साला मैं तो साहब बन गया, मैं जो कहु वही सही बाकी सब गलत...
माही की गूंज, खवासा।
यह पुरानी कहावत तो हम सभी ने सुनी है कि, कुत्ते की पूछ 12 महीने तक भी भोंगली में डालकर रखो तो भी वह कभी सीधी होने वाली नहीं है।
हम प्रशासनिक नुमाइंदो की बात करें तो जिन्होंने अनियमितताएं, मनमानी व भ्रष्टाचार को शिष्टाचार बना दिया है। अगर कोई उस कुत्ते की दुम की तरह भोंगली में डाल उनकी कार्य व्यवस्था को सीधा व सही करने का प्रयास करें तो यह भ्रष्ट नुमाइंदे अपनी कार्यशेली में सुधार न लाकर उस व्यक्ति की तलाश में जरूर जुट जाता है, जिसने कहीं न कहीं उस कुत्ते रूपी दुम यानी उनके द्वारा अनियमितताएं एवं मनमानी के साथ भ्रष्टाचार रूपी कार्यशेली को सीधा करने का प्रयास किया जाता है।
माही की गूंज क्षेत्र के विकास व आमजन के हितों के लिए बेबाकी के साथ तथ्यात्मक रूप से समाचारों का संकलन करता है। इसी कड़ी में गूंज के पिछले अंक में “साला मैं तो साहब बन गया, मैं जो कहूं वही सही बाकी सब गलत“ शीर्षक के साथ समाचार प्रकाशित किया था। जिसमें खवासा टप्पा तहसील पर पदस्थ नायब तहसीलदार अनिल बघेल की कुछ कालगुजारी को प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था, जिसमें “साला मैं तो साहब बन गया और मैं जो कहूं वह सही“ की तर्ज पर साहब अपनी साहबगिरी इस तरह झाड़ते हैं कि, पूरी कानून व्यवस्था या नियम कायदे सिर्फ नायक साहब कह दे वही होता है, बाकी असल नियम व व्यवस्था से उन्हें कोई लेना-देना नहीं होता है। उप लोकसेवा केंद्र खुल जाने के बाद भी सप्ताह में एक ही दिन गुरुवार को कार्यालयिन कार्य खवासा में बैठकर करने के साथ अपने कार्य की इतिश्री कर देते हैं। तथा अपने बाबू रमेश लछेटा एवं पटवारी के माध्यम से हर कार्य का मेहताना अलग से लेकर कार्य की इतिश्री करते हैं और जिसमें पैसा नहीं मिलता उस कार्य को लंबित अवस्था में डाल देते हैं। वही रिकॉर्ड में इस तरह से हेर-फेर कर देते हैं कि, व्यक्ति को आकर इन्हें दान-दक्षिणा देने के साथ ही वह कार्य हो सकता है।
इसी तर्ज पर किसानों द्वारा जिस फसल की उपज की गई, उसे रिकॉर्ड में निरंक बता दिया। जिसकी शिकायत होने पर नायब तहसीलदार अनिल बघेल की कारस्तानी पटवारी पर भारी पड,़ पटवारी रूपसिंह भूरिया को कलेक्टर सोमेश मिश्रा द्वारा निलंबन की कार्रवाई का शिकार होना पड़ा था। साथ ही उल्लेख किया था कि, नायब तहसीलदार अनिल बघेल के बाबू रमेश लछेटा, साहब के निर्देशन में रिश्वत लेने में माहिर है, जो कि पूर्व में झकनावदा टप्पा तहसील में पदस्थ होकर लोकायुक्त टीम ने रिश्वत लेते रंगे हाथों धर दबोचा था। का समाचार प्रकाशित होने पर क्षेत्रवासियों को आशा थी कि, साहब उक्त अपनी कारस्तानी के समाचार प्रकाशित होने के बाद अपनी मनमानी के साथ की जाने वाली कार्यशैली में सुधार लाकर प्रतिदिन खवासा टप्पा तहसील पर बैठ, अपना निवास स्थान खवासा में हीं करने के साथ क्षेत्रवासियों को समय के साथ टप्पा तहसील संबंधित समस्त कार्य बिना भेदभाव के साथ विधि सम्मत किए जाएंगे। परंतु साहब ने अपनी वास्तविक कार्यशैली को बताते हुए उस कुत्ते की दुम को भोंगली में डालने वाली बात को चरितार्थ करते हुए, अपनी कार्यशैली में सुधार न लाते हुए उनकी अनियमितताएं व मनमानी रुपी भ्रष्टाचार वाली कार्यप्रणाली को सीधा करने का किसने प्रयास किया कि, तलाश में जुट गए। नतीज़न साहब की चमचागिरी करने वाले दलाल के माध्यम से गूंज के खवासा कार्यालय में उपस्थित माही की गूंज के स्टॉप को 9893639342 से अनगिनत फोन कर दलाल के माध्यम से जानकारी निकालने का प्रयास किया की, गूंज में नायब साहब के संबंध में जो समाचार छपा है वह प्रमाणिकता के साथ सत्य है, पर यह पुख्ता जानकारी ऑफिस में आकर पत्रकार साहब को किसने दी...? दलाल ने पूछा। साथ ही दलाल कहता है कि, समाचार पढ़ने के बाद नायब तहसीलदार भी खवासा में आकर राउंड लगा रहे हे...!
हम यहां ऐसे दलालों को यही कहेंगे कि, आपकी चमचागिरी व भड़वई गिरी आपके ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के सामने ही करें, हर किसी को आप व आपके साहब जैसे बईमान या एहसान फरामोश न समझे। वही नायक साहब, क्षेत्रवासी यही चाहते हैं कि आप अपना कार्य इमानदारी से आकर जिस स्थान पर और जिस कार्य के लिए आपको पदस्थ किया है, वह बिना भेदभाव के साथ नियमित यहां रह कर करें न की यह तलाश करें कि, आपकी भ्रष्टरूपी कार्यशैली के संबंध में पत्रकार को आकर किसने जानकारी दी व उस पर भोकने व काटने का प्रयास न करे...