कृषि कॉलेज को लेकर अधूरी जानकारी ने खोली भाजपा की पोल, गूंज के सवालों में घिरे सांसद डामोर
पूर्व विधायक निर्मला भूरिया के कार्यकाल में आवंटित हो चुकी थी कृषि महाविद्यालय की भूमि
माही की गूंज, पेटलावद।
पेटलावद में रविवार को हुई भाजपा की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद जिले का राजनीतिक पारा बड़ा हुआ है। कांग्रेस और भाजपा के नेता अब एक-दूसरे के विरुद्ध बयानबाज़ी पर उतर आए है। सबसे ज्यादा बवाल पेटलावद के कांग्रेस के विधायक वालसिंह मेड़ा को सांसद गुमानसिंह डामर द्वारा अनपढ़ कहे जाने पर हो रहा है। सोमवार को पेटलावद में विधायक निवास पर हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर सांसद के अनपढ़ वाले बयान पर कड़ा एतराज जताते हुए विधायक वालसिंह मेड़ा ने इसे विधानसभा के ढाई लाख मतदाताओं का अपमान बताया। साथ ही भाजपा नेताओं पर अमर्यादित भाषा बोलकर झूठे आरोप लगाया। कृषि महाविद्यालय की सौगात और उसके ज्ञान के मामले में पेटलावद विधानसभा के अनपढ़ विधायक भाजपा के ईएनसी सांसद पर भारी पड़ गया।
2015 में भाजपा विधायक निर्मला भूरिया के कार्यकाल में आबंटित हो चुकी भूमि
माही की गूंज की और से प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्षेत्र की वर्षो पुरानी मांग कृषि महाविद्यालय को लेकर सवाल किया गया था। क्षेत्र के विधायक वालसिंग मेड़ा ने एक साक्षतात्कार में कृषि महाविद्यालय नही बनने के लिए भाजपा की सरकार को जिम्मेदार बताते हुए 15 माह की कांग्रेस सरकार के दौरान कृषि महाविद्यालय को बजट में लेने की मांग करने का दावा किया था। कृषि महाविद्यालय को लेकर आधी-अधूरी जानकारी के साथ सांसद डामोर ने विधायक के दावे को कागजो पर दिखाने की बात कहकर खारिज कर दिया था और अलग से कृषि महाविद्यालय की आवश्यकता नही होने की बात कहकर महाविद्यालय पेटलावद में ही साइंस विषय की तरह कृषि विषय जोड़ने की बात कही थी। इस बयान के बाद हमने पड़ताल की तो जो दस्तावेज सामने आए वो चौका देने वाले निकले, क्योंकि सांसद डामोर को ये पता ही नही था कि, वर्ष 2015 में ही बरवेट रोड पर पूर्व विधायक निर्मला भूरिया के कार्यकाल में कृषि महाविद्यालय के लिए भूमि आबंटित की जा चुकी है। विधायक वालसिंग मेड़ा ने इस पूरी कार्यवाही के प्रमाणित दस्तावेज उपलब्ध करवाए। हालांकि विधायक मेड़ा 15 माह की सरकार या उसके बाद कृषि महाविद्यालय के लिए मांग करने का कोई दस्तावेज उपलब्ध नही करा पाए पर वालसिंग मेड़ा का कहना है कि, हमारी सरकार कृषि मंत्री और प्रभारी मंत्री को मांग कर प्रथम बजट में ही इसको स्वीकृत करने की मांग की थी। कृषि महाविद्यालय को लेकर सामने आए दस्तावेजों के बाद भाजपा के अधूरे ज्ञान की पोल खुल गई, खुद निर्मला भूरिया जिनके कार्यकाल में भूमि आबंटित की थी वो भी इस मुद्दे पर पार्टी की ओर से सही पक्ष नही रख पाई। जिससे साफ है कि, भाजपा के स्थानीय नेतृत्व की लापरवाही ओर अनदेखी के कारण क्षेत्र को कृषि महाविद्यालय की बडी सौगात से वंचित होंना पड़ा।
पढ़े लिखे सांसद खा गए गच्चा
पूरे प्रदेश के एक विभाग के सबसे उच्च पद पर रह चुके सांसद डामोर अनपढ़ विधायक के सामने गच्चा खा गए। कृषि महाविद्यालय को लेकर गूंज के सवाल पर जो जबाब सांसद की और से आया उसके हिसाब से वो मेडिकल कॉलेज में ही इंजीनियरिंग पढ़ाने का दावा करते नजर आए। मतलब महाविद्यालय में कृषि विषय पढ़ाकर अलग से कृषि महाविद्यालय की आवश्यकता को नकार दिया, लेकिन ये किसी भी रूप में संभव नही कि कृषि महाविद्यालय भी मेडिकल महाविद्यालय के तरह होता है जहाँ हर प्रकार की कृषि के बारे में बताया, पढ़ाया जाता है और उसके प्रैक्टिकल के लिए पर्याप्त भूमि की आवश्यकता होती है जो कि, वर्तमान महाविद्यालय में न ही पर्याप्त भवन ओर जगह नही है ।
