भवानीमंडी के नवजीवन हॉस्पिटल के स्वार्थ नें लिये मासूम प्रहल के प्राण
हॉस्पिटल की लापरवाही के विरोध में हजारों लोग सडक पर, प्रहल झाबुआ का था नाती
माही की गूंज (डेस्क न्यूज)
भवानीमंडी (झालावाड़ राज.)। जब किसी के घर का चिराग जो की एक मासूम होकर घर में अपनी मासूम रूपी शरारतो से हर किसी के चेहरे पर खुशी लाने वाला हो और जो 1 दिन पहले तक अपने घर आंगन व मोहल्ले में कुद-कुदकर खेल रहा हो और वह अपनी मीठी शरारत के साथ रात्रि विश्राम के साथ भोर में उठते ही अपने खिलखिलाते चेहरे से अपने माता-पिता, दादा-दादी व अपने भाई बहन के चेहरे को भी दिन की शुरुआत के साथ खुशी देने वाले मासूम की मौत किसी हॉस्पिटल की लापरवाही से हो जाए तो तय है कि, इसकी पीड़ा तो वह माता-पिता व परिवार के लिए कितनी असहनिय होती है यह तो वह परिवार ही महसूस कर सकता है।
कुछ ऐसा ही असहनीय मामला झाबुआ (म.प्र.) के गोविंद भानपुरिया का नाती व भवानीमंडी जिला झालावाड़ राज. के आशीष व उपासना पारेता का 8 वर्षीय पुत्र प्रहल उर्फ पुरू को हॉस्पिटल के मेनेजमेंट के आर्थिक स्वार्थ के साथ बिना डॉक्टर की उपस्थिति में एडमिट कर मौत के घाट उतारने का मामला सामने आया है।
व्यापारी आशीष पारेता निवासी भवानीमंडी राज. का 8 वर्षीय पुत्र जोकि अपने घर ही नहीं वरन पूरे मोहल्ले के रहवासियों व हर किसी का चहेता अपनी चुलबुली बाते व मासूमियत रूपी शरारतो से हर किसी के चेहरे पर हर समय खुशी ला देने वाला प्रहल (पुरू) जो की पुर्णतः स्वस्थ होकर 24 जनवरी को सोने के पहले तक मोहल्ले में कुद- कुदकर हंसते-हंसाते हुए खेल रहा था 25 जनवरी को सुबह उठने के बाद पेट में कुछ असहनीय दर्द होने पर पिता आशीष व मां उपासना पारेता गांव के चर्चित हॉस्पिटल नवजीवन में उपचार हेतु सुबह साढे 6 बजे हॉस्पिटल में पदस्थ शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर शैलेंद्र पाटीदार से उपचार कराने हेतु ले गए। जहां ड्यूटी पर कार्यरत डॉ. कुलदीप सिंह ने डॉक्टर शैलेंद्र पाटीदार का होना बताया व ओपीडी दर्ज करवाकर प्राथमिक उपचार शुरू दिया और डॉक्टर शैलेंद्र पाटीदार आकर पेशेंट को देखने की बात कुलदीप सिंह ने परिजनों को कहीं। वही 8 बजे ड््यूटी डॉक्टर चेंज होकर एक अन्य व्यक्ति हरिवल्लभ पटेल नामक व्यक्ति आया और वह अपने आपको डॉक्टर बताते हुए अपनी मर्जी से इलाज करने लगा तो परिजनों ने शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर शैलेंद्र पाटीदार सर कहा है वह आकर हमारे बेटे का उपचार करे, की बात कही। जिस पर परिजनों को हरिवल्लभ ने आश्वस्त करते हुए कहा पेशेंट का ईलाज डॉक्टर शैलेंद्र सर के कहे अनुसार ही हो रहा है और डॉ शैलेंद्र जी पाटीदार भी पेशेंट को आकर देखेंगे, बच्चे का स्वास्थ्य अभी अच्छा है कहते हुए अपने आपको डॉक्टर बताने वाला हरिवल्लभ भी साढे 10 बजे के करीब हॉस्पिटल से लापता हो गया। इस स्थिति में हॉस्पिटल में बच्चे को संभालने वाला कोई नहीं रहा और मासूम पुरू की तबीयत बिगड़ने पर रिशेप्सन काउंटर पर संपर्क करने पर सांत्वना देने के साथ डॉक्टर हरिवल्लभ व डॉक्टर