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राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता जगत के पत्रकार वेद प्रताप वैदिक का निधन
नई दिल्ली।
राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता जगत के जाने-माने पत्रकार वेद प्रताप वैदिक का निधन हो गया है। वह 78 वर्ष के थे। मंगलवार सुबह अपने घर में बाथरूम में फिसलने से वह चोटिल हो गए थे। जब उन्हें अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। देश के जाने-माने पत्रकार वेद प्रताप वैदिक के निधन से मीडिया जगत में शोक की लहर है।
वेद प्रताप वैदिक का जन्म 1944 में इंदौर में हुआ था। वे जानी-मानी मीडिया संस्थाओं के लिए काम भी कर चुके थे। वे देश के बड़े पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक माने जाते थे। जेएनयू से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में पीएचडी हासिल करने के साथ ही वह कई भारतीय और विदेशी शोध-संस्थानों और विश्वविद्यालयों में विजिटिंग प्रोफेसर रहे हैं।
13 वर्ष की उम्र में हिन्दी के लिए सत्याग्रह
वेद प्रताप वैदिक को हिन्दी पत्रकारिता के चेहरे के रूप में भी देखा जाता है। उन्होंने साल 1957 में महज 13 वर्ष की उम्र में हिन्दी के लिए सत्याग्रह किया और जेल गए। उन्होंने पहला अंतरराष्ट्रीय शोध हिन्दी में लिखा था। जिसे जेएनयू ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया और उन्हें विवि से बाहर का रास्ता दिखा दिया। यह बात 1966-67 की है। उस वक्त भारतीय संसद में इस पर काफी हंगामा भी हुआ था।
80 देशों की यात्राएं
उन्होंने अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने लगभग 80 देशों की यात्राएं की। अपने अफ़गानिस्तान सम्बन्धी शोधकार्य के दौरान वैदिक को न्यूयार्क के कोलम्बिया विश्वविद्यालय, लन्दन के प्राच्य विद्या संस्थान, मास्को की विज्ञान अकादमी और काबुल विश्वविद्यालय में अध्ययन का अवसर मिला। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है। वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में अखिल भारतीय स्तर पर वैदिक को अनेकों बार पुरस्कृत किया गया।