कृषि महाविद्यालय हेतु आबंटित भूमि का प्रकरण राजस्व में दर्ज, भूमि अधिग्रहण तक पहुच चुकी थी प्रक्रिया
कृषि महाविद्यालय, कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय की स्थापना हेतु कलेक्टर झाबुआ ने प्रकरण क्रमांक 68/अ-19 (3)/ 2014-15 को जारी आदेश में झाबुआ के पेटलावद ग्राम की खसरा कमांक 43 की कुल रकबा 60.53 हैक्टेयर भूमि महाविद्यालय की स्थापना हेतु आंवटन करते हुए तहसीलदार पेटलावद से भूमि कब्जा प्राप्ति सशर्त करने हेतु आदेश जारी किया गया। जिसके पालन दिनांक 7 नवम्बर .2015 को समिति द्वारा स्थल निरिक्षण कर सम्पूर्ण बिन्दुओं ,पहलुओं के आधार पर प्रतिवेदन प्रदान करने हेतु इन्दौर से जावेगी जो केन्द्र पर पंहुचकर राजस्व टीम के साथ मौका मुआयना कर तहसीलदार पेटलावद एवं सर्कल राजस्व निरिक्षण तथा हल्का पटवारी को सूचित कर आगामी कार्यवाही निश्चित करने का आदेश का किया गया था। जिसके बाद कुलससचिव, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के पत्र क्रमांक 208 दिनांक 27 अप्रैल 2015 से विश्वविद्यालय ने आदिवासी जिलो में कृषि महाविद्यालय स्थापित करने हेतु कृषि कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के माध्यम से मध्यप्रदेश शासन से 50 हैक्टेयर भूमि की मांग की गई थी। मध्यप्रदेश शासन, राजस्व विभाग के जरिये कलेक्टर झाबुआ द्वारा इस हेतु भूमि चयनित कर तहसीलदार पेटलावद से योग्य भूमि प्रदान करने हेतु चयनीत भूमि का सम्बंधित हल्का पटवारी हिम्मत सिंह देवलिया हल्का पटवारी कमांक 5 पेटलावद से प्रस्तावित कृषि महाविद्यालय पेटलावद जिला झाबुआ हेतु भूमि का मौका जांच प्रतिवेदन प्राप्त कर विधिवत् विज्ञप्ति प्रकाशित करवाकर आपत्ति के अभाव में कलेक्टर झाबुआ ने दर्ज प्रकरण क्रमांक/68/अ - 19(3) 2014-15 में दिनांक 3 नवम्बर 2015 से जारी आदेश पृष्ठांकन कमांक 1113 दिनांक 3. नवम्बर 2015 से ग्राम पेटलावद की शासकीय भूमि खसरा कमांक 43 कुल रकबा 60.53 हैक्टेयर भूमि आंवटित सशर्त की होकर उसे अधिग्रहित करने के पूर्व विश्वविद्यालय की ओर से अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय, इन्दौर द्वारा बनायी गई समिति से मौका प्रतिवेदन मांगा जाने पर दिनांक 7नवम्बर.2015 को जांच समिति दल ने तहसीलदार पेटलावद से सम्पर्क कर हल्का नम्बर 5 पटवारी हिम्मत सिंह देवलिया के साथ भूमि का अवलोकन किया। मौके पर भूमि की स्थिति का अवलोकन किया विश्वविद्यालय द्वारा कृषि महाविद्यालय स्थापना हेतु भूमि बहुत ही उपयोगी , उपजाऊ एवं श्रेष्ठ पायी गई। भूमि के पास ही तालाब बना होकर जल नहर से सिंचाई की जाने का अवलोकन भी किया। भूमि के पूर्व में तालाब है तथा पश्चिम में प्रस्तावित अस्पताल है जबकि उत्तर में हाउसिंग डेवलमेंट बोर्ड को आंवटित भूमि होकर दक्षिण में दूसरे गांव अंनतखेडी की सीमा है। भूमि पेटलावद से मात्र 1.7 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। भूमि विश्वविद्यालय के अन्तर्गत महाविद्यालय की स्थापना हेतु अति उत्तम एवं योग्य है। इस भूमि के सम्बंध में दस्तावेजी अवलोकन अत्यन्त ही गूणता से करने पर निम्न स्थिति उत्पन्न हुई है। पूरी प्रक्रिया सामने आने के बाद रिटायर्ड ईएनसी सांसद की भाजपा की भारी किरकिरी हो रही है।
कृषि महाविद्यालय की भूमि आबंटन के सम्बंध में प्रमाणित दस्तावेज।