ ने जन्मदिन पर इक्का-दुक्का पोस्ट बधाई संदेश के लिए की और गिने-चुने नेताओं ने बधाई दी। सोशल मीडिया पर लगातार भाजपा नेता और कार्यकर्ता नए चेहरे की मांग करते देखे जाते है। गूंज के राजनीतिक सूत्रों के अनुसार निर्मला भूरिया अपने प्रदेश संगठन के प्रमुख नेताओं को जिले पैसा एक्ट लागू होने के बाद आदिवासी संगठनों के समर्थन का दावा कर रही है। चुकी आदिवासी संगठन से जुड़े कार्यकर्ता किसी भी आयोजन में पैसा एक्ट के लिए अपनी भूमिका निभाने वाले स्वः दिलीप सिंह भूरिया को याद करते है। उसी को आधार बनाकर आदिवासी संगठन के समर्थन का दावा किया जो खुद इस विधानसभा में नया चेहरा देने की मांग कर रहा। कुल मिलाकर इस बार भी पूर्व विधायक निर्मला भूरिया की झोली में पेटलावद विधानसभा का टिकिट आसानी से गिर जाएगा इसकी संभावना कम ही है। पार्टी के अंदरूनी सर्वे के अनुसार नए चेहरे पर मन्थन जारी है, पूर्व विधायक भूरिया पैसा एक्ट ओर पिता दिलीप सिंह भूरिया के नाम पर एक बार फिर टिकिट की जुगाड़ में है। व्यक्तिगत रुप से निर्मला भूरिया के पास पार्टी निर्णय के आगे सिलेंडर करने के अलावा कोई रास्ता नही है।