
पहले नाबालिग का अपहरण कर आरोपी ने बनाया था एक माह तक बंधक
माही की गूंज, झाबुआ।
वैसे तो मध्यप्रदेष के पष्चिमी छोर पर बसे अति पिछड़े आदिवासी जिले में शादी के नाम पर नाबालिगों का अपहरण होना आम बात है। वर्षों से सरकारें और प्रषासन इस स्थिति में बदलाव लाने की झूठी कवायदें भी कर रहा है। सरकारें आदिवासियों के नाम पर करोड़ों के वारे न्यारे कर रही है मगर बावजूद इसके झाबुआ जिले की स्थिति ढाक के तीन पात ही साबित होती नजर आ रही है। कानून व्यवस्थाओं का भी इतना ही बुरा हाल जिले में है। आए दिन कोई ना कोई मामला सुर्खियों में आ ही जाता है कि पुलिस ने एफआईआर न करते हुए सिर्फ आवेदन की मांग की। ऐसे सैकड़ों मामले होंगे जहां इस तरह की बात सामने आती है। फरियादी की रिपोर्ट लिखने के बजाय पुलिस या तो आवेदन देेने को कहती है या फिर भांजगड़ी करने की सलाह। उस पर भी सितम यह कि फरियादी को भांजगड़ी का हिस्सा भी पुलिस के मुंह में ठूंसना पड़ता। मतलब जो फरियादी प्रताड़ित और आहत होकर पुलिस के पास पहुंचता, वह प्रताड़ना से बचता नहीं बल्कि और अधिक प्रताड़ित होता या किया जाता। यहां आरोपियों को सीधे तौर पर भांजगड़ी कर बचा लिया जाता। अक्सर यह सारी कहानियां लड़कियों के अपहरण वाले मामलों में ज्यादा देखी जाती रही है।
ऐसा ही एक मामला झाबुआ जिले की ग्राम पंचायत उमरकोट के ग्राम उकारा का सामने आया है। ग्राम उकारा निवासी कोदरिया अरड़ की पुत्रि सन 2021 के आखिर में गुजरात मजदूरी करने के लिए गई थी। गुजरात से मजदूरी कर लौटते समय 11/01/2022 को कुछ लोगों द्वारा उसका अपहरण कर लिया जाता है। परिजनों के अनुसार लड़की अभी नाबालिग है। इस अपहरण की खबर लगते ही लड़की के पिता कोदरिया ने पुलिस चौकी उमरकोट में नामजद रिपोर्ट दर्ज करवाने की कोषिष की, लेकिन चौकी पुलिस द्वारा रिपोर्ट ना लिखते हुए कोदरिया से आवेदन की मांग की गई। कोदरिया द्वारा आवेदन देने के बावजूद उसे उमरकोट चौकी से किसी तरह की प्राप्ती रषीद भी नहीं दी गई।
अपहरणकर्ता उसे पत्नी बनाने के नाम अगवा कर उसकी मर्जी के बगैर ले गया और बंधक बनाकर रखा। उसने लगातार नाबालिग लड़की से मारपीट करते हुए लगभग एक माह तक बलात्कार किया। कुछ समय बाद लड़की अपहरणकर्ता से बचकर निकलने में कामयाब हो गई है और अपने घर पहुंचकर अपनी आप बीती बताई।
कोदरिया की पुत्री अपने परिजनों को बताती है कि कैलाष पिता अर्जुन गुंडिया भील निवासी पिटोल ने गुजरात से लौटते समय उसका अपहरण कर लिया था और पत्नी बनाने का कहकर जबरदस्ती अपने साथ ले गया। वह रोज मुझसे मारपीट कर बलात्कार करता रहा। कैलाष की पहले से ही एक पत्नी और बच्चे भी है। मैं उसके साथ नहीं रहना चाहती।
अब कोदरिया की पुत्री उसके घर पर है, लेकिन आरोपी कैलाष व उसके परिजन आए दिन कोदरिया को धमकाने लगे। वह कोदरिया को फोनकर जान से मारने की धमकी देते हुए कहते कि लड़की को हमारे हवाले कर दे। कोदरिया अपनी बेटी की मर्जी ना होने का हवाला देता रहा, लेकिन बात नहीं बनी। आरोपियों ने मामले को और आगे बढ़ा दिया।
इसी रंजीष को लेकर आरोपी कैलाष और उसके परिजन गुरूवार तड़के 5.30 बजे के करीब बोलेरो वाहन से घातक हथियारों से लेष होकर कोदरिया के घर गांव उकारा पहुंच गए। आरोपी कोदरिया के घर में घुसे और गाली-गलोच करते हुए झगड़ा -फसाद करने लगे। आरोपियों ने अपने साथ लाए हथियारों से कोदरिया के परिवार पर हमला कर दिया। हमले से बचने के लिए कोदरिया का परिवार वहां से भाग निकला। कोदरिया का पुत्र इंदरसिंह बताता है कि अगर हम घर छोड़कर ना भागते तो वे लोग हमें जान से ही मार डालते। इंदर बताते है कि परिवार के सभी सदस्य अपनी जान बचाकर भागे, लेकिन उसके पिता कोदरिया अरड़ बुजुर्ग होने के कारण वहां से नहीं भाग सके। आरोपी कैलाष व उसके साथियों ने उन्हे जबरदस्ती पकड़कर बोलेरो वाहन में बैठा कर अपहरण कर अपने साथ ले गए।
इंदर बताता है कि आरोपीगण झगड़ा-फसाद करने और मेरी बहन को फिर से अपहरण कर ले जाने आए थे। लेकिन वह आरोपियों के हाथ नहीं लगी तो कैलाष और उसके साथी मेरे पिता कोदरिया को ही अपहरण कर ले गए। जाते-जाते वे पूरे परिवार को धमकाते हुए गए है।
इस पूरी घटना को लेकर इंदरसिंह पिता कोदरिया अरड़ जिला मुख्यालय पर पुलिस अधीक्षक से मदद मांगने पहुंचा था। इंदर ने पुलिस अधीक्षक के नाम दिए आवेदन में अपनी पूरी व्यथा बताई है, लेकिन पुलिस अधीक्षक की अनुपस्थिति में उसे आवक-जावक में आवेदन देकर ही संतोष करना पड़ा। इंदरसिंह ने आवेदन में पुलिस अधीक्षक से अपने पिता को आरोपियों से छुड़वाने की मांग की है। वह बताता है कि मेरे परिवार और पिता को आरोपियों से जान का खतरा बना हुआ है।