माही की गूंज, काकनवानी।
होली, धुलेटी, शीतला सप्तमी के पश्चात महिलाओं का वर्ष में एक बार आने वाला दशा माता का व्रत महिलाएं बड़े ही धूमधाम से मनाती हैं। बताया जाता है कि दशा माता के व्रत से ग्रहों की दशा अनुकूल हो जाती है एवं घर से नकारात्मक ऊर्जा व ग्रह क्लेश दूर हो जाते हैं और घर आंगन में खुशियां एवं सुख समृद्धि आती है। आज के दिन महिलाएं दशा माता का व्रत बड़े ही उत्सुकता से करती है इस व्रत में पिछले वर्ष लिया गया धागा गले में धारण कर पिपल की पूजा कर वह धागा पीपल में अर्पण कर देती है एवं नया धागा लेकर उसकी पूजा अर्चना कर अपने गले में धारण करती है यह धागा प्रतिवर्ष बदला जाता है। बताते हैं कि इस धागे में बड़ी शक्ति होती है यह धागा धारण करने पर घर में सुख शांति एवं मां लक्ष्मी का वास होता है तथा हमारे सभी ग्रह शांत होकर हमें सुख शांति का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। नए धागे की पूजन पाठ कर महिलाएं पीपल के फेरे लगाकर पीपल के पूजन करते हैं पूजन के पश्चात दशा माता की कथा का श्रवण करते हैं एवं सभी महिलाएं एक दूसरे के गले लग कर मंगल कामना की प्रार्थना कर आशीर्वाद प्रदान करती है।