जयस की और युवा चेहरे भर रहे मैदान में उतरने का दावा, भाजपा-कांग्रेस के टिकिट लेकर मैदान में उतरने पर फोकस
माही की गूंज, पेटलावद।
विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर इस बार जो चर्चा है वो सीधे मुकाबले की न होकर त्रिकोणीय मुकाबले की हो रही है। जिसका मुख्य कारण जय आदिवासी संगठन जयस जो पिछले चार से पांच वर्षो से लगातार सक्रिय है। सरकार के हर संभव प्रयासों के बाद भी जयस अब मजबूत संगठन बनकर दोनों मुख्य दलों के समक्ष खड़ा हो गया है। हलाकि वर्तमान स्थिति में जयस के नाम पर सीधे मैदान में उतरने वाले प्रत्याशी जीतेगा ये तो तय नही है पर चुनाव परिणाम प्रभावित होंगे ये तय है। लगातार जयस संगठन सहित आदिवासी संगठन के माध्यम कई युवा विधानसभा में उतरने का दावा कर रहे है, जो अपने आप मे संगठन की मजबूती का अहसास विपक्षियों को करवा रहा है। संगठन की सबसे बड़ी कमजोरी दो से तीन भागों में बटा होना जिसके चलते एक नाम पर सहमति बन पाना मुश्किल लग रहा है वही दूसरी ओर कुछ दावेदार ये भी चाहते है की उनको मुख्य दलों से मौका मिल जाये ।
परिवर्तन और युवा चहरे की मांग, कई युवा कर रहे है दावा
बात करे जयस संगठन की और से मैदान में उतरने की तो ज्यादातर दावेदार युवा है, जो लगातार क्षेत्र में हर आयोजन के साथ-साथ देश भर में आदिवासीयो के साथ होने वाली घटनाओं के विरोध और समर्थन में मैदान में नजर आते रहे है। वही सामाजिक स्तर पर होने वाले आयोजनों के साथ-साथ, जगह-जगह आदिवासी महापुरुषों की गाता स्थापना में बड़ी संख्या में युवा संगठन से जुड़कर साथ हो गए। वही समाज के कई नोकरी पेशा कार्मचारी और अधिकारी भी खुलकर आर्थिक सहयोग कर रहे है। इसी ताकत ओर हिम्मत के दम पर विधानसभा 2023 के मैदान में उतरने का दावा किया जा रहा है। जिन युवाओं पर संगठन और राजनीतिक दलों की नजर है उसमें मोहनकोट क्षेत्र से प्रकाश डामर है, जो जयस के राष्ट्रीय संरक्षक हीरालाल अलावा से सीधे संपर्क में है और विधानसभा से टिकिट मांग रहे है। चुनाव मैदान में वो सीधे या किसी राजनीतिक दल की टिकिट पर उतरेंगे वो हीरालाल अलावा तय करेंगे। वार्ड क्रमांक 13 से जिला पंचायत चुनाव में कड़ी चुनोती पेश करने वाले ईश्वर गरवाल भी संगठन से उम्मीद कर रहे है कि उनको मौका दिया जाए, लेकिन ईश्वर गरवाल, आनंद राय गुट के कहे जा सकते है और जब तक बड़े स्तर पर सामंजस्य स्थापित नही हो जाये तब तक इंतजार करना होगा।
करवड़ से बिटीबी पार्टी से जुड़े सचिन गामड़ जो पिछले चुनाव मैदान में उतर कर विधानसभा चुनाव का अनुभव ले चुके है और लगभग 6 हजार वोट लाये थे। इस बार उनकी दावेदारी भी मजबूत है, जो जयस के साथ लगातार सक्रिय रहे है और भी युवा है जो अपने-अपने स्तर से प्रयास कर रहे है, कोर कमेटी में उनका नाम आगे तक जाये। वही संगठन को पर्दे के पीछे से मद्दत करने वाले कई सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों में से कोई एक चेहरा भी अचानक सामने आने की संभावना है जो इस जोड़ जुगाड़ में है कि, उनको भाजपा या कांग्रेस अपनी टिकिट पर लांच कर दे।
रामा में कमजोर जयस
दो विकास खंडों में बटी जयस पेटलावद विकास खंड में तो अच्छी उपस्थिति दर्ज करवा चुकी है, लेकिन विधानसभा का दूसरा भाग रामा विकास खण्ड संगठन के स्तर कमजोर है। इसी के चलते जयस संगठन के माध्यम से टिकिट की मांग करने वालो में लगभग चेहरे पेटलावद विकास खण्ड से ही है, रामा से कोई बड़ा नाम अब तक सामने नही है। यही जयस संगठन की परेशानी भी है क्योंकि विधानसभा जैसा बड़ा चुनाव पूरी ताकत से लड़ना पड़ेगा। ये बात संगठन के बडे पदाधिकारी अच्छे से जानते है। यही कारण है, इस बार जयस राजनीतिक समझौते के साथ ही मैदान में उतरेगी। भाजपा या कांग्रेस तय नही, क्योंकि स्थानीय चुनावो में देखा गया कि, जयस संगठन ने परिस्थितियों के अनुसार भाजपा तो कही कांग्रेस के साथ समझौता किया है। इसलिए ये कहना कि, जयस सिर्फ कांग्रेस के भरोसे है ये अभी जल्दबाजी होगी।
आपस मे ही बटी हुई है जयस
वर्तमान में, जिले में जयस के नाम पर कई लोग अपनी-अपनी राजनीति चमका रहे है और कई मुद्दों व अपने नेता को लेकर एक-दूसरे का विरोध तक करते नजर आ रहे है। हीरालाल अलावा खुद कांग्रेस से विधायक बने हुए, इसलिए संगठन के एक पक्ष को ये बात गले नही उतरती तो दूसरी ओर एक धड़े के ओबीसी चेहरा आनन्द राय बने हुए है। जिन्हें उनके विपक्षी खेमे द्वारा आदिवासीयो के नाम पर राजनीति करने वाला बताकर विरोध किया जाता है। इतना ही नही सोशल मीडिया पर जयस के नाम पर बनी आइडियो से कांग्रेस नेताओं के पक्ष में खुला बखान किया जाता है और सभी धड़ों में विरोधाभास देखा जाता है। जयस के साथ-साथ कई आदिवासी संगठन सक्रिय है, जिनकी विचारधारा एक-दूसरे से नही मिलती। बटी हुई जयस किस तरह इस विधानसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाती है ये भविष्य के गर्त में है लेकिन जयस का राजनीतिक भविष्य आगे कितना है जरूर तय हो जाएगा।
प्रकाश डामर।
ईश्वर गरवाल।
सचिन गामड़।