माही की गूंज, काकनवानी।
आज के इस आधुनिक युग में गंभीर से भी गंभीर बीमारी का भी इलाज ढूंढ निकाला है। लेकिन अनभिज्ञता और अंधविश्वास के चलते आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टर के पास में न जाते हुए बड़वाई-भोपाई को अधिक मान रहे हैं, ओर अपनी जान जोखिम में डालते है। ऐसी ही एक घटना राजस्थान के कसारवाडी गांव के समीप गांव रूपजीपाड़ा से कल्ला पिता फत्ता बारिया के साथ घटी। कल्ला बारिया अपनी पत्नी राजा बाई के साथ काकनवानी देवल में इलाज करवाने के लिए आया था। जहां पर बड़वा सेवक ने पूजा अर्चना कर एक खोपरे तेल की शीशी, नारियल, खोपरा और बूंदी की प्रसादी दी। मृतक प्रसादी खाने के बाद वहीं पर चाय पी और अपने घर के लिए रवाना हुआ, जो काकनवानी बाजार में अचानक गिर पड़ा और वही प्राण निकल गए। सूचना पर पुलिस ने मृतक को टेंपो में डालकर थाने व पोस्टमार्टम के लिए ले गए। मृतक के साथ में उसकी पत्नी अकेली ही थी। पुलिस ने राजस्थान संपर्क कर उसके परिजन को बुलवाया। परिजनों के आने पर परिजनों ने बताया कि, वह काफी टाइम से बीमार था और उसके पेट में गांठ थी जिसके चलते यह परिजनों ने कोई कार्यवाही नहीं करने का आग्रह किया।