बांग्लादेशी घुसपैठिये ने आखिर कैसे बनाए फर्जी दस्तावेजटी, यह है जांच का विषय
माही की गूंज।
देश के गृहमंत्री ने कहा था किए शरणार्थी अपनी पहचान छुपाता नहीं है और घुसपैठिया अपनी पहचान छुपाता है। हमें शरणार्थियों को नागरिकता देना है तथा घुसपैठि, की पहचान कर उन्हें देश के बाहर निकालना है।
देश के सीमावर्ती राज्यों में घुसपैठियों की घुसपैठ को तो हम मान सकते हैं किए वे सीमा पार से अवैध रूप से घुसकर भारत में रहने लगे हैं। लेकिन देश के ह्नदय प्रदेश के पश्चिम में स्थित झाबुआ जिले के गांवों में अवैध रूप से घुसपैठ कर बिना रोक.टोक भोले.भाले आदिवासियों को इलाज के नाम पर गुमराह कर रहे तथाकथित बांग्लादेशी बंगाली डॉक्टरों का सरगना थांदला जनपद के ग्राम खवासा में पिछले 15.16 वर्षों से रह रहा है। बांग्लादेशी घुसपैठिये अजीत राय के द्वारा अपने पुत्र को लॉकडाउन के दौरान इंदौर से लाने के बाद भी तहकीकात में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। मूलतः बांग्लादेश के रहने वाले इस स्वयंभू फर्जी डॉक्टर ने तमाम चालें चली जोए संवैधानिक दृष्टि से उचित नहीं है। यह कार्य सामान्य आदमी का हो ही नहीं सकताए किसी शातिर दिमाग का ही हो सकता है। जिसके बाद गूंज ने शातिर की शैतानियत की तहकीकात शुरू की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
रतलाम जिले के बाजनाए शिवगढ़ आदि गांव में रहने के पश्चात इस फर्जी डॉक्टर ने खवासा में कदम रखा और खवासा में किराए के मकान में अपनी अवैध दुकानदारी (डॉक्टरी) चलाने लगा और जालसाजी के साथ कुछ लोगों में अपने झूठे व्यवहार से पहचान बनाने लगा। साथ ही इलाज के नाम पर गरीब आदिवासियों से जमकर रुपए ऐंठने लगा। यही नहीं कुछ ही वर्षों में इसने खवासा में जमीन लेकर स्वयं का मकान भी बना लिया। अब सवाल यह उठता है किए उसने किस आधार पर बांग्लादेशी होकर पंचायत के पंजीयन रजिस्टर में अपने साथ अपने परिवार व बांग्लादेशी रिश्तेदारो के नाम पंजीबद्ध करवाए। इस दौरान वोटर आईडीए राशन कार्ड, आधार कार्ड व पासर्पोट तक भारतीय मूल के बनवा लिए। उक्त प्रक्रिया जिसके लिए नियमानुसार जन्म प्रमाण.पत्र, शाला स्कॉलर पंजीयन प्रमाण.पत्र, मूल निवासी प्रमाण.पत्र, जाति प्रमाण.पत्र, अनापत्ति प्रमाण.पत्र आदि पुख्ता दस्तावेजों की आवश्यकता पड़ती है। यही नहीं इस तथाकथित डॉक्टर ने अपने बच्चों की पढ़ाई यहीं से करवाई और उसके लिए इन दस्तावेजों को कहां से बनवाया गया होगा? साथ ही स्वयं ने भी फर्जी दस्तावेजों के साथ होम्यो इलेक्ट्रोपेथी की फर्जी डिग्री लेकर एमबीबीएस की तरह ऐलोपेथिक व डेन्टल चिकित्सक बन दांतों का ईलाज कर रहा है। इसी प्रकार कई बांग्लादेशी को दलालों के माध्यम से घुसपैठ करवाकर भारत लाया और कइयों को अपने फर्जी क्लीनिक को ट्रेनिंग सेन्टर बनाकर वहा प्रेक्टिस करवाकर उनको भी फर्जी डिग्री दिलवाकर अंचलों में स्थापित करवाया।
