
शहीद स्मारक की उपेक्षा कर लाइंस क्लब उद्यान बताकर क्या दर्शा रहा जिला प्रशासन
माही की गूंज, पेटलावद।
इन दिनों नगर की सरकारी सम्पत्तियों पर नामकरण कर निजी संस्थाओं का नाम चिपकाने का कार्य जोरो पर है। एक के बाद एक सुनी और गैर उपयोगी सरकारी संपत्तियों पर निजी संस्थाओ की नजर लगी हुई है। ऐसे में विगत दिनों कलेक्टर के पेटलावद दौरे के बाद फेशबुक के पीआरओ पेज पर पोस्ट डलती है, जिंसमे जिला कलेक्टर रजनींसिंह द्वारा पेटलावद के तहसील कार्यालय के सामने बने बगीचे का अवलोकन किया। इस दौरान एसडीएम अनिल कुमार राठौर भी उपस्थित थे। दौरे के बाद पीआरओ द्वारा पेज पर कलेक्टर के दौरे के फ़ोटो शेयर करते हुए राजस्व विभाग की भूमि पर बने उद्यान को लायंस उद्यान लिखा गया जो बहस का विषय बन गया है। कलेक्टर राजनिसिह से इस विषय मे जानकारी ली तो उन्होंने मामले को घुमाते हुए लांइस शब्द का दूसरा मतलब बता दिया। साथ ही साथ मे क्लब लिखा नही होना बताकर मामले को घुमा दिया।
शहीद स्मारक को भूल कर निजी संस्थाओ के नाम लिखवाए जा रहा है
उक्त बगीचे को लेकर लम्बे समय से राजनीति होती आई है जितनी भी नगर परिषद, नगर में आई सभी ने राजस्व की इस भूमि पर मार्केट बनाने की कोशिश की लेकिन कोई राजस्व के अधिकारियों ने यहां किसी को मौका नही दिया। लेकिन पूर्व एसडीएम शिशिर गेमावत ने गार्डन बने शहीद स्मारक के जीर्णोद्धार के नाम परिवार विशेष का पत्थर स्मारक पर लगवा दिया थां जिसे विरोध के बाद हटाकर स्मारक के आगे लगा दिया गया जो आज भी नियम विरुद्ध कायम है। वही बगीचे का एक कोने का बाहरी हिस्से में लाइंस क्लब के जल मन्दिर बना हुआ था जिसमे कभी लोगो को प्यास बुझाते नही देखा गया। क्लब के सदस्यों ने नगर और गार्डन को खूबसूरत बनाने के नाम पर गार्डन के अंदर जल मन्दिर बना कर खुद का नाम करण कर दिया। जबकि बहारी हिस्से मतलब पुराने जल मन्दिर को कमरे में परिवर्तित कर दिया। जिसका भविष्य में उपयोग होना है। रही कही कसर कलेक्टर मेडम के पीआरओ पेज पर पूरी हो गई, जहा शहीद स्मारक जैसी पुरानी पहचान को भुलाकर बगीचे को लाइंस का नाम दे दिया। नगर में चर्चाओ का दौर शुरू हो चुका है कि, कही अधिकारीयो ने क्लब के साथ कोई मिलीभगत कर इस बेशकीमती भूमि को ठिकाने लगाने की योजना तो नही बना डाली। जिसके तहत शहीद स्मारक की भूमि को लाइंस उद्यान बताया गया।
बगीचे के डवलपमेंट से लाइंस का कोई लेना-देना नही
नए एसडीएम अनिल कुमार राठौर ने आने के बाद बेकार पड़े इस बगीचे के उद्धार का बीड़ा उठाया और प्रशासनिक सहायता से लगातार बगीचे को सुंदर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। जिसकी प्रसंशा हो रही थी, लेकिन कलेक्टर के दौरे के बाद जिस तरह से बगीचे का नाम करण किया गया, उससे एसडीएम अनिल राठौर की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे है कि, अगर ये गलती हुई है तो इसका सुधार क्यों नही किया गया। और कलेक्टर के निरक्षण के दौरान किसने बगीचे को लाइंस उद्यान बताया। इस विषय मे हमने एसडीएम अनिल कुमार राठौर से चर्चा करनी चाही, लेकिन कोई जबाब उनकी ओर से नही मिला।
पीआरओ के पेज पर कलेक्टर के दौरे के फ़ोटो के साथ एसडीएम कार्यालय के सामने के बगीचे को लाइंस उद्यान बताया।
बगीचे में बना शहीद स्मारक जिसकी उपेक्षा कर लाइंस उद्यान बताया गया।