शहीद भगवानलाल मिण्डकिया जी के शहादत दिवस पर तारखेड़ी में स्थित प्रतिमा पर माल्यार्पण किया
माही की गूंज, रायपुरिया/बनी।
"शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा"। झाबुआ जिले की तारखेडी की माटी के लाल शहीद भगवानलाल मिण्डकिया जी की 23 जुलाई को शहादत दिवस के अवसर पर तारखेड़ी में स्थित प्रतिमा पर प्रतिवर्ष सामाजिक संस्थाएं एवं समाजसेवी तथा देशभक्त याद करते हैं तथा श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। इस अवसर पर जिला समन्वयक पेसा एक्ट गौरसिंह कटारा तारखेड़ी पहुंचे तथा शहीद भगवानलाल मिण्डकिया जी की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। श्री कटारा ने बताया कि फौजी हमारे देश की आन, बान और शान है, हमें उनका मरते दम तक सम्मान करना चाहिए। आज देश यदि सुरक्षित है तो वह हमारे देश के जवान फ़ौजियों की वजह से है। शहीद भगवानलाल मिण्डकिया जी की जीवन के बारे में उन्होंने बताते हुए यह कहा कि आदिवासी अंचल के तारखेड़ी के जांबाज जवान भगवानलाल मिण्डकिया जी ने देशभक्ति से प्रेरित होकर सेना में नौकरी कर ली, तो हमारा ग्रामीण समाज गर्व से फुल्ला न समाया। त्रिपुरा स्टेट राइफल की सातवीं बटालियन में राइफलमैन के रूप में सीमा रक्षक थे। जब वह छुट्टियों में गांव आते थे, तो गांव वाले उसकी बहादुरी और बुलंद हौसलों से रोमांचित होते थे। 23 जुलाई 2004 की रात जब वह मुस्तैदी से गश्त लगाने में जुटे हुए थे, तभी अचानक दुश्मनों की गोलियां चली। उन्होंने बहादुरी से उनका मुकाबला किया, किंतु आतंकवादियों की एक गोली उनकी आंख के पास लगी और वह शहीद हो गए। मात्र 23 वर्ष की उम्र में अपने रक्त से मां भारती का अभिषेक कर भगवानलाल जी ने अपनी शहादत से हमें राष्ट्र के लिए जीने और मरने का संदेश दे दिया। इस अवसर पर ग्राम पंचायत तारखेड़ी के सरपंच प्रतिनिधि बादर जी, उपसरपंच कुलदीप लववंशी, जनसेवा मित्र दीपिका गवली, सामाजिक कार्यकर्ता राजेश मैडा, रोजगार सहायक सोहन मुणिया, आदि उपस्थित थे।