माही की गूंज, झाबुआ।
सत्र न्यायालय झाबुआ के अधिष्ठाता एवं सत्र न्यायाधीश श्री लखनलाल गर्ग द्वारा सत्र प्रकरण क्रमांक 10/2022 में दिनांक 19 जुलाई 2023 को पारित निर्णय अनुसार ग्राम बिसौली निवासी जामसिंह पिता जोगड़िया, क्रिश्चन अनसिंह पिता गलिया क्रिश्चन तथा मंगू पिता मेहताब क्रिश्चन को म.प्र धार्मिक स्वतंत्रता अध्यायदेश 2020 ( विधेयक 2021 ) की धारा 5 के अपराध का दोषी करार देते हुए दो-दो वर्ष सश्रम कारावास एवं 50,000/- रू. अर्थदण्ड से दण्डित किया गया ।
अभियोजन का प्रकरण संक्षिप्त में इस प्रकार है कि आवेदक टेटिया पिता हरू बारिया उम्र 26 वर्ष निवासी ग्राम बिसौली द्वारा आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया कि मेरे गाँव में फादर जामसिंह पिता जोगड़िया डिडोर निवासी ग्राम बिसौली, मंगू पिता मेहताब भूरिया निवासी ग्राम मोकमपुरा, पास्टर अनसिंह पिता गलिया निनामा निवासी ग्राम बिसौली हर रविवार को आदिवासी जाति के लोगों का धर्मान्तरण करवाता है। जामसिंह पिता जोगड़िया द्वारा बनाये गये प्रार्थना घर ग्राम बिसौली में साप्ताहिक सामूहिक धर्मान्तरण की सभा में मुझे और श्रीमती सुरती बाई पति कोदरिया ग्राम बिसौली को दिनांक 26 दिसबर 2021 को सुबह लगभग 8.00 बजे जामसिंह ने बुलाया और ईसाई धर्मान्तरण की सभा में बिठाया और मेरे उपर जल छिड़काव किया गया और बाईबिल पढ़ी गई मुझे कहा गया कि तु ईसाई बन जाओगे तो तुम्हारे पुरे परिवार को स्कूल में शिक्षा और हमारी संस्था के अस्पताल में फी ईलाज मिलेगा तो मैने कहा कि मुझे ईसाई नहीं बनना है। यह कहकर फरियादी बाहर आ गया। उक्त घटना की रिपोर्ट पर आरोपी जामसिंह मंगू एवं अनसिंह के विरूद्ध प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विवेचना आरोपीगण के मेमोरेण्डम के आधार पर उनके पेश करने पर बाईबिल, अंकसूची, शपथ-पत्र आरोपी अनसिंह से एक स्टील का लोटा जप्त कर पंचनामे बनाये, गवाहों के कथन लेखबद्ध किये गये। विवेचना में आरोपीयों का अपराध म.प्र. धार्मिक स्वतंत्रता अध्यायदेश 2020 ( विधेयक 2021 ) की धारा-5 आवश्यक विवेचना उपरान्त पाये जाने पर अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
माननीय न्यायालय द्वारा अभियोजन की ओर से परिक्षित साक्ष्य को विश्वसनीय व प्रमाणिक मानकर आरोपियों को कठोर कारावास एवं अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। अभियोजन की ओर से प्रकरण का संचालन मानसिंह भूरिया लोक अभियोजक द्वारा किया गया एवं प्रकरण का अनुसंधान सहायक उपनिरीक्षक प्रेमसिंह परमार द्वारा किया गया।