शैलेंद्र पाटीदार भी आने वाले हैं जो आकर पेशेंट को देखेंगे आप किसी बात की चिंता मत करो कहते रहे। हर पल बच्चे की तबीयत अधिक बिगड़ती रही लेकिन ना ही हॉस्पिटल में हरिवल्लभ और ना ही डॉक्टर शैलेंद्र पाटीदार आए। परिजनों द्वारा बच्चे का स्वास्थ्य ज्यादा बिगड़ते देख उपस्थित स्वास्थ्य कर्मीयो पर गुस्सा होने पर करीब डेढ बजे हरिवल्लभ हॉस्पिटल में आया और कहा डॉक्टर शैलेंद्र जी पाटीदार बाहर शादी में गए हैं, इसीलिए नहीं आएंगे और फोन पर उनसे कोई बात भी नहीं हो पाएगी।
डॉक्टर हरिवल्लभ की बात सुनने के बाद परिजनों का गुस्सा फूटा और कहा जब डॉक्टर पाटीदार थे ही नहीं तो उनकी उपस्थिति होना बताकर क्यो भर्ती किया...? और अब से पहले तक डॉ. साहब आ रहे हैं की बात कह कर हमें गुमराह कर हमारे बेटे के जीवन से क्यो खिलवाड़ कर रहे हा ...?े कहां। साथ ही परिजनो ने बच्चे को अन्य हॉस्पिटल में डॉक्टर पाटीदार के नहीं होने पर ले जाने की बात कही। अस्पताल की लापरवाही वह मनमानी के चलते बच्चे की तबीयत बिगड़ने पर स्थानीय अन्य मेट्रो हॉस्पिटल में उपचार हेतु ले जाया गया। जहां तत्काल प्राथमिक इलाज के साथ सभी लीवर फक्शन टेस्ट डॉक्टर ने करवाएं तो पेट में अत्याधिक इंफेक्शन जांच रिपोर्ट में बताया गया और वहा के डॉक्टर ने कोटा ले जाने की सलाह दी। जिसके बाद तत्काल मासूम पुरू को उपचार हेतु कोटा ले जाया जा रहा था की रास्ते में ही करीब साढे 4 बजे माता-पिता की गोद में ही प्रहल(पुरू) के प्राण निकल गए।
प्रहल को एडमिड से लेकर अस्पताल से रिलीव करने तक नवजीवन हॉस्पिटल नें दिखाई अपनी कारस्तानी, जो बना मौत का भी कारण
किसी का गला रेत या हमला कर मार देने पर ही मामला हत्या की श्रेणी में नहीं आता वरन् अपने आर्थिक लाभ, अनियमितताएं व मनमानी के साथ जानबूझकर ऐसा कोई भी कृत्य किया जाए जिसमें किसी भी की मौत हो जाए तो वह भी हर मायने में हत्या की श्रेणी में ही माना जाता है। तथा नवजीवन हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने उक्त घटना को देखते हुए सीधे रूप से प्रदर्शित हो रहा है कि, अपने क्षणिक लाभ के लिए प्रहल को सुबह साढे 6 से प्राथमिक सीबीसी जांच करवा कर विशेषज्ञ डॉक्टर शैलेंद्र पाटीदार जोकि पूर्व से ही कुछ दिनों की छुट्टी पर होने के बावजूद उनके नाम से ही ओपीडी दर्ज करवाकर भर्ती करने के साथ ही 7 घंटे तक बिना ऐलोपेथिक डिग्रीधारी डॉक्टरो से ऐलोपेथिक इलाज हॉस्पिटल मैनेजमेंट द्वारा बिना किसी जांच करवाए उपचार करते रहे। इतना ही नहीं बिना डिग्रीधारी डॉक्टर व मैनेजमेंट ने अपनी मनमानी के साथ क्षणिक लाभ के लिए 7 घंटे तक उपचार करते रहे वरन बच्चे का स्वास्थ्य ठीक है बताने वाले इन फर्जी डॉक्टर ने बच्चे के रिलीव के समय भी पर्चे में प्लीज शो टू डॉक्टर शैलेंद्र पाटीदार सर लिख अपनी बदनियती रूपी कारस्तानी को बता कर, यह सिद्ध किया है कि नवजीवन हॉस्पिटल एवं उक्त फर्जी डॉक्टरो ने मिलकर एक मासूम को मौत के घाट उतार दीया।
