माही की गूंज, काकनवानी।
शांति एवं वाद निवारण समिति के गठन पश्चात शुक्रवार को काकनवानी थाने पर थाने के अंतर्गत आने वाली सभी ग्राम पंचायतों के सरपंच, पटेल, तड़वी एवं सैकड़ों ग्रामीण जनों की उपस्थिति मे एसडीओपी रविंद्र राठी ने बताया कि, आदिवासी समाज में शांति एवं वाद-विवाद निवारण समिति हरगांव गांव में बनाई गई है। जिन्हें गांव में होने वाले लड़ाई, झगड़े, जमीन विवाद, शराब एवं सामाजिक विवाद एवं कई अन्य सामाजिक निर्णय लेने होते हैं। जिसके लिए समिति गठित की गई। जिसमें समस्त अधिकार दिए गए हैं। इस समिति में महिलाओं की 30% भागीदारी अनिवार्य है अगर महिला नहीं है तो वह निर्णय नहीं माना जाता है। आजकल दहेज में पुरुष वर्ग ही निर्णय कर लेते हैं ऐसा नहीं होना चाहिए। गांव के झगड़े गांव के ही लोगों को आपसे मैं बैठकर निपटाना होंगे। जिसमें उस गांव के वोटर के अलावा कोई अन्य बाहरी व्यक्ति का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। सामाजिक बुराई को दूर करने के लिए सभी के सहमति जरूरी है।
पेसा एक्ट को लेकर कहा कि, ग्राम समिति को पूरा पूरा अधिकार है कि वह किसी भी वाद-विवाद का निपटारा गांव में ही करें। जैसे कि कलेक्टर को पावर होता है कि 1 दिन के लिए किसी पर्व के दौरान शराब दुकान बंद करवा सकते हैं उसी प्रकार समिति को भी पावर है कि वह अपने गांव में कोई फंक्शन हो या कोई सामाजिक कार्य हो या धार्मिक कार्य हो अपने गांव की 1 दिन शराब दुकान बंद करवा सकते हैं। किसी भी छोटे-मोटे वाद विवाद पर अगर थाने में कार्यवाही हो जाती है तो उस कार्रवाई संबंधित सूचना समिति को दे दी जाती है एवं कोई बड़ा अपराध होता है तो उस की कार्रवाई पुलिस में होने के बाद समिति को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं होता है। कानून के खिलाफ फैसला नहीं ले सकते। न्यायालय ही सर्वोच्च है।
इसी बीच एडिशनल एसपी पीएल कुर्वे ने बताया कि, ग्राम सभा में बैठक पर निर्णय सर्वसम्मति से निर्णय लिया जाए। किसी भी प्रकार के मतभेद की स्थिति में बहुमत के आधार पर ही निर्णय लिया जाए। ग्राम सभा में बहुत सारी समिति बनी हुई है अगर कोई निर्णय से आप संतुष्ट नहीं है तो आप समिति के पास आपत्ति पेश कर सकते हैं। जिन का समय निर्धारित किया जा सकता है। 15 से 20 दिन के भीतर ही ग्राम समिति से ऊपर एक समिति बनी हुई है जो अपील समिति है। जिसमें जनपद अध्यक्ष एवं जनपद सदस्य एवं एसडीओपी शामिल है। वह मिलकर निर्णय ले सकते हैं। बैठक में सभी निर्णय की कार्यवाही रजिस्टर में लिखी जावे गांव का ही एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति रहे जो रजिस्टर को मेंटेन करता रहे एवं कार्रवाई के पश्चात रजिस्टर में ग्राम सभा अध्यक्ष एवं सचिव द्वारा हस्ताक्षर किया जावे एवं आवश्यकता होने पर संबंधित विभाग के अधिकारी या कर्मचारी ग्राम सभा में उपस्थित हो सकते हैं। शांति एवं विवाद निवारण समिति में कम से कम 5 एवं अधिक से अधिक 7 सदस्यों का चयन कर समिति का गठन किया जावे। जिसमें एक तिहाई महिलाओं का प्रतिनिधित्व दिया जाना अनिवार्य है एवं ग्राम सभा में शांति एवं विवाद निवारण समिति के गठन की जानकारी स्थानीय पुलिस थाने में प्रेषित की जावे। पारंपरिक विवाद में पटेल या तड़वी बनने के बात पर विवाद, डायन कहने की बात को लेकर विवाद, घरेलू सास बहू के विवाद या मकान को लेकर विवाद आशंका की बात को लेकर विवाद, पति के शराब पीने को लेकर विवाद समय पर पैसा नहीं लौटाने पर लेकर विवाद, जमीन की मेड़ को लेकर विवाद फसल को लेकर विवाद, खेत में पानी के उपयोग को लेकर विवाद के साथ में शादी में दहेज या चांदी लेने को लेकर विवाद आदि मामलों में समिति निर्णय ले सकती है। ग्राम सभा ऐसा कोई भी प्रस्ताव पारित नहीं करेगी जो कानून के खिलाफ हो। ग्राम सभा किसी भी कृत्य अपराध का समर्थन नहीं करेगी एवं किसी भी शासकीय प्राधिकारी की विधि सम्मानित गतिविधियों में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं करेगी। ऐसे कोई भी विवाद का निराकरण नहीं करेगी जो कानून उनके अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत न आता हो। जो निर्णय समिति से नहीं हो रहे हैं वह सीधे पुलिस में जानकारी देवे। पुलिस की सहायता प्राप्त करें।
इस कार्यक्रम के बीच ग्राम नागनवाट सरपंच एवं ग्राम चोकवाड़ा के सरपंच कछुआ डामोर एवं पूर्व जनपद चैन सिंह डामोर ने समाज में हो रही कुरीतियों को बताते हुए अंकुश लगाने की बात कही। अंत में काकनवानी थाना प्रभारी दिनेश रावत ने उपस्थित एडिशनल एसपी एसडीओपी एवं समस्त उपस्थित जनता का आभार व्यक्त कर चाय नाश्ता करवाया।