विभाग में पदस्थ बामनिया मेडम हिग्रहियों को पढ़ा रही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(d) का पाठ
समान लेने गए हितग्राही को लौटाया खाली हाथ
माही की गूंज, पेटलावद।
सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों का अपनी जवाबदेही से पल्ला झाड़ लेना अब कोई नई बात नही रह गई है। आए दिन सरकारी अधिकारी-कर्मचारी द्वारा आम लोगो पर अपना रुबाब झाड़ने के ऐसे कई वाक्ये देखने व सुनने को मिल जाते है जिनमे आखिर मन मसोसकर आम व्यक्ति को झुकना पड़ता है। ऐसा ही एक मामला पेटलावद में सामने आया है।
पेटलावद के सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग द्वारा 2021 में दिव्यांगों के लिए शिविर का आयोजन करवाया गया था तो अस्त-व्यस्त व्यवस्था के चलते देर रात तक चला था। जिसमे दिव्यांगों का पंजीयन कर अलग-अलग सामग्री वितरित करने की बात कही गई थी। आयोजन हुआ समय बिता और सभी दिव्यांग इसे भूले ही थे कि फिर एक ओर आयोजन 2023 हुआ और आदत से मजबूत अधिकारी-कर्मचारियों ने फिर वही बात दोहराई। जिसके बाद 2023 में कुछ माह पूर्व कुछ सामान आया और कुछ को ही वितरित किया गया। जिसके बाद न बोल पाने वाले, सुनसने में असमर्थ, मंदबुद्धि, हाथ व पेर से शारिरिक रूप से दिव्यांग बच गए जिन्हें समान नही मिला।
राम भरोसे विभाग
ऐसे ही बचे हुए दिव्यांगों को आज 2 जून को समान का वितरण किया गया वह भी आधा अधूरा। जो समान दिए गए उनमे तीन पहिया सायकिल, बैसाखी, व्हीलचेयर दी गई। इसके बाद भी न बोल पाने वाले, सुनसने में असमर्थ, मंदबुद्धि, हाथ व पेर से शारिरिक रूप से दिव्यांग बच गए जिनका समान अब तक नही आया। जिन्हें पंचायतो के सचिव-सरपंच ने फोन कर पेटलावद बुलाया मगर बेरंग खाली हाथ उन्हें लौटना पड़ा।
मेडम ने दिखाया अपना रुबाब
समान लेने व देने के इसी क्रम में ऐसे दिव्यांगों को भी बुलाया जिनका समान आया ही नही था। जिस समान का कोड TD OL 01 - एडीएल किट था, जिसके बारे में पूछने पर उक्त स्थल पर उपस्थित कनिका बामनिया मेडम (एक सरपंच द्वारा बताया गया नाम) ने अपना अधिकारीयों वाला रुबाब झड़ते हुए कहा, तुम्हे यहां नही बुलाया है, तुम यहा क्यो आये हो, तुम्हारा यहां कोई काम नही।
जब उनसे पूछा गया कि, जब समान ही नही आया तो हमे यहां बुलाया क्यों...?
जिस पर बामनिया मेडम के तेवर गर्म हो गए और कहा, ज्यादा बहसबाजी मत करो तुम्हारा समान नही आया है। तुम्हारा समान इतना भी बड़ा नही है। वहीं मेडम के सहायक ने भी कहा, बहसबाजी मत करो वरना अच्छा नही होगा।
जिस पर हितग्राही दिव्यांग ने कहा, बहसबाजी नही कर रहे मेडम जवाब मांग रहे है कि समान नही आया तो बुलाया क्यो...? और रही बात समान के छोटे या बड़े होने की तो वो चाहे 5 रुपए का हो या 5 हजार का हो, आपका फर्ज बनता है हितग्राहियों को देना।
जिसके बाद कनिका बामनिया ओर उनका सहायक जवाब देने से कतराते रहे। वहीं बातचीत में पता चला कि, अभी भी ऐसे कई दिव्यांग बचे है जो सुनने, बोलने आदि में असमर्थ है व अभी भी अपने सामान की राह ताक रहे है। लेकिन उक्त वाक्ये से साफ पता चलता है कि, इनके कानों में जूं भी नही रेंग रही है। महीने की तनख्वाह समय पर मिल जाती है जो समान आता है बांट देते है, बाकी विभाग के नाम मे जो "कल्याण" शब्द है उससे इनका कोई लेना-देना नही है।
बिना बीमा की गाड़ी चला रही रुबाबी मेडम
समान नही मिलने के बाद हताश होकर दिव्यांग जब बाहर आया तो उसने मेडम से उनका नाम पूछा। जिस पर मेडम ने कहा, तू इतना बड़ा हो गया है कि मुझे नाम से बुलायेगा।
जिसके बाद वहां उपस्थित सरपंच से पूछा कि मेडम का नाम क्या है तो उन्होंने बताया, इनका नाम कनिका बामनिया है।
वही जब दिव्यांग ने उस गाड़ी नंबर से गाड़ी के बारे में आरटीओ विभाग की वेबसाइट से जानकारी निकाली जिस पर मेडम सवारी कर आई थी, तो गाड़ी पुष्पलता बामनिया निवासी रामा के नाम पर रजिस्टर थी। साथ ही चोंकाने वाली एक बात यह भी पता चली की मेडम जिस गाड़ी का उपयोग करती है उसका बीमा 3 फरवरी 2018 को ही समाप्त हो चुका है। अब मेडम खुद के समान का ही ध्यान नही रख पा रही है तो दूसरों के समान का कैसे ध्यान रखेगी यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
बिना बीमा वाली गाड़ी की सवारी करती है रुबाबी मैडम