चिकित्सको की जानकारी अनुसार बता दें कि, नवजीवन हॉस्पिटल ने बिना ऐलोपेथिक विशेषज्ञ डॉक्टर के ऐलोपेथिक उपचार करना तथा हॉस्पिटल के मैनेजमेंट द्वारा इस तरह से ऐलोपेथिक इलाज करवाना ही अपराध की श्रेणी में आता है। वहीं अगर कोई डॉक्टर अन्य किसी हॉस्पिटल या किसी विशेषज्ञ डॉक्टर को उपचार हेतु भेजे जाने पर उक्त हॉस्पिटल का नाम तथा डॉक्टर के नाम के साथ रेफर लिखकर उपचार हेतु भेजा जाता है। जबकि उक्त नवजीवन हॉस्पिटल ने जो विशेषज्ञ डॉक्टर इस निजी हॉस्पिटल में ही पदस्थ होकर जो कि पुर्व से ही कुछ दिनो की छुट्टी पर थे। पेशेंट को उन्ही डॉक्टर शैलेंद्र पाटीदार को बताने के लिए प्लीज शो टु डॉक्टर एस. पी. सर लिखना ही चिकित्सा क्षेत्र में कोई शब्द होता ही नहीं है। ऐसे में नवजीवन हॉस्पिटल की घोर लापरवाही ही माना जाकर उक्त मासूम की मौत का जिम्मेदार माना जा सकता है।
वहीं कुछ चिकित्सको ने गूंज को बताया, कोई भी ऐलोपेथिक निजी या शासकीय हॉस्पिटल में किसी भी बीएचएमएस या अन्य डिग्री धारी डॉक्टर को ऐलोपेथिक उपचार से कोई लेना देना नहीं होता है। आवश्यकता पढ़ने पर एमबीबीएस या एमडी डॉक्टरो के द्वारा किसी भी पेशेंट को दिया जाने वाला उपचार का फालोअप करते हुए डॉक्टर की लिखी मेडिसिन को समय पर देने का कार्य कर सकते हैं।
मनमानी के विरोध उतरा नगर का हर व्यक्ति
उक्त घटना के बाद नगर ही नहीं वरन झालावाड़ क्षेत्र भी आक्रोश में है। वहीं हॉस्पिटल के विरुद्ध स्थानीय लोगों ने बड़ी संख्या में कैंडल मार्च वह बाइक रैली निकालकर अपना विरोध जताया। तथा जिला प्रशासन से लेकर संबधिंत विभाग के आयुक्त, मंत्री, राज. व केंद्र के मेडिकल काउंसलिंग से लेकर मुख्यमंत्री व राष्ट्रपति तक ज्ञापन एवं लिखित शिकायत के माध्यम से नवजीवन हॉस्पिटल के मैनेजमेंट के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की जा रही है। मामले में कार्रवाई नहीं होने पर विरोध बड़े रूप में सामने आने की संभावना जताई जा रही है।
क्या होगी सख्त कार्रवाई...?
क्या बिना किसी विशेषज्ञ डॉक्टर के नवजीवन हॉस्पिटल द्वारा बच्चे को एडमिट करना उचित था...?
डॉक्टर पाटीदार आ रहे है कह कर बिना जाच रिपोर्ट करवाए ही 7 घंटे तक बिना ऐलोपेथिक डॉक्टर द्वारा मासूम का उपचार किया जाना क्या उचित था...?
विशेषज्ञ डॉक्टर पाटीदार जोकि कुछ दिनों की छुट्टी पर होने के बावजूद प्लीज शो टु डॉ. एस.पी. सर लिख कर पेशेंट को रिलीव करना क्या चिकित्सय व्यवस्था में सही है...? आदि मुद्दो पर प्रशासन इसकी जांच कर कार्रवाई करता है तो ही शायद आगे कोई अन्य प्रहल के प्राण ऐसे स्वार्थी हॉस्पिटल व मैनेजमेंट से बचाया जा सकता है।
पारेता परिवार के घर का चिराग ,अपनी मांसुम शरारतो से हर किसी का दिल जितने वाला प्रहल(पुरू) की नवजीवन ने क्षणिक स्वार्थ के लिये ले ली जान।
एक दिन पुर्व पुरी तरह से फिट अपने आंगन में कुद-कुदकर खेलते हुए प्रहल को बता रहां नवजीवन हास्पिटल अनफिट, तो क्यो बिना विशेषज्ञ डाक्टर के किया भर्ती।
बिना ऐलोपेथिक डॉ. द्वारा प्रहल का इलाज के नाम पर मौत देने वाले फर्जी डॉ. व मैनेजमेंट के विरूद्ध हर कोई उतरा सडक पर।
नाम बडे दर्शन खोटे उर्फ मासुम का हत्यारा नव जीवन हास्पिटल।