वर्तमान में भी हमारे सूत्र अनुसार पल्ब मंडल व ओपू सरकार नाम के दो युवक को बांग्लादेश से भारत में घुसपैठ कर कुछ माह पूर्व लाया और उनको फर्जी रूप से अपने फर्जी सेंटर पर प्रेक्टिस करवा रहा है वरन उनके भी भारतीय मूल के फर्जी दस्तावेज बनाने की प्रक्रिया में लगा है। यानी अभी की स्थिति में उक्त दोनों बांग्लादेशी युवकों के पास भारतीय मूल के फर्जी दस्तावेज नहीं है पर शासन.प्रशासन ने कार्रवाई अभी नहीं की तो तय है लाॅकडाउन खुलने के बाद जल्द ही इनके भी फर्जी दस्तावेज अन्य के फर्जी दस्तावेज की तरह बनवा लेगा।
मामला उजागर होने के बाद भी खतरे मे डालने का किया प्रयास
इतना ही नहीं गूंज के विशेष सूत्र अनुसार 9 अप्रैल को होम क्वारंटाइन के समय अजीत राय के बांग्लादेशी दामाद शामल की मां नमिता पति तुसार पोते (गुड्डु) जिसकी उम्र 9 अप्रैल को क्वारंटाइन के समय 23 दिन की थीए के जन्म के पूर्व ही बांग्लादेश से बांग्लादेश के ही पासर्पोट पर आई थीए जो 9 अप्रैल को अजीत राय के घर में ही थीए लेकिन उसको घर में छुपाकर रखा और होम क्वारंटाइन के समय जब पुलिस ने घर में रह रहे सदस्यों की जानकारी लीए उस समय पुलिस को नमिता का नामए उसी घर में होने के बाद भी उजागर नहीं किया गया। इतना ही नहीं जब स्वास्थ्य टीम कोरोना के सेम्पल एवं स्वास्थ्य जांच हेतु पहुंची तब भी अपनी समधन को घर में छुपा रखा तथा उसकी जांच भी नहीं करवाई।
अजीत राय ने किस तरह से अपने शातिर दिमाग के साथ प्रशासन के निर्देशों की अवहेलना कर बांग्लादेश में जन्म हुए पुत्र को लाॅकडाउन के दौरान से इंदौर लाया और गूंज के कारण मामला उजागर होने के बाद भी अपने शातिर दिमाग के पासे फेंक कर अपनी बांग्लादेशी समधन की पहचान छुपाकर पुलिस व प्रशासन को गुमराह किया वरन इस संक्रमण काल में सभी को खतरे में डालने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
प्रशासन को चाहिए कि इन घुसपैठियों के कारण हमारे देश की सुरक्षा के साथ ही आम लोग से भी खिलवाड़ किया जा रहा है। जिनके विरुद्ध सख्त कार्यवाही के साथए उनकी संपत्ति को जब्त कर उन्हें जेल की सलाखों में नहीं डाला गया तोए तय है आने वाले समय में ये देश के लिए बड़ा खतरा साबित होंगे।
माही की गूंज में बांग्लादेशी अजीत राय की हकीकतें प्रकाशित होने के बाद वह ऐसा बौखला रहा है किए आखिर वह करें तो क्या करें और बांग्लादेशी घुसपैठिया अपनी ही बिरादरी के कुछ लोगों की मध्यस्थता के साथ परिचितों के माध्यम से माही की गूंज की इस कलम को प्रलोभन देकर खरीदने का प्रयास भी कर रहा हैंए परंतु यह कलम एक सच्चे भारतीय की कलम है। हमारे देश की व्यवस्थाओं को धूमिल करने का प्रयास करए देश को खतरे में डालने वाले ये घुसपैठिये चाहे इनकी जीवन भर की कमाई ही हमारे कदमो में न्यौछावर क्यों न कर देए पर इस कलम को खरीद पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।
यह पैनी कलम आमजन एवं देशहित के लिए चलती है और हमारी जान पर ही क्यों न बन आए फिर भी यह कलम सदैव इसी तरह चलती रहेगी।
बांग्लादेशी सरगना अजीत राय की कारस्तानियों का कच्चा चिठ्ठा
निरंतर...