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भाजपा प्रदेश पदाधिकारी चुने हुए जनप्रतिनिधि का सम्मान नहीं कर पाए, तो जनता का कैसे करेंगे?
Report By: धर्मेंद्र पंचाल 24, Nov 2022 2 years ago

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नवनिर्वाचित नपाध्यक्ष लक्ष्मी सुनील पणदा ने दिया धैर्य का परिचय

माही की गूंज, थांदला। 

        भाजपा देश का एक ऐसा राजनीतिक दल है, जो पार्टी विद डिफरेंस है। भाजपा अपने आप को दूसरी पार्टियों से अलग मानकर चाल, चरित्र और चेहरा की बात करती है। तो वहीं सत्ता में आने से पहले हर व्यक्ति के साथ और विकास की बात भी कहती नजर आई है। आगामी 2023 में मप्र में विधानसभा चुनाव है। इन चुनावों को लेकर भाजपा अभी से सक्रिय है और आदिवासी समाज को साधने के कई तरह के जतन तक किए जा रहे है। फिर चाहे जनजाति गौरव दिवस मनाना हो, पेसा एक्ट लागू करना हो या फिर क्रांतिसूर्य गौरव यात्रा निकालना हो। इन सबका मकसद केवल आदिवासी वोट बैंक को साधकर सत्ता हासिल करना ही है? जहां सरकार और पार्टी के मुखिया जनजाति वर्ग के लोगों के सम्मान और अधिकार की बात करते हैं। तो वहीं महिला सशक्तिकरण और सम्मान की बात करती रही है। जिसके कारण आदिवासी बहुल झाबुआ के थांदला विधानसभा से जनजाति वर्ग से कलसिंह भाभर को पार्टी ने अनुसूचित जनजाति मोर्चे का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। तो वहीं नगर की महिला नेत्री संगीता सोनी प्रदेश मंत्री पद से नवाज कर उन्हें सम्मान दिया है। 21 नवंबर सोमवार को थांदला के शासकीय महाविद्यालय में हुए एक राजनैतिक आयोजन में इन प्रदेश के पदाधिकारियों ने जनजाति समाज की एक महिला जिसे नगर की जनता ने चुनकर नगर का प्रथम नागरिक बनाया है। उस महिला का यह दोनों नेता सम्मान तक नहीं करवा पाए।

        पूरे मामले की जनचर्चा है कि, नगर के महाविद्यालय में मनोनीत जनभागीदारी समिति अध्यक्ष के शपथ विधि समारोह में मंच पर नगर की प्रथम नागरिक लक्ष्मी सुनील पणदा को मंच पर उचित स्थान नहीं देने से अजजा मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष कलसिंह भाभर और प्रदेश मंत्री संगीता सोनी पर अपने-अपने गुटों के लोगों को महत्व देने की चर्चाएं चल रही है। जिससे भाजपा की नीतियों पर सवाल उठने लगे हैं। 

महाविद्यालय प्रशासन का चेहरा आया सामने

        21 नवंबर को हुए इस आयोजन के लिए अतिथियों का चयन और निमंत्रण की जिम्मेदारी को भी महाविद्यालय प्रशासन सही तरीके से नहीं निभा सका। जिसके चलते नगर के चुने हुए जनप्रतिनिधि और पत्रकारों में भी आक्रोश रहा। महाविद्यालय प्रशासन ने शिक्षा के मंदिर को राजनीतिक अखाड़ा बना कर रख दिया। यह सब शपथ विधि समारोह में देखने को मिला। साथ ही चौराहों पर चल रही चर्चा के अनुसार शपथ विधि समारोह के निमंत्रण पत्र मनोनीत अध्यक्ष के द्वारा अपने गुट विशेष के लोगों को भिजवाए गए। भेजे गए निमंत्रण पत्र में आयोजक कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जीपी मेहता को बनाया गया। इस निमंत्रण पत्र में भी नगर की प्रथम नागरिक लक्ष्मी सुनील पणदा के नाम का जिक्र तक नहीं था। साथ ही कार्यक्रम में प्राचार्य को नपाध्यक्ष का नाम तक पता नहीं होने की बात दिखाई दी। 

यह भी रहा चर्चा का विषय

        इस कार्यक्रम में कलसिंह भाभोर, संगीता सोनी, दिलीप कटारा पूर्व नप अध्यक्ष बंटी डामोर, सहित कई भाजपा के लोग मौजूद थे। तो वहीं कार्यक्रम में नगर परिषद अध्यक्ष श्रीमति लक्ष्मी सुनील पणदा भी मौजूद रही। परंतु उन्हें मंच पर बीच में जगह न देकर एक किनारे कुर्सी पर बैठाया गया। जबकि वह नगर की प्रथम नागरिक के तौर पर कार्यक्रम में शामिल हुई थी। इस दौरान मंच पर पार्टी पदाधकारियों के अलावा कोई भी चुना गया जनप्रतिनिधि नहीं बैठा था। जब पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष को मंच पर जगह दी जा सकी, तो वर्तमान नपाध्यक्ष के साथ ऐसा व्यवहार क्यों हुआ?

        क्या यह महाविद्यालय प्रशासन की मंशा थी या जानबूझकर राजनीतिक द्वेषता के चलते हुआ। यह प्रश्न नगर की जनता में चर्चा का विषय है।


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