मुंबई, डेस्क न्यूज़।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार शाम 5 बजे मुंबई स्थित मरोल में शिया दाऊदी बोहरा समुदाय के शिक्षण संस्थान अल जामयतुस सैफियाह का उद्घाटन किया। अपने उद्बोधन में पीएम मोदी ने कहा कि, दाऊदी बोहरा समाज के साथ उनके परिवार के पारिवारिक सम्बन्ध डेढ़ सौ साल पुराने रहे है। बोहरा समाज संस्कृति, विरासत और आधुनिकता को साथ लेकर सहेजकर चलता है। समाज के लोग बिज़नेस व इंडस्ट्री के कौशल से पहचाने जाते है।
पीएम मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्रित्व काल को याद करते हुए कहा कि, मेरे एक निवेदन पर सैयदना साहब ने दांडी स्थित बंगलों राष्ट्र को समर्पित कर दिया था जहां आज महात्मा गाँधी की विरासत अमर हो रही है। मोदी ने आगे कहा कि, भारत के वैश्विक उत्थान में शिक्षा की अहम् भूमिका होने वाली है। कभी नालंदा और तक्षशिला के कारण देश विदेश से लोग ज्ञान के लिए भारत कूच करते थे। इस शिक्षण संस्थान जामिया के निर्माण का सपना लगभग डेढ़ सौ वर्ष पूर्व ग़ुलामी के दौर में सैयदना अब्दुल कादर नजमुद्दीन साहब ने देखा था जो आज पूरा हो रहा है। सच्ची व अच्छी नियत से देखे गए स्वप्न हमेशा पुरे होते है। कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व अन्य गण मान्य नागरिक उपस्थित थे।
इसके पूर्व बोहरा समाज के 53 वे धर्मगुरु सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में दाऊदी बोहरा कौम के ट्रेडिशन व कल्चर की विशेषता बताते हुए नरेंद्र मोदी से पूर्व के वर्षो में मिले स्नेह को याद किया। उन्होंने कहा कि, इससे पहले पीएम मोदी हमारे साथ इंदौर शहर में एक कार्यक्रम में शरीक़ हुए थे जिसमे हम पैग़म्बर ए इस्लाम के नवासे इमाम हुसैन का ग़म मनाते है। और आज आप इस ख़ुशी के मौके पर उपस्थित हुए है। आप हमारे ग़म व ख़ुशी में शामिल होते है इसका हम ह्रदय से आभार व्यक्त करते है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जामिया के केम्प्स में पहुंचकर शिलालेख का अनावरण किया, फिर सैयदना साहब के साथ मिलकर केम्पस का फीता काटकर अंदर प्रवेश किया। सैयदना साहब का हाथ पकड़े हुए मोदी ने केम्पस का अवलोकन किया। सारे सम्मानित जनो को विराजित करने के बाद जामिया के छात्रों ने सरस व मीठी गुजराती भाषा में पूर्व सैयदना साहबों की नसीहत का तरन्नुम में पाठ किया। जिसमे शिक्षा के महत्व, भलाई के कामों और सभी के साथ हिलमिल कर रहने के कीमती सन्देश छुपे हुए थे। इसके बाद बोहरा समाज की पिछले 220 वर्षो की एजुकेशन परम्परा को नवनिर्मित जामिया की फिलोसोफी से जोड़ते हुए महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट्री अतिथियों को दिखाई गई। कार्यक्रम में जामिया के अनेक छात्र-छात्राए मौजूद थे।
देश-विदेश में बेस बोहरा अनुयाइयों ने लिंक के माध्यम से इस इनोग्रेशन सेरेमनी को विभिन्न मस्जिदों, मरकजों, घरों एवं संस्थानों में लाईव देखकर लाभ